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कुण्ठा के पंक में धँसता विपक्ष
भारतीय लोकतन्त्र के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला कि विपक्ष सत्ताहीनता की स्थिति में अपना मानसिक सन्तुलन इतनी तीव्रता के साथ खोता जा रहा है कि उसे कल्पना और यथार्थ की स्थिति में अन्तर का बो…