भारत को ग्लोबल मार्केट में बड़ी सफलता मिल गई है। लंबे समय से जारी कोशिश ने आखिर रंग दिखाना शुरू कर दिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) रुपये में लेनदेन करने वाला पहला देश बन गया है।भारत ने यूएई से कच्चा तेल खरीदकर उसे भारतीय मुद्रा में भुगतान किया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी के लिए काफी राहत भरी खबर है।इसके साथ ही भारत ने अपनी मुद्रा को ग्लोबल लेवल पर ले जाने की दिशा में भी कदब बढ़ा दिया है।
मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा है कि भारत अन्य तेल आपूर्तिकर्ता देशों के साथ भी इसी तरह के रुपया भुगतान सौदों की कोशिश में लगा हुआ है लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करना एक प्रक्रिया है और इसके लिए कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है।फिलहाल हमें एक शुरुआत मिल गई है और यह काफी बेहतर है।हम यूएई से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदते हैं और रुपये में उसे भुगतान करने से बड़ी बचत होगी।
गौरतलब है कि अपनी 85 प्रतिशत से अधिक तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत आयात पर निर्भर है।इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर डॉलर में भुगतान करना होता है लेकिन, पिछले साल से भारत ने तेल की खरीद का भुगतान डॉलर के बजाय रुपये में करने की व्यवस्था शुरू की है और इस दिशा में रिजर्व बैंक ने भी जरूरी कदम उठाए हैं। डॉलर में भुगतान करने पर भारत को मुद्रा विनिमय शुल्क यानी फॉरेक्स फीस चुकानी पड़ती है, जिससे यह सौदा काफी महंगा पड़ता है।
इस दिशा में भारत ने जुलाई में यूएई के साथ रुपये में भुगतान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) से 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद का भुगतान भारतीय रुपये में किया है। यह हजारों करोड़ रुपये की डील मानी जाती है।
इसके अलावा रूस से आयात किए गए कच्चे तेल के कुछ हिस्से का भी भुगतान रुपये में किया गया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि तेल खरीद का भुगतान रुपये में करने से लागत न बढ़े और इसका व्यापार पर किसी भी तरह से नुकसान न पड़े।’ ‘जहां रकम अधिक नहीं है, वहां रुपये में सौदा निपटान में ज्यादा समस्या नहीं होती है लेकिन, जब कच्चे तेल का जहाज लाखों डॉलर की कीमत का हो तो समस्याएं होती हैं।भारत व्यापक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए स्थिति से निपट रहा है।
अधिकारी ने कहा कि रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से डॉलर की मांग कम करने में मदद मिलेगी और भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मौद्रिक झटकों का कम असर होगा। इसका फायदा आम आदमी को भी मिलेगा। जब देश का आयात सस्ता पड़ेगा तो यहां बिकने वाली आयातित वस्तुओं की कीमतों में भी कमी आएगी और उनके दाम सस्ते होंगे। अगर भारत कच्चे तेल की खरीद रुपये में करता है तो यह सस्ता पड़ेगा और इसका फायदा आम आदमी को भी होगा
लेख ने भारतीय रुपये की बढ़ती शक्ति को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है। यह शक्ति राष्ट्र की बढ़ती ताकत और भारतीय नागरिकों के लिए मानव जीवन के कल्याण के केन्द्रीकरण को दर्शाती है।