सरकार की सफलता ही विरोधी दलों की समस्या

   जबसे भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी है और विकास की प्रक्रिया सतत वर्द्धमान है तभी से विरोधी दलों के हृदय में तूफान आ गया है। सरकार पर आरोप-प्रत्यारोप के नित नये-नये बहाने ढूंढे जाने लगे हैं और उसमें सफलता न मिलने पर षड्यन्त्रों का प्रायोजन किया जाने लगा है। अनेक अराजकताओं के पीछे इन्हीं विरोधी नेताओं का हाथ दिखाई देता है जिसमें कुछ के विषय में उनकी चतुराई के कारण प्रमाण नहीं मिल पाये और कुछ घटनाओं में वे अपने इस कौशल का प्रदर्शन नहीं कर पाये जिसके कारण उनके षड्यन्त्रों का भण्डाफोड़ हो गया। आज विश्व में भारत ने अपना जो स्थान बनाया है वह अभूतपूर्व है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के शासनकाल में यह सम्भव नहीं था, किन्तु जिस दृढ़ संकल्प की आवश्यकता देशहित के निर्णय लेने में होती है उसका तनिक भी संचार उनकी नसों में नहीं था। अब जबकि सरकार एक के बाद एक देशहित के कठोर निर्णय लेने लगी है, विरोधियों को सदाचार का अभ्यास न होने के कारण कठिनाई भी हो रही है।

भ्रष्टाचार की बातें सभी दल के नेता करते हैं किन्तु भ्रष्टाचार से उनका मोह भी भंग होने का नाम नहीं ले रहा है। जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमन्त्री के घोटालों की जाँच प्रारम्भ हुई तो उन्हें भी इसमें केन्द्र सरकार के बदले की भावना दिखाई दी। अब जब लालू प्रसाद यादव जैसे चारा घोटाले के अभियुक्त की भूमि घोटाले और अवैध सम्पत्ति अर्जित करने से सम्बन्धित सीबीआई की जाँच प्रारम्भ हुई तो पुनः वही तोते की रटन्त विद्या की तरह बदले की भावना से कार्यवाही की संज्ञा दी गयी। जो कुछ भी केन्द्र सरकार इन आरोपों की परवाह न करते हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध जिस प्रकार सक्रियता से तत्पर है उससे देश की जनता पूरी तरह सहमत है और यही कारण है कि अन्तर्राष्ट्रीय रैंकिंग में विश्वसनीयता के मामले में मोदी सरकार विश्व की सबसे अधिक विश्वसनीय सरकार मानी गयी है। लेकिन हमारे देश के तथाकथित अनुभवी नेताओं ने अपने अनुभव के बल पर जिस प्रकार जनता के परिश्रमपूर्वक अर्जित धन को डकार लिया है उसे उगलने में अब उन्हें कठिनाई होनी स्वाभाविक है। यही कारण है कि अब वे आतंकवादियों को प्रश्रय देने वालों का समर्थन करने में भी पीछे नहीं हैं।

हाल ही में अमरनाथ यात्रा पर गये तीर्थयात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला बोलकर 7 तीर्थयात्रियों को काल का ग्रास बना दिया। इस प्रकरण पर ये तथाकथित सेकुलर नेता आतंकवाद और आतंकवादियों के विरुद्ध एक भी शब्द कहने के स्थान पर मात्र सरकार की आलोचना में लिप्त है। ऐसा करते हुए वे यह भी भूल जाते हैं कि आतंकवादी घटनाएँ उनके भी शासनकाल में होती रही हैं और भाजपा मुखर स्वर में उनका विरोध करती रही है। और तो और सैफुद्दीन सोज जैसे नेता आतंकवादियों से वार्ता करने के पक्षधर हैं किन्तु कांग्रेस या किसी अन्य विरोधी दल के नेताओं ने इस प्रकरण पर अपनी जिह्वा पर ताला जड़ दिया। जुनैद प्रकरण को तो इन नेताओं ने साम्प्रदायिक रूप देने में अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी थी और सरकार के विरुद्ध अनेक अनर्गल प्रलाप किये किन्तु पश्चिम बंगाल में घटित घटना पर उनकी बोलती बन्द हो गयी।

केन्द्र सरकार का जनता के प्रति यही सेवाभाव और समर्पण विरोधियों के गले की हड्डी बन गया है और यही कारण है कि कांग्रेस-वामपंथी दल और मुलायम-मायावती जैसे धुर विरोधी युग्म आज भाजपा की सुशासन संकल्पित सरकार के विरुद्ध महागठबन्धन करने के लिए आतुर हैं। देश को नोचने और खसोटने वाली शक्तियाँ अपनी सम्पूर्ण शक्ति देश के प्रति समर्पित, भ्रष्टाचार विरोधी इस सरकार को उखाड़ फेंकने के षड्यन्त्र में लगी हुई हैं। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में विस्फोटक रखकर विधानसभा को उड़ा देने के षड्यन्त्र में भी ये षडयन्त्रकारियो की आलोचना और उनके समूल विनाश की बात न करके ये सरकार की आलोचना में लिप्त हैं। किन्तु देश की जनता ने जिस प्रकार नोटबन्दी, सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकवादियों की मृत्यु पर आँसू बहाने वाले इन नेताओं के वक्तव्यों को दरकिनार कर दिया और भाजपा नीत सरकार में अपना विश्वास जताया उससे देशवासियों की जागरूकता में हो रही वृद्धि की कल्पना की जा सकती है। अब वह दिन दूर नहीं जब ऐसे देशविरोधी नेताओं को जनता नेस्तनाबूद करेगी और देश में रामराज्य लाने के लिए कृतसंकल्प भाजपा सरकार को पुनः-पुनः आमन्त्रित करेगी।

 

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