दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को बर्बाद करने वाली पिछली सरकार की असलियत सामने आ गई है। कैग रिपोर्ट ने खुलासा किया कि पूर्ववर्ती सरकार ने डीटीसी को ₹7471 करोड़ के कम्युनिटी घाटे और ₹14198 करोड़ के ऑपरेशनल लॉस तक पहुंचा दिया गया। यह घोर लापरवाही का नतीजा है। 814 बस रूटों में से सिर्फ 468 पर ही बसें चलीं, जिससे न जनता को सुविधा मिली, न टिकट बिक्री हुई, और डीटीसी को ₹668 करोड़ का नुकसान हुआ। पिछली सरकार ने जनता के पैसे बर्बाद कर बसों को सड़ने के लिए छोड़ दिया।
2015 में दिल्ली में 4544 बसें थीं, लेकिन 2023 में घटकर 3937 रह गईं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 11,000 बसों की जरूरत बताई थी, लेकिन न बसें खरीदी गईं, न जनता को सुविधा मिली। दिल्ली की जनता से किया गया विश्वासघात अब उजागर हो गया है। ₹233 करोड़ की केंद्र सहायता बस खरीदने के लिए दी गई थी, लेकिन वो भी खर्च नहीं किए गए। इसका मतलब साफ है—पूर्ववर्ती सरकार ने दिल्ली की जनता के पैसे को फ्री स्कीम्स और विज्ञापनों पर उड़ाया, उनकी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुधरने की कोई मंशा नहीं थी।
डीटीसी और डिम्ट्स में दिल्ली सरकार के पास 50% शेयर थे। जब आईडीएफसी ने अपना शेयर बेचना चाहा, तो सरकार ने 2 साल तक कोई निर्णय नहीं लिया।नतीजा ₹95 करोड़ के शेयर मात्र ₹10 करोड़ में एक प्राइवेट कंपनी को बेच दिए गए।ये सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश थी जिससे दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को प्राइवेट हाथों में बेचा जा सके। अब डीटीसी का 50% हिस्सा एक निजी कंपनी के पास चला गया, जिसमें 70% हिस्सेदारी एक रूसी कंपनी की है।
दिल्ली में 4000 बस ड्राइवर बिना काम के बैठे हैं और सरकारी वेतन ले रहे हैं, क्योंकि जिन बसों को चलना चाहिए था, वो खड़ी कर दी गईं। जनता को सुविधा देने की बजाय भ्रष्टाचार और घोटालों से डीटीसी को कंगाल कर दिया गया।महिलाओं को मुफ्त यात्रा देने की आड़ में टिकटिंग का पूरा डेटा ही गायब कर दिया गया। कोई नहीं जानता कि कितनी महिलाएं बसों में सफर कर रही हैं। इससे सिर्फ भ्रष्टाचार बढ़ा और पारदर्शिता खत्म हुई।
डीटीसी को घाटे से निकालकर मुनाफे में लाया जाएगा।
इलेक्ट्रिक बसें और चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।
आईएसबीटी को मल्टी-स्टोरी कमर्शियल हब के रूप में विकसित किया जाएगा।यह सिर्फ सरकार का वादा नहीं, दिल्ली की एक नई शुरुआत है! अब डीटीसी को पुनर्जीवित कर बेहतर, पारदर्शी और आत्मनिर्भर ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाया जाएगा। दिल्ली की जनता को उसका हक मिलेगा!