परिवाद वाद व समाज को बचाने की जरूरत

देश में अधोषित युद्ध सा चल रहा है हर आदमी अपनी मनमानी कर रहा है और हम अपनी टिप्पणाी करने से बच रहे है। कारण साफ है देश के प्रति लोगों में विश्वास नही रहा और जिन्हें है उन्हें बरगलाया जा रहा है । लोगों को अपने ही लोग पर विश्वास नही है ,मन में एक दूसरे के प्रति द्वेष है और हम कुछ नही कर पा रहें है। परिवार की परिभाषा बिखर रही है और समाज टूट रहा है । लगता है भारत के अंदर ही एक और भारत विकसित होने का प्रयास कर रहा है जिसकी संस्कृति ,सभ्यता और संस्कार में काफी अंतर है।
मन बहुत दुखी है,पूरा देश जल रहा है,कितना भयानक षडयन्त्र है यह ? साफ दिखाई दे रहा है,कांग्रेसी बल्लियों उछल रहे हैं,बामसे और आइसा जैसे संगठन इतरा रहे हैं,बसपा- सपा- आआपा जश्न मना रहे हैं और वामियों की तो जैसे पौ बारह हो गई। इन्होंने किसानों को भड़काया,इन्होंने युवाओं को भरमाया,इन्होंने फौजियों को उकसाया,और तो और कवियों-साहित्यकारों-पत्रकारों तक अलगाव खड़े किए पर – 2014 में युगों से प्रयत्नरत राष्ट्रीय चेतना के उदीयमान सूर्य ने जो हिन्दू समाज की एकात्मता का इंद्रधनुष रचा था,उसे हिला न पाए। पर !! अबकी बार जो दाँव चला गया है, वो भयावह है,वो दुर्दम्य है,वो राष्ट्र विघातक है। आप पाएँगे कि इस चक्रव्यूह में उलझ कर रह गए हैं-राष्ट्रवादी, न बोल पा रहे-न चुप रह पा रहे हैं।किंकर्तव्यविमूढ हैं !!! अभिषेक मनु सिंघवी छाप जज बनाने की फैक्टरी के दो ख्यातनाम प्रोडक्ट- जजों ने नमक का बदला चुकाते हुए एक संवेदनशील मसले पर जल्दबाजी में फैसला देते हुए समाज को ज्वालामुखी के मुहाने पर ला खड़ा किया है, इनमें से एक महानुभाव तो राम मंदिर के मामले से अपना नाम वापस लेने वाले जज साहब भी हैं ।
जो काम जे एन यू, कन्हैया, हार्दिक पटेल, जिग्नेश- कल्पेश न कर सके, जो काम रवीश-राजदीप – पुण्य प्रसून न कर पाए, जो काम राऊल विंची, केजरीवाल, अखिलेश- तेजस्वी,माया- ममता न कर सके …..उस काम को एक न्याय के मंदिर में पुजारी बना बैठा प्यादा क्या सफाई से कर गया है? धन्य हो – कांग्रेस की नींव रखने वाले अंग्रेज ए ओ ह्यूम, जब जब ऐसा लगता है – मिलने वाला है कांग्रेस- मुक्त भारत , तभी कोई विषबीज, कोई स्लीपर सेल आकर खड़ा हो जाता है ।
…. मैं निराश नहीं हूँ , मित्रों ! क्योंकि मैं जानता हूँ हम संघ के स्वयंसेवक अपने भारतीय समाज को टूटने न देंगे, हम अपनी जान की बाजी लगा कर भी हिन्दू संगठन को बचाएँगे।बलिदान की घड़ी आने वाली है, अपने क्षुद्र स्वार्थों से ऊपर उठना होगा, झूठे मान-अपमान से किनारा करना होगा, जातिगत अहंकारों का त्याग करना होगा।आइए – उन्हें विश्वास दिलायें जो भड़क गए हैं, उन्हें सहेजें जो भटक गए हैं, उन्हें समझायें जो उत्तेजित हैं, हम – केवल हम ही यह कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें प्रेम से गले लगा कर समझाया जा सकता है- तर्कों – विवादों – बहसों से नहीं । और हम ये करके रहेंगे, क्योंकि – शुद्ध सात्विक प्रेम अपने कार्य का आधार है …
सरकार को इस पर समय रहते गौर करना चाहियेताकि देशके अंदर बन रहे देश को फलने फुलने से रोका जा सके और जो भारत पहले था उसकी कल्पना को ययार्थ रूप् में साकार करते हुए देश केा आगे ले जाने का काम किया जा सके। परिवार वाद की परिकल्पना को टूटने से बचाया जा सके और समाज की समसरता को लक्ष्ति किया जा सके।

 

 

Leave a Reply