उप्र के कई जिलों में शिक्षा जर्जर

योगी सरकार के आते ही शिक्षा के क्षेत्र में काफी कारगर कदम उठाये गये है लेकिन यह सभी माध्यमिक स्तर तक है , स्नातक व उच्च शिक्षा में भी इस तरह के नकेल कसने की आवश्कता है जिससे बेरोजगारों की संख्या पर अंकुश लगाया जा सके। मैनपुरी ,एटा ,कन्नौज ,इटावा,अलीगढ ,फिरोजाबाद व शिकोहाबाद, फैजाबाद , कानपुर ग्रामीण , इलाहाबाद ग्रामीण ,गोरखपुर ग्रामीण व बलिया गाजियाबाद के कई ऐसे कालेज है जो साल भर बंद रहते है और परीक्षा के समय पर ही खुलते है या फिर प्रवेश के समय , लेकिन जो डिगी वहां से बांटी जा रही है वह लाखों में है।इसी तरह सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी व पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी लाखों डिग्री टेक्निकल बांटकर हर साल बेरोजगार पैदा कर रही है और निरक्षर को साक्षर बनाने के लिये पचासों हजार रूप्ये साल तक लिये जा रहें है। कैसे यह रहस्य का प्रश्न है।
मैनपुरी की बात करें तो वहां 158 के करीब स्नातक कालेज है जिनमें बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है ये सरकारी आंकडे बताते है , किन्तु मैनपुरी की जनसंख्या के आंकडे को  देखा जाय तो वोटर लिस्ट के हिसाब से इतने लोग नही है जो कि 18 से 25 वर्ष की आयु के हो और वहां शिक्षा ग्रहण करते हो ,पूरे मैनपुरी में किरायेदारों की संख्या भी इतनी नही है कि लोग बाहर से आकर रह रहें हो और पढाई कर रहें हो इसका प्रमुख कारण यह है कि एक्का दुक्का ट्रेन  ही यहां रूकती है वह भी रात में , अपराध ग्रसित क्षेत्र होने के कारण यहा ंलोग रहना भी पसंद नही करते फिर आखिर शिक्षा का इतना बड़ा  क्षेत्र कैसे बन गया।यह सोचनीय विषय है। यादव बाहुल्य इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा नौकरी उप्र सरकार ने अब तक यहां से बांटी है यहां हर घर में एक सरकारी नौकर है और सभी के पास चार पहिया गाडी है ।सम्पन्नता में सबसे आगे यह क्षेत्र है और वह भी दूरदराज होने के बाबजूद आखिर कैसे?
स्थानीय लोगों की माने तो 32 ऐसे कालेज है जो नियमित खुलते है बाकी कालेज प्रवेश के समय खुलते है और वहां धंधा होता है प्रथम श्रेणी,द्वितीय श्रेणी व पास कराने का ,हर काम का रकम तय है और वह भी बिना पढे , बीए ,बीकाम ,बीएसएस व बीटेक व बीबीए किसी की स्नातक डिग्री व उच्च अध्ययन की डिग्री ले सकते है। कापी लिखने की सुविधा भी वहां पैसे लेकर प्रोॅफेसर कापी लिख देते है।इसके बाद बीएड के लिये एक कालेज है जहां मुलायम  परिवार के लोग ही प्रोफेसर है और उनमें एक नाम समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव का भी है।इनके अलावा परिवार के कई और लोगों के पास बीएड कालेज है । जहां से नकली को असली बनाकर डिग्री दी जाती है। इनका सबसे ज्यादा उपयोग शिक्षक के रूप् में होता है और इस कालेज के जरिये हजारों की तादाद में शिक्षक इसी कालेज के डिग्री धारक  बने इससे पता चलता है कि उप्र में शिक्षा का स्तर कैसा होगा।
सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिये क्योंकि अगर इसी तरह पैसे लेकर डिग्री बांटने का काम चलता रहा तो आने वाले समय में निरक्षर लोग साक्षर बनकर प्रदेश की अस्मिता को दांव पर लगाते रहेगें वैसे भी इस क्षेत्र का एक विडियो कुछ दिनों सोशल मीडिया पर वाइरल हुआ था जिसमें प्रधानचार्या को देश के राष्टपति व प्रधानमंत्री का नाम नही पता था। अध्यापको को प्रदेशों के नाम व उनकी राजधानी का पता नही था । कुछ प्रधानाचार्य तो ऐसे थे जो जन मन गण को पुरा नही सुना सके। यह छात्रों को किस प्रकार की शिक्षा देगें और उनके पढाये हुए बच्चे किस तरह से देश केा आगे ले जायेगें भी समझ से परे है।
उप्र में शिक्षा का स्तर काफी खराब है और सरकार ने जैसे लगाम माध्यमिक स्तर पर कसी है उसी तरह से उच्च स्तर पर कसने की आवश्यकता है। लोग पैसे देकर डिग्री खरीद रहे हैं  और वह भी ज्यादा अंको की , सरकार की यह पालिसी की मेरिट के हिसाब से बिना परीक्षा लिये नौकरी देगें इससे फेल हो जायेगा क्योंकि ऐसे लोग सिस्टम में आ जायेगें जिन्होने कभी कालेज में पढाई की ही नही ।इसके अलावा सरकार को सभी यूनिवर्सिटी के अधीन आने वाले कालेजों में अध्यापको में खुद ही नियुक्ति करनी पडेगी क्योंकि कई जगहों पर परिवार के सारे लोग शिक्षक ,कलर्क व चपरासी है जो समाज को पलीता लगा रहें है। परीक्षा का भी केन्द्रीयकरण करना होगा और सचल दस्तों को बढाना व कसना होगा ताकि शिक्षा में सुधार हो सके।

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