आई लव मोहम्मद का जलवा

मौलाना तौकीर रजा बरेली के प्रमुख धार्मिक नेताओं में से एक  हैं। वे आईएमसी के अध्यक्ष होने के साथ-साथ आला हजरत खानदान से ताल्लुक रखते हैं, जिसने सुन्नी बरेलवी मसलक की शुरुआत की थी। तौकीर रजा ने 2001 में राजनीति में कदम रखा और अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई।2009 में वे कांग्रेस के साथ जुड़े, जबकि 2012 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का समर्थन किया। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उनकी सपा से दूरी बढ़ गई और 2014 में उन्होंने बसपा का समर्थन किया।

मौलाना तौकीर रजा का विवादों से पुराना नाता है। वे पहले भी कई मामलों में विवादित बयान दे चुके हैं, जैसे नागरिकता कानून के खिलाफ उनकी सक्रियता रही है और बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ उन्होंने फतवा जारी किया था। उनके ऊपर 2010 में भी बरेली में दंगा भड़काने का आरोप था।राजनीति और समाजिक संगठन में उनकी भागीदारी भी गहरी रही है। वे खान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) के अध्यक्ष रह चुके हैं उन्होंने देवबंदियों द्वारा भेदभाव का आरोप लगाते हुए बोर्ड से नाता तोड़ लिया।

 समाजवादी पार्टी की सरकार में तौकीर रजा को हथकरघा विभाग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था उनके पास राज्य मंत्री का दर्जा था,लेकिन 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 2016 में उन्होंने मुस्लिम समुदाय में एकता कायम करने के प्रयास में देवबंद का दौरा किया और विद्वानों से मुलाकात की। हालांकि, इसके लिए उनके अपने संप्रदाय के मौलवियों ने आलोचना की थी।

विवादों के बावजूद तौकीर रजा ने अपनी माफी भी पेश की थी। उनके ऊपर हिंदुओं के खिलाफ नफरत भड़काने के आरोप भी लग चुके हैं। इस बार बरेली में I Love Muhammad विवाद ने मौलाना तौकीर रजा को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। घटनाओं ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती पेश की है, और इलाके में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। सरकारी जमीन पर बनाई गई 74 दुकानें सील हो चुकी हैं और बुलडोजर की कार्रवाई भी घर व दुकानों पर हो सकती है।

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