पर युद्ध तो तय है ?

इमरान खान लगता है राजनीति के खेल का मैदान समझ रहें है और ऐसी ओझी बातें कर रहें है कि मानो वह राजनीति का विश्वकप हो रहा है और वह चैम्पियन बनने जा रहें है। उन्हें इस बात का अहसास नही है कि यहां गेदें लपकी नही जाती यहां बम गिरते है और लोग मरते है , जो मरते है वह नागरिक ही नही होते बल्कि वह खिलाडी भी होते है जो इस खेल को खेल रहें होते है। इसलिये पद की गरिमा और तर्कशक्ति पर काबू रखते हुए उन्हें ऐसे काम करने चाहिये जो कि पाकिस्तान के वजूद को ेिजन्दा रखने के लिये काम आये। ऐसा न हो कि भारत को बर्बाद करने का सपना देखने वाले पाकिस्तान जो आज वह कल पाकिस्तान था एैसा कहा जाने लगे। यह मुगलों का काल नही है , अंग्रेजों का काल नही है यह भाजपा का काल है और कांग्रेसी काल का अंत हो गया है। इसलिये यह मुमकिन है।
पाकिस्तान अपने वजूद के बाद का सबसे बड़ा हमला करने जा रहा है भारत पर। हालांकि इसके बाद ये देश अस्तित्व में भी नहीं रहेगा किंतु वो लोग कहते हैं कि वो किसी सरजमीं से नहीं बंधे हैं वो इस्लाम से बंधे हुए हैं। इस युद्ध में वो न केवल उसकी सेना और जिहादी तंजीमों को लगाएगा बल्कि वहाँ की जाहिल आवाम भी सक्रिय रूप से भाग लेगी। ऐसा पाकिस्तान का मानना  है।एक तरह से पाकिस्तान के ६०-८० लोग जो हाथ में हथियार लेकर आएगा भारत की ओर कूच करेंगे।युद्ध छिड़ने के बाद भारत में छुपे जिहादी सक्रिय होंगे और गृहयुद्ध छेड़ देंगे। भारत के सुरक्षाबलों को दो फ्रंट पर एक साथ लड़ना होगा। इसी बीच यदि चीन पाकिस्तान की ओर से कोई हरकत करता है तो उसे रोकने के लिए अमेरिका और इजराइल बीच में आएंगे जो रूस बिलकुल नहीं चाहेगा। इसलिये संभव है चीन को रूस पहले ही रोक ले। एशिया में यदि एकमात्र महाशक्ति बनने के अवसर दिखाई देंगे तो रूस चीन को इस महायुद्ध में निपटा सकता है क्योंकि उधर पश्चिम के दरवाजे पर तुर्की को जिहादी बुखार चढ़ रहा है और वो भी भारत पर इस्लाम के नाम पर आक्रमण करने की कोशिश करेगा जिसे अरब और इजराइल मिल कर अमेरिकी सहायता से कुचल डालेंगे। पर इस प्रयास में अमेरिका इतना निर्बल हो जाएगा कि एशिया में रूस से इस समय भिड़ना टालना चाहेगा। इस परिस्थिति में रूस अपने पुराने चरित्र में लौट आएगा जब जापान ने रूस को अमेरिकी आक्रमण से रक्षा हेतु पुकारा था और स्टालिन की लाल सेना हारते हुए जापान को ही लूटकर भाग गई थी। परमाणु युद्ध जैसी संभावना ना के बराबर है क्योंकि यदि पाकिस्तान ऐसा सोचेगा भी तो तत्काल नाटो की सेना पाकिस्तान को कब्जे में लेकर उसके आणविक अस्त्र जब्त कर लेगी। इसलिये भी रूस नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान अपनी औकात से बाहर निकल कर कोई हरकत करे और एशिया में अमेरिकी दखल बढ़े।
इस खेल में रूस सबसे बड़ा खिलाड़ी है और वो सारे मोहरे सैट कर रहा है। ये फिलहाल तो भारत के हित में ही है क्योंकि हम चीन की तरह विश्व शक्ति बनने के लिए रूस के सामने नहीं खड़े हैं। आज आपको विचित्र लगेगा पर रूस कभी भी चीन को एशियाई महाशक्ति बनते देखना नहीं चाहेगा। चीन को भी इतना बेवकूफ मानना नासमझी होगी कि उसे रूस की मंशा का बोध नहीं होगा। चीन भारत को नुकसान करने के चक्कर में तीसरे विश्वयुद्ध की गोदड़ी अपने माथे पर क्यों डालेगा? इस समय भारत की भूमिका निर्णायक है और आंतरिक रूप से देखा जाए तो संघ की परीक्षा का समय अब आ रहा है। यदि गृहयुद्ध जैसी स्थिति को  भारत संभाल लेता है तो बड़ा बोल महाकाल का, २०५० तक विश्व से जिहादी मजहब विदा हो चुका होगा। ये मेरा आकलन है।क्योकि समरथ के नहिं दोष गोसाईं !

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