अब गांवों की ओर चलना ही श्रेयकर

केन्द्र सरकार को चाहिये कि वह अपनी योजनाओं को शहरों में लागू करना बंद कर दे मसलन राशनकार्ड , आंगनवाडी व अन्य सुविधायें जैसे आरक्षण ,छात्रवृित्त आदि को सिर्फ गांव वालों केा ही प्राथमिकता दें और इसमें यह तय करें कि जिन लोगों के मकान व रिहाइश गांव व शहर दोनों में हो उसे यह सुविधा न दी जाय क्येंकि वह पहले से ही सम्पन्न है।तथ्य छिपाने वाले पर दंड का प्रावधान हो।
वास्तव में देखा जाय तो शहर के लोग किसी तरह अपना जीवन व्यतीत कर लेते है उनके पास हर तरह के विकल्प होते है किन्तु गांव के लोगों के पास रोजगार तो होता नही इसलिये शहर की ओर भागते है और जब देखते है सरकारी मद्द मिल रही है तो शहर में ही टिक जाते है। वापस गांव की ओर लौटना नही चाहते । शहर में रहकर वह बद से बदतर जिन्दगी व्यतीत करते है। यदि सरकार शहर के बजाय गांव के लिये अपनी सुविधायें देनी शुरू कर दे तो गांव से शहरों की ओर पलायन रूक जायेगा और इन सुविधाओं का सही लाभ लोगों को मिलेगा।
अगर गांव के लोगों  को  सूखा के दौरान अन्न मिल जायेगा। इलाज के लिये दवा की सरकारी सुविधा कर दी जाय , सरकारी मद्द मिलने लगे तो गांव भी विकसित हो जाय लेकिन गांवों के विकास के बात अभी तक किसी सरकार ने नही की। कल्पना कीजिये यदि आरक्षण का लाभ सिर्फ गांव में रहने वाले लोगों के लिये कर दिया जाय और कहा जाय कि सिर्फ गांव के लोगों केा मिलेगा और जिनके मकान दोनों जगह हो उन्हें नही मिलेगा तो सारी गणित बदल जाय। इसी तरह गांव में पढने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति मिलेगा व अन्य सुविधायें मिलेगें तो इसका लाभ गांव को मिलेगा और वह तरक्की करेगें।लोग आगे बढेगें तो सुविधा भी गांव में बढेगी और आने वाले कुछ सालों में लोग गांव में रहेगें और शहर में नौकरी करने के उपरांत गांव लौट जायेगें क्योंकि मुफ्त का माल सभी  को चाहिये ।
जहां तक राशनकार्ड की बात है तो गांव में राशनकार्ड को अनिवार्य किया जाय और सुनिश्चित किया जाये की मिला या नही ,जिसने नही लिया उसका कार्ड रद्द कर दिया जाय ।इसके अलावा बिजली का बिल व पानी का बिल के साथ साथ गांव के पते का ही आधारकार्ड हो तो ही सारी सुविधा मिलेगी इसे तय कर दिया जाय। जिससे गांवों की ओर लोगों का ध्यान बढे इस बात की पहल सरकार की ओर से हो।इस प्रकिया से यह होगा कि शहरों का प्रदूषण कम होगा और गांव विकसित होगें कुछ सालों बाद यही शहर की तरह हो जायेगा। दुकाने खुलेगी ,व्यापार गांवों की ओर होगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
इससे सरकार को भी कई फायदे होगें ,पहला यह है कि गांव के लोग अपना घर छोडकर नही जायेगें।दूसरा यह है कि सरकारी सुविधाये मिलने के कारण शहरो की ओर पलायन होता था वह रूक जायेगा। तीसरा यह है कि मेधावी छात्र जो गांव में रह रहे है और गरीबी के कारण कुछ नही कर पा रहे है वह लाभान्वित होगें और देश की तरक्की में सहायक होगें।चौथा यह है गांव में लडकियों का शोषण बहुत है अनपढ होने के कारण वह पूरी जिन्दगी गंवार के ताने से निकल नही पाती उन्हें सुिवधा मिलेगी,आगे बढेगी । सही मायने में बेटी बचाओ व बेटी पढाओं पर काम होगा। जो प्रशासन अब तक शहरों तक ही सीमित रहता है उसे भी गांव की ओर रूख करना होगा क्योंकि लालची लोग गांव में भी रहेगें तो प्रशासन को भी गांव में चलकर आना होगा।
सही मायने में गांव के लोग ही देश के सही लोग है जो बुरे वक्त में भी अपना देश नही छोडते । शहर वाली फितरत इनमें नही है।सरकार को इनपर अपना सबकुछ लगाना चाहिये और इन्हें विकसित करने की बात करने चाहिये । किसान किसान चिल्लाने से कुछ नही होगा किसान का विकास तब होगा जब उसका परिवार विकसित होगा और परिवारके विकसित होने के लिये गांव को प्राथमिकता में लाना जरूरी  है।
यदि कोई भी केन्द्र सरकार इस फार्मूले को आजमाता है तो आने वाले समय में गांवों की सूरत तो बदलेगी ही शहरों की सूरत भी बदल जायेगी । सबसे खास बात यह है कि जो करेगा उसकी सूरत के साथ साथ देश की सूरत बदलेगी और प्रदूषण मुक्त वातावरण के बाद खुशहाल भारत की नींव तैयार होगी क्योंकि भारत शहरों का नही गांवो का देश है जहां से संस्कृति व संस्कारों का पूरे विश्व में संचार होता है जहां से पंथ निकलते है और सनातन परम्परा का विकास होता है।

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