नीरव मोदी के मामले पर कांग्रेस बहुत ही अग्रेसिव है और मोदी सरकार से जबाब चाहती है लेकिन क्या उनके अध्यक्ष राहुल गांधी देश की जनता को बतायेगें कि जिस विजय माल्या की कम्पनी किंगफिशर पर फरवरी 2012 में अकेले स्टेटबैंक ऑफ इंडिया के 1457 करोड़ रूप्ये बकाया थे और वो उस कर्ज को चुका नहीं रहा था उसी विजय माल्या की उसी कम्पनी किंगफिशर को फरवरी 2012 में ही स्टेटबैंक ऑफ इंडिया ने 1500 करोड़ रू का और कर्ज क्यों और किसके कहने पर दे दिया।
केंद्र की सत्ता से कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की विदाई से केवल 6 महीने पहले, 15 नवम्बर 2013 को मुम्बई में आयोजित बैंकर्स कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए रिजर्व बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने बताया था कि देश के बैंकों ने स्वयं द्वारा दिए गए 1 लाख करोड़ से अधिक के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है. केसी चक्रवर्ती द्वारा दिए गए आंकड़ों की पुष्टि रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये गए उस आंकड़े से हो गयी थी जिसमें बताया गया था कि बैंकिंग की भाषा में 2007 से 2013 के बीच बैंकों में हुई 4,94,836 करोड़ रू की वृद्धि में से 1,41,295 करोड़ रू के कर्जों को बैंकों ने बट्टे खाते में डाल दिया है. इसलिये राहुल गांधी को देश से यह बताना चाहिए कि 1,41,295 करोड़ के जिस कर्ज को उनकी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने बट्टे खाते में डाल दिया था, बैंकों ने वह कर्ज किसको दिया था.? क्या यह कर्ज देश के कारपोरेट जगत को नहीं दिया गया था? इस कर्ज की वसूली के लिए उनकी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने उन कारपोरेट घरानों के खिलाफ क्या कैसी और कौन सी कार्रवाई की थी.? यदि नहीं की थी तो क्यों नहीं की थी?
राहुल गाँधी को देश के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या उन कारपोरेट घरानों के खिलाफ उनकी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने क्या इसलिए कार्रवाई नहीं की थी क्योंकि वो कारपोरेट घराने राहुल गाँधी,सोनिया गाँधी या फिर मनमोहन सिंह के दोस्त थे? राहुल गाँधी से यह सवाल पूछना इसलिए अनिवार्य और आवश्यक है, क्योंकि राहुल गाँधी आजकल अपने ऐसे ही तर्कों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आक्रमण कर रहे हैं. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके जिन तथाकथित मित्रों का नाम लेकर राहुल गाँधी आक्रमण कर रहे हैं वो असत्य है. स्वयं रिजर्व बैंक के आंकड़ें ही इस तथ्य की पुष्टि करते हैं.30 सितम्बर 2014 को, अर्थात केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के बनने के केवल 4 महीने बाद उजागर हुए रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार गौतम अडानी की कम्पनी पर बैंकों का 72,632.37 करोड़ रू का कर्ज बकाया था तथा रिलायंस समूह(अनिल अम्बानी) पर बैंकों का 1 लाख 13 हजार करोड़ रू का कर्ज बकाया था.?
एस्सार समूह के शशि एवम रवि रूइय्या पर बैंकों का 98,412 करोड़ तथा एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल की कम्पनी पर बैंकों का 57,744.3 करोड़ रू का कर्ज बकाया था.राहुल गाँधी से देश जानना चाहता है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने क्या अपनी सरकार बनने के 4 महीने के अन्दर ही उक्त कारपोरेट दिग्गजों को इतने भारी भरकम कर्ज दे दिए थे.? नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है. रिजर्व बैंक के दस्तावेज बताते हैं कि यह सारे कर्ज कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के शासन में ही दिए गए थे.उपरोक्त आंकड़ें कारपोरेट दुनिया के बड़े दिग्गजों के हैं. यूपीए सरकार की सरकारी कर्ज की कृपा से कृतार्थ हुए, 7 हजार करोड़ के कर्जदार भगोड़े विजय मालया और रॉबर्ट वाड्रा के व्यवसायिक साथी सहयोगी 19,100 करोड़ के कर्जदार के मालिक केपी सिंह सरीखे नाम भी शामिल हैं।इनकमटैक्स विभाग ने क्यों और किसके कहने पर उसके खाते डिफ्रीज कर दिए थे.? राहुल गाँधी से देश जानना चाहता है कि विजय माल्या किसका दोस्त था.?
और अंत में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न..जुलाई 2014 में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट ने यह आंकड़ा उजागर किया था कि वित्तीय वर्ष 2005 -06 से वित्तीय वर्ष 2013-14 तक की 9 वर्ष की समयावधि में डायरेक्ट कारपोरेट इनकमटैक्स की 5.42 लाख करोड़ की राशि को कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने बट्टे खाते में डाल दिया था. रिपोर्ट के अनुसार इसी समयावधि से सम्बन्धित सरकारी दस्तावेजों में दर्ज यूपीए सरकार की कारपोरेट दुनिया की मेहरबानियों की कहानी यह भी बताती है कि इस समयावधि में ही बट्टे खाते में डाली गयी कस्टम एक्साइज ड्यूटी और अन्य करों की राशि को बट्टे खाते में डाली गयी डायरेक्ट कारपोरेट इनकमटैक्स की राशि के साथ यदि जोड़ दिया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इन 9 वर्षों के अपने शासनकाल में यूपीए सरकार ने कारपोरेट जगत को लगभग 36.5 लाख करोड़ की कारपोरेट कर्ज माफी की सौगात दी थी.?
राहुल गाँधी को देश से यह बताना चाहिए कि कारपोरेट जगत को 36 .5 लाख करोड़ की इस तथाकथित कर्ज माफी की सौगात उनकी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने क्यों और किसके कहने पर दी थी तथा उसकी इस सौगात से देश के गरीबों का, देश के किसानों का, देश के आम आदमी का क्या कितना और कैसा भला हुआ था.?या फिर कुछ समय बाद मोदी सरकार को बदनाम व अस्थिर करने के लिये यह काम आयेगा इसलिये इस तरह की सौगात दी गयी और अब लाभ उठाया जा रहा है।