व्यापक शोध के बाद कोविड -19 फैलने पर निष्कर्ष … !

मैं आज तक यह सोच नही पाया कि कोविड -19 आखिर फ़ैलता कैसे है । बिहार में चुनाव हो रहें है नही फ़ैल रहा है । सरकार के सारे मापदंड किनारे कर दिये है। राज्य सरकार के साथ जुडे लोग उसे मानने से इंकार कर रहें है। जहां चुनाव नही है वहां मास्क न लगाने पर जुर्माना वसूला जा रहा है। पुलिस वाले कार तक रोककर मास्क का जुर्माना वसूल रहें है। पार्टिया हो रही है करोना नही फ़ैल रहा है। लोग आ जा रहें है यात्रायें कर रहें है नही फ़ैल रहा है। मंदिर बंद कर दिये गये है। पुजारियों के लिये समस्या खडी हो गयी है, कि अगर लोग मंदिर नही आयेगें तो दक्षिणा कहां से आयेगी । उनका परिवार कैसे चलेगा।दुकानदार परेशान है कि धार्मिक यात्रा से उनका पेट भरता था वह अब मौन है। किसान के पास सरकार का दिया अनाज कागजों पर आ तो रहा है लेकिन उनके पास पहुंच नही रहा है।यह देश को किस दिशा में भेजा जा रहा है इस पर विचार करने की जरूरत है।
मैने एक शोध किया हांलाकि सरकारी अमला इस शोध को नही मानेगा क्योंकि यह उसका ही जुमला है। एक कार में केवल 3 व्यक्ति ही यात्रा कर सकते हैं … चौथा व्यक्ति हो, तो वही फैलाता है।है न हैरानी की बात , लेकिन यह सत्य है। दिल्ली की डीटीसी बसों में एक सीट छोडकर बैठने की बात कही गयी लेकिन अब हर सीट पर आदमी बैठ रहा है इससे करोना नही फैलेगा।. एक बस में केवल 30 व्यक्ति ही बैठ सकते हैँ! 31 वां हो तो कोरोना लायेगा।एैसा सरकार कहती है हम नही कहते। एक २ व्हीलर पर तीसरा सवार इसे फैला सकता है !सरकार का निर्देष था कि शाम 7 बजे के बाद, कोरोना सुबह 7 बजे तक ही चलता है और आपको पकड़ता है।इसलिये सरकार ने कई दिनों तक इस बात पर जोर दिया लेकिन यदि आप दुकान से शराब भीड़ इकट्ठी होकर ले जाते हैं, तो कोरोना बुरा नहीं मानेगा। यह आपको पकड़ तब ,जब आप बार में बैठकर पीते हैं। यदि आप दो जोनों के बीच, मचंेे के साथ गुजरते हैं तो आपको यह नहीं मिलेगा। लेकिन अगर आप बिना पास के यात्रा करते हैं तो यह फैल जाएगा।
इस पूरे कार्यकाल की समीक्षा करें तो यह राजनेताओं और उनके क्रोनियों को बिना मास्क के स्पर्श नहीं करेगा। लेकिन अगर एक आम आदमी बिना नकाब देखे, तो उसे यह गले लगा लेगा। रविवार को बाहर न निकले यह बहुत फैलता है … लेकिन यह बाकी के दिनों में नहीं फैलेगा। यह मंदिरों, मस्जिद और चर्चों में आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन कारखानों और उद्योगों से दूर रहता है। अगर आप होटलों में भोजन करते हैं तो यह निश्चित रूप से आपको पकड़ लेगा। लेकिन यह परेशान नहीं करता है, अगर आप भोजन ले जाने के लिए वहां बैठ कर इंतेजार करते हैं। यह अमीरों के विवाह में कितने भी मेहमानों हो वहां नहीं फैलता है। लेकिन आम आदमी की शादी में, यह 51 वें आदमी के साथ होता है। यह अमीरों के अंतिम संस्कार में तो कतई नही फैलता है। यह सेलिब्रिटी के अंतिम संस्कार में भी नही फैलता है।
इसलिए सावधान रहें और इसके साथ रहना सीखें । फिलहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की केंद्र सरकार की कोशिश और कोरोना के बढ़ते मरीजों से निपटने की राज्य सरकारों की चुनौती ने आम लोगों को दुविधाजनक स्थिति में ला खड़ा किया है। अलग-अलग राज्य रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग के बाद यात्रियों के घर जाने की छूट से लेकर होम क्वारंटाइन और इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन जैसे अलग-अलग मापदंड अपनायां। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने आरोग्य सेतु एप का इस्तेमाल करने की सलाह देते हुए साफ कर दिया है कि स्वस्थ लोगों को आने-जाने से रोकने का कोई तुक नहीं है, लेकिन कई राज्य सरकारें इसे मानने को तैयार नहीं हैं।नियमतः जबकि सबको केन््रद सरकार की बात माननी चाहिये थी क्योकि यह देषहित से जुडा मामला था।केंद्र सरकार ने जब से हवाई और एक जून से रेल सेवाओं की सीमित बहाली की घोषणा की, तो लोगों में अपनों से मिलने और काम-काज के लिए एक से दूसरी जगह जाने की उम्मीद जगी थी। रेलवे और विमानन कंपनियों ने अपनी बुकिंग भी शुरू कर दी और लोगों ने टिकट भी कटा लिया था। कोरोना का प्रसार रोकने के लिए केंद्र ने एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर थर्मल स्क्रीनिंग को अनिवार्य बनाते हुए केवल उन्हीं यात्रियों को जाने देने की गाइडलाइन जारी की, जिन्हें बुखार या कोरोना का कोई अन्य लक्षण नहीं हो। इसमें आरोग्य सेतु एप के इस्तेमाल की सलाह भी शामिल है।स्पष्ट तौर पर केंद्र सरकार की कोशिश दो महीने से बंद अर्थव्यवस्था के पहिये को फिर से घुमाने और जनजीवन को सामान्य बनाने की थी, लेकिन कोरोना से जूझ रही राज्य सरकारें बिना किसी रोक-टोक के दूसरे राज्यों से लोगों को आने देने के लिए तैयार नहीं हैं। उससे भी बड़ी समस्या यह है कि इसे लेकर राज्यों में एकरूपता नहीं है। देश की राजधानी दिल्ली ने रेलवे और एयरपोर्ट की ओर से की जा रही स्क्रीनिंग पर भरोसा करते हुए यात्रियों को कहीं भी आने-जाने की पूरी छूट दी थी।वहीं, पंजाब और झारखंड ने बाहर से आने वाले सभी यात्रियों के लिए इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया है।
इसका अर्थ है कि ऐसे लोगों को गंतव्य पर पहुंचने के बाद किसी क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। इस बीच, महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि राज्य में 19 मई को जारी लॉकडाउन संबंधी आदेश के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में अभी राज्य में आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त किसी हवाई सेवा की अनुमति नहीं थी।कर्नाटक ने रेल से आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिन के इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन की व्यवस्था की थी। वहीं छह राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आने वाले हवाई यात्रियों के लिए सात दिन इंस्टीट्यूशनल और सात दिन होम क्वारंटाइन की व्यवस्था की गई थी। कोरोना से कम प्रभावित राज्यों से आने वाले हवाई यात्रियों को होम क्वारंटाइन रहना होगा। गर्भवती महिलाओं, 10 साल से कम उम्र के बच्चों, 80 साल से ज्यादा के बुजुर्गो और बीमार लोगों को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में नहीं रखा जाएगा।एैसा सरकार का मानना था। कारोबारियों को आइसीएमआर प्रमाणित लैब से मिली निगेटिव जांच रिपोर्ट के आधार पर क्वारंटाइन से छूट दी जाएगी। रिपोर्ट नहीं होने पर जांच की जाएगी और रिपोर्ट आने तक क्वारंटाइन रहना होगा। कर्नाटक ने 13 मई को राजधानी एक्सप्रेस से आए 50 यात्रियों को इसीलिए वापस दिल्ली लौटा दिया था, क्योंकि इन यात्रियों ने इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में जाने से मना कर दिया था।
रेलवे और हवाई यात्रियों को लेकर फैली दुविधा की वजह कोरोना की लड़ाई को राज्यों के भरोसे छोड़ने का केंद्र का फैसला है। लॉकडाउन-तीन तक केंद्र की ओर से बताया जाता था कि रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन कौन-कौन से होंगे और उनमें किन-किन गतिविधियों की इजाजत होगी। राज्यों को इनमें कोई भी ढील देने की इजाजत नहीं थी। लॉकडाउन-चार की गाइडलाइंस में केंद्र ने रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन तय करने की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ दी। यहीं नहीं, राज्यों को कंटेनमेंट एरिया और बफर जोन के बाद आद्दथक गतिविधियां तय करने की भी छूट दे दी गई।

केस 1: पवन कुमार (काल्पनिक नाम) को तीन दिन के लिए पंजाब से उत्तर प्रदेश जाना है। इस सफर के लिए उन्हें उप्र में 14 दिन होम क्वारंटाइन और वापसी पर पंजाब में 14 दिन इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में बिताना होगा। तीन दिन का सफर एक महीने में पूरा होगा।

केस 2ः रमन कुमार (काल्पनिक नाम) को तीन दिन के लिए दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पहुंचकर उन्हें 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना होगा। वापसी में दिल्ली में कोई रोक-टोक नहीं रहेगी। इस तरह तीन दिन के सफर में 14 दिन अतिरिक्त लगेगा।

केस 3: मदन कुमार (काल्पनिक नाम) को दिल्ली से बिहार जाना है। दोनों राज्यों में रेल या हवाई सफर कर आ रहे यात्रियों के लिए क्वारंटाइन की कोई शर्त नहीं है। ऐसे में उन्हें कोई अतिरिक्त समय नहीं लगाना होगा।

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