नवाज गिलगित, बलुचिस्तान में जनमत करायें, सभी भारतीय बनना चाहेगें

balochbdपाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कुछ दिनों पहले पाक अधिकृत कश्मीर में चुनाव कराया , उनकी पार्टी भारी संख्या में जीत अर्जित की लेकिन वहां के लोग आज भी इस चुनाव का विरोध कर रहें है पूरा पीओके जल रहा है और वह भारत के कश्मीर को आजाद करने की बात कर रहे है। जनमत संग्रह कराना चाहते है, अपना देश तो संभलता नही है और अन्य देशों की रूपरेखा बनाने लग रहें है। वास्तव में जनमत संग्रह की जरूरत पूरे पाकिस्तान को है कि वहां की आवाम पाकिस्तान में रहना चाहती है या भारत में , यकीनन 95 प्रतिशत आवाम का यही राय होगा कि भारत में , 5 प्रतिशत लोग जो पाकिस्तान के पक्ष में वोट देगें वह वहां की सेना, राजनेता व आतंकी होगें।

पाकिस्तान की बात करें तो वह पहले भी न बनता , उसका बनना ही गलत था जो मुसलमान वहां गये वह इस डर से गये कि उन्हें कहा गया कि भारत हिन्दूओं का व पाकिस्तान मुसलमानों का देश बनाया गया है इसलिये वहां चले जाय।जो इस भ्रम को समझे वह यही रह गये और खुशहाल है जो चले गये वह मुसलमान होकर भी पाकिस्तान में मुहाजिर कह लाये। भारत से गये मुसलमानों को वहां के मुसलमानों ने नही माना और आज भी वहां फटे हाल जीवन बिता रहें है। अब कह रहें है कि भारत ही अच्छा था , करोडो मुसलमान रह रहें है और अच्छा जीवन व्यतीत कर रहेंहै,हमने गलती की। इसके अलावा जिस तरह से वहां अन्य धर्माे का दमन हो रहा है उससे वहां के लोग भी खुश नही है। अब तो इस्लाम ही मुसलमान का दुश्मन लग रहा है, मस्जिदों में धमाके हो रहे है। छोटे छोटे बच्चों को धड से अलग कर दिया जा रहा है। आतंक का आलम यह है लोग घरोंसे बाहर निकलते है तो घरवालों को लगा रहता है वापस आयेगें या नही , घरों में निवाला गले से नीचे उतरता।

पाक अधिकृत कश्मीर की हालत तो और खराब है अगर सेना बार्डर पर न होती तो अब तक वहां की जनता भारत में खुद को अपने आप मिला ली होती । इस जगह की हालत गुलामों जैसी है और वहां किसी भी चीज की आजादी नही है। न तो वहां के किसी नागरिक को चुनाव लडने का हक है और न ही सरकारी नौकरी दी जाती है। दोस्ती निभाने के लिये कुछ नेताओं ने सांठगांठ कर उसे पाकिस्तान के हवाले कर दिया लेकिन उसका हश्र आज तक वहां की जनता भोग रही है। यह बात से भी प्रमाणित होता है कि इस पाक अधिकृत कश्मीर से हिन्दूओं को पलायन करा दिया गया और मुस्लिमो को बसा दिया गया ठीक उसी तरह जैसे भारत के हक वाले कश्मीर में मुसलमानों के आ जाने से कश्मीरी पंडित पलायन कर जायें ऐसे हालात तत्काली सरकार ने खुद पैदा कर दिये। कश्मीर चाहे पाक अधिकृत हो या भारत का , सच तो यही है कि उसे पाकिस्तान को भले ही न दिया गया लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जवाहर लाल नेहरू ने उसको जिन्ना के हवाले कर दिया था ताकि कश्मीर पर मुस्लिमों का अधिकार बना रहें।

फिलहाल जो हालात कश्मीर के है वह कपां देने वाले है और इसकी जिम्मेदार कुछ हद तक वहां की सरकार भी है। घाटी में कश्मीरी पंडितों को बसाने का जो कार्यक्रम चल रहा है वह तभी सच हो पायेगें जब वहां की पुलिस व सरकार में कश्मीरी पंडितो की भूमिका होगी। वहां एक अलग तरह से आरक्षण कश्मीरी पंडितांे को देना होगा ताकि वह अपनी जगह सरकार वह पुलिस में बना सके। वहां की सरकार को इनका संरक्षण भी करना होगा । शुरू में दिक्कत हो सकती है लेकिन कुछ वर्षों बाद ठीक होने लगेगा। यही लोकतंत्र है और सरकार को मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति से बाहर आकर देश हित में वहां कुछ अन्य धर्मो के लोगों को बसाने का प्रयास करना चाहिये , तभी वहां के इस्लामीकरण का खात्मा हो सकेगा और कश्मीर शांत हो सकेगा। नही तो यह समस्या बनी रहेगी।

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