आगामी पंचायत चुनावों को लेकर, सपा पार्टी ने एक विशाल रणनीति के तहत अपने आधिकारिक प्रत्याशी नहीं उतारने का बड़ा निर्णय लिया है। दूसरा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सालों पुरानी चुप्पी तोड़ते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद पर सीधा हमला बोल दिया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सपा ने यह डबल दांव 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए खेला है, जिसका सीधा निशाना दलित वोट बैंक है।
सपा के मुताबिक, पार्टी ने यह बड़ा फैसला ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए लिया है। अब इन चुनावों में पार्टी किसी भी उम्मीदवार को अधिकृत रूप से मैदान में नहीं उतारेगी। पार्टी के इस निर्णय के पीछे सबसे बड़ी वजह संगठन में संभावित फूट है। दरअसल, इन स्थानीय पदों पर पार्टी के कई कार्यकर्ता दावेदार होते हैं। यदि सपा किसी एक उम्मीदवार का खुले तौर पर समर्थन करती है, तो बाकी दावेदार नाराज़ हो सकते हैं, जिससे ज़मीनी स्तर पर संगठन कमज़ोर होगा। इसलिए, सपा ने पंचायत चुनावों में निष्पक्ष रुख अपनाने का निर्णय लिया है। हालांकि, यह पूरी तरह चुनावी मैदान छोड़ने का फैसला नहीं है।
पार्टी की आंतरिक रणनीति यह है कि जो कार्यकर्ता क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत सदस्य के रूप में जीतकर आएंगे, उन्हें आगे ब्लॉक प्रमुख या जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में प्राथमिकता दी जाएगी। इस तरह सपा बिना आधिकारिक सिंबल दिए, ज़मीनी स्तर पर अपना प्रभाव बरकरार रखना चाहती है। सपा अध्यक्ष ने अपने हालिया बयान से पार्टी की राजनीतिक दिशा को स्पष्ट कर दिया है। उसने बसपा नेता आकाश आनंद पर सीधा हमला करते हुए कहा कि “आकाश आनंद की जरूरत भाजपा को ज़्यादा है।”
राजनीतिक विश्लेषक इसे सपा की रणनीति में बड़ा बदलाव मान रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन के बाद से सपा ने मायावती या उनके परिवार पर सीधा हमला करने से हमेशा परहेज़ किया था, लेकिन अब अखिलेश का यह रुख बताता है कि सपा 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दलित मतदाताओं पर ज़ोरदार फोकस कर रही है।सपा यह मानती है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता तक पहुँचने के लिए दलित समुदाय का समर्थन निर्णायक साबित होगा।