भड़काने की साजिश ?

भारत देश आज बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है और इसके लिये जो जिम्मेदार लोग है , वह सभी वही है जिन्होने अपने वजूद को बचाने के लिये पीढी दर पीढी अक्रान्ताओं से समझौता किया और अपने ही लोगों पर जुल्म ढाये। आज जो हालात है उसे देखकर यही लगता है देश गुलामी के दौर से आजादी के दौर में निकलने का प्रयास कर रहा हैं ।
सरकार की नीतियों पर गोैर किया जाय तो उसका पक्ष एकदम साफ है कि किसी भी मुसलमान को इससे कोई परेशानी नही होनी चाहिये , क्योंकि वह अपने इलाके में पहले से नागरिक है । सरकार की माने तो उन लोगों केा दिक्कत हो सकती है जो घुसपैठिये है और अनावश्यक रूप से देश में रहकर बेरोजगारी बढा रहें है , अपराध को जन्म दे रहें है और इस्लामिक जेहाद के नाम पर एक एक क्षेत्र को अपने कब्जे में इस्लामिक वर्चस्व वाला क्षेत्र बना रहें है। जैसे पूर्वोत्तर राज्य ,धूर्त राजनेता यह मानते है कि उनकी दुकान अब इस नागरिकता संशोधन बिल से बंद हो गयी हैं । कानून है तो लागू भी होगा और चार साल का समय कम नही होता इतने में बहुत कुछ हो सकता है।यह बात उनको डर कर गयी है ।नेताओं को लगता है कि अब अगर चुप रहे तो मुसलमानों का वोट नही मिलेगा। महिलाओं को पहले ही मोदी ने मिला लिया है। कश्मीर में भी उनका वर्चस्व समाप्त हो गया है । अगर अब चुप रहे तो मुसलमान समझेगें कि वह उनके लिये कुछ नही कर रहें है लेकिन सबसे बडी बात यह है राजनैतिक दलों के आका विरोध कर रहें है तो ठीक है लेकिन उनके पार्टी के कार्यकर्ता जो कि मुसलमान नही है और उनपर उनका कोई असर नही पडने वाला है वह इस आग को हवा क्यों दे रहें हैं।
अब बात करते है मुसलमान की , तो सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि किसी मुसलमान को इससे कोई नुकसान नही होगा । फिर भी दंगा क्यों हो रहा है , दरअसल उसे गुमराह किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि सरकार जब एनआर सी बनायेगी तो आपसे दस्तावेज मांगेगी तो आप क्या देगंे। बात भी सही है कि असल में वह मुसलमान होगें और भारतीय नागरिक होगें तो दस्तावेज भी होगें लेकिन अगर मुसलमान नही हैै जिन्होने इस्लाम में अपने आप का परिवर्तित किया ंहै तो उनके पास जो दस्तावेज होगें वह पूरे नही होगे , क्योंकि एक या दो पीढी पहले उन्हें अपने पूर्वज का नाम दिखाना पडेगा और अगर उन्होने इस्लाम स्वीकार किया है तो उसके दस्तावेज भी देने होगें।या पुनः हिन्दू बनना होकर अपने वंश को आगे बढाना होगा। उनके सामने यह दिक्कत है मोदी ने उन्हें जगजाहिर कर दिया है।
दूसरी बात जो मुसलमान है और आजादी के समय में देश में रहे उन्हें उससे दिक्कत नही है और जो लोग आजादी के समय देश को छोडकर गये मुसलमानों के घर व सम्पत्ति पर उनके रिश्तेदार बनकर कब्जा कर मुसलमान कहलाने लगे। उन्हें दिक्कत है एैसी प्रापर्टी जो कस्टोडियन प्रापर्टी थी उसको हडप गये। उन्हें दिक्कत है। इस तरह के कई हिन्दू है जो उस समय एक क्षेत्र के मुसलमान बन गये और वहीं तक सीमित रह गये। जठ मुसलमान व मेवाती पठान आदि तमाम बिरादरी इस्लाम में एैसी है जो कि परिवर्तित व लालची हिन्दू है और देश मंे मुसलमान बने हुए है।उन्हें डर है कि कस्टोडियन प्रापर्टी सरकार की होती है और वह उसे अधिग्रहीत कर लेगी जिसपर अब तक वह मौज कर रहे थे। नतीजा यह कि अब वह न हिन्दू रहे और न पूूूरी तरह से मुसलमान बन पाये। वह दस्तावेज कहां से लायेगें और क्या कहेगें कि वह हिन्दू है या मुसलमान ? इनको भी देश से जाना होगा और यह जहां जायेेगे वहीं इस संस्कृति को अपनायेगें।जाहिर सी बात है कि यह जहां जायेगें वह मुल्क परेशान होगा । हमारे नेता चाहते है कि अस्थिरता भारत में बनी रहे और उसका लाभ उन्हें पीढी दर पीढी मिलता रहे।
तीसरी बात यह है कि जिन लोगों ने घुसपैठ की है वह अपराधी है उन्हें सजा मिलेगी और जब उनसे पूछां जायेगा कि किसने मद्द की तो उसका नाम भी बतायेगें। पूरे षडयंत्र का पर्दाफाष होगा । जिसमंे हमारे देश के कई नेता , अधिकारी शामिल है। वापस उनके देश उन्हें भेजा जायेगा , या जेलों में बंद करके काम कराया जायेगा।उनकी मौज मस्ती आतंकवाद व अन्य ऐशों आराम छिनेगें , जिनके वह आदी नही है इसलिये उनके आकाओं को दिक्कत है कि उनकी पोल खोल देगें तो देशद्रोह के तहत मुकद्मा दर्ज होगा जो वह चाहते नही है। लेकिन सरकार के इस कदम ने उनके इस मंशा का पर्दाफाश कर दिया है।अब यह बडी मुसीबत उनके आकाओं के सामने हैं।
सही मायने में देखा जाय तो नागरिकता संशोाधन बिल जो आया है उसमें सरकार ने एक मौका दिया हेै उन लोगों को जो परिवर्तित हो इस्लाम में गये है और आज उनका झंडा बुलंद किये हुए है।वह हिन्दू बनकर वापस आ जाये। इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नही है। धर्म परिवर्तन बिल इस प्रकिया को पूरा कर देगा ।इसके अलावा जो दंगा कर रहें है सरकार उन्हें बक्खसने वाली नही है सरकार व सुप्रीमकोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया

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