नोट बंदी का असर दिखा यूपी व उत्तराखंड में

क्या उत्तर प्रदेश में नोटबंदी का असर दिखा जैसा कि विपक्ष समझा रहा था , शायद नही क्योंकि इस नोटबंदी से मध्यम वर्ग व निम्न वर्ग की जनता को कोई असर नही पडा जैसा कि सोचा गया था और मीडिया लगातार दिखा रहा था।यह जमीन पर किया गया काम था और जमीन के लोगों ने ही इसे सफल बनाया और बैंकिग व्यवस्था को ठीक किया। वास्तव में तकलीफ उन लोगों को थी जिनके पास दो नंबर के पैसे थे और रोज निकालने की प्रथा थी। निम्न वर्ग का आदमी तो रुपये  नही, गांव में सामान की अदलाबदली से ही काम चलाता है और मध्यम वर्ग में 4500 रुपये कई दिन चलते है क्योंकि बचत की प्रथा होने के कारण जरूरतें कम होती है। पूरे देश में इनकी संख्या 90 फीसदी है और दस प्रतिशत उच्च वर्ग के लोग है जो मेटोपोलियन सिटी में आते है जिन्हें इस नोटबंदी का दर्द था।
नोटबंदी के बाद अभी इस काम को विराम नही दिया है आने वाले समय में हो सकता है जिस बैंक ने इसे फेल करने की कोशिश की और नये नोट पुराने नोट लेकर लोगों को दिये और भारी मात्रा में दिये उनके उपर भी कारवाई हो सकती है।सरकार ने 4500 रुपये प्रति व्यक्ति देने की बात की थी और यह बैक से पूछा जा सकता है कि इस दर से आपने कितने लोगों तक यह राशि पहुंचाई जबकि आपको इतना राशि दिया गया था।उसका हिसाब दें। न देने पर किसे राशि दी उसका विवरण मांग सकती है और उनके द्वारा ली गयी कमीशन ले सकती है और लेन देन करने वाले दोनों के खिलाफ कारवाई कर सकती है।जिन्होंने नाजायज ढंग से पुराने नोट के बदले नये नोट लिये उन्हें जब्त भी कर सकती है।कोई भी बैेकर इस काम को करके बच नही सकता और उसके खिलाफ कारवाई होकर ही रहेगी ।
नोटबंदी की सफलता के बाद अब शायद बेनामी सम्पति की बारी है , काम शुरू हो गया है और आने वाले समय में इन दस प्रतिशत लोगों के दर्द को बढाया जा सकता है।इसका कारण यह है कि मध्यम वर्ग के पास खर्चो के बाद इतना नही बचता कि वह अपने लिये बेनामी सम्पत्ति खरीद सके।अपना घर ही हो जाये वही बहुत है । देश की अस्सी फीसदी प्रापर्टी उच्च आय वर्ग के पास है जो कि देश में दस प्रतिशत से ज्यादा नही है।इसलिये इस मामले में जब भी विस्तार होगा तब तब उनके चोचले सुनने को मिलेगे।चूंकि सरकार ने पहले ही कह रखा है कि इस काम में लापरवाही बर्दाश्त नही की जायेगी तो संभव है कि आने वाले समय में उच्च वर्ग के लोग आपके साथ ही कतार में खड़े नजर आये । जिन लोगों के साथ यह काम हो सकता है वह बड़े स्वर्णकार , बिल्डर, पूंजीपति व कपनियों के मालिक हो सकते है।नोटिसों का दौर भी शुरू हो गया है और उंचे स्तर से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है , ठीक वैसे ही जैसे नोटबंदी को लेकर दिया जा रहा था।
सरकार को चाहिये कि आयकर विभाग को और कसे ताकि आय न देने वाले लोगों के खिलाफ कारवाई में इजाफा हो सके । इस काम से भी वही दस प्रतिशत लोगों केा नुकसान होगा जो कि किसी न किसी रूप् में आयकर की चोरी कर रहे थे।सारे काम आनलाइन किये जाये और सरकार पर दबाब न हो इसलिये जो विभाग गोपनीय न हो उसे एफडीआई के तहत दिया जाय।इससे एक फायदा यह होगा कि अधिकारी वर्ग का वर्चस्व समाप्त होगा और देश विकास के पथ पर चल सकेगा।

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