नये उघोगपति टाटा समूह से सीख लें

1919 में लॉर्ग चेम्सफोर्ड ने साकची गांव का नाम बदल कर देश के महान उद्योगपति जमशेदजी नौशरवांजी टाटा के नाम पर जमशेदपुर रखा था।राजनेताओं ने भारत के औद्योगिकीकरण के इतिहास में जमशेदजी नौशेरवांजी जी टाटा की दूरदृष्टी का कई बार उल्लेख किया।वर्तमान सरकार ने एक विशेष डाक टिकट तथा एक काफी टेबल बुक जा लोकार्पण किया। देश के स्वाधीनता आंदोलन के परिपेक्ष्य में जमशेदपुर की चर्चा की जाय तो गत शताब्दी के तीसरे दशक में वैश्विक मंदी के दौरान यहां के मजदूर संघ का नेतृत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। 1925 में महात्मा गांधी स्वयं इस इस्पात नगरी में आए तथा कंपनी की प्रगति की कामना करते हुए, मजदूर मालिकों के बीच आदर्श मैत्री पूर्ण संबंधों का आग्रह किया था। हाल में ही उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास के लिए शांति आवश्यक शर्त है इसके लिए मजदूरों और मालिकों के मध्य सौहार्दपूर्ण सामंजस्य पूर्ण संबंध होने चाहिए।
जहां तक इस सरकार की बात है तो सरकार तो अपना दायित्व निभा ही रही है, समय आ गया है कि निजी क्षेत्र भी इस दिशा में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध कराना, गांव से निकटतम बाजार तक के लिए यातायात की सुविधा उपलब्ध कराना, ये सब सुविधाएं आप अपने सीएसआर के तहत प्रदान कर सकते है। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव गरीब और दुर्बल वर्गों पर होता है।जिस पर अधिक काम करने की आवष्यकता है और निजी क्षेत्र को ऊर्जा और संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री की पहल पर बने इंटरनेशनल सोलर एलियंस की निजी क्षेत्र को अक्षय ऊर्जा के नवीन स्रोतों में निवेश करना चाहिए। शहरों को पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल होना चाहिए। अपने शहरों के रखरखाव में सिर्फ प्रशासन ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी बराबर के भागीदार हो , इस बात पर बल देना चाहिये।
पिछले दिनों बात चली कि कुछ आर्थिक अपराधियों ने आर्थिक सुधारों में सुविधा का अनुचित लाभ उठाया, उद्योग संघों का उत्तरदायित्व है कि वे ऐसे तत्वों को अलग थलग करे।यह बात किसी और ने नही बल्कि उपराष्ट्रपति ने टाटा की व्यावसायिक नैतिकता और सामुदायिक कर्तव्य बोध की कही । ऑटोमेशन के दौर में निजी क्षेत्र की कंपनियां, सरकार और औद्योगिक संगठन कर्मचारियों को भविष्य की नई तकनीकों में प्रशिक्षित करें प्रशिक्षित कर्मचारी आर्थिक विकास के लिए आवश्यक, कर्मचारियों का प्रशिक्षण हर संस्था की कार्यप्रणाली का आवश्यक अंग होना चाहिए।इस वर्ष के बजट प्रावधानों से व्यवसाय करना और अधिक सरल और सहज होगा निजी क्षेत्र, कृषि और ग्रामीण विकास को अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तौर पर केन्द्र सरकार सहायता दे। उद्योग ऊर्जा और संसाधनों के संरक्षण तथा कार्मिकों के कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान दें और निजी क्षेत्र अक्षय ऊर्जा के नवीन स्रोतों में निवेश करे क्योंकि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर गरीब वर्ग पर पडता है इसलिये स्थाई विकास के लिए पर्यावरण सम्मत मॉडल पर बल दिया।जो वर्तमान समय में देष के लिये बहुत जरूरी हैं।
अपराध पर वर्णित बातों का उल्लेख किया जाय तो उद्योग संघों से अपेक्षा की कि वे आर्थिक और व्यावसायिक नैतिकता का उल्लंघन, आर्थिक अपराध करने वाले व्यावसायियों को अलग थलग करें। टाटा समूह की व्यावसायिक नैतिकता तथा सामुदायिक निष्ठा की सराहना करनी चाहिये कि निजी क्षेत्र को व्यावसायिक नैतिक आदर्श के ऊंचे मानदंड स्थापित करने चाहिए। इस संदर्भ में कुछ व्यवसायियों द्वारा आर्थिक सुधारों और सरल प्रक्रियाओं का गलत लाभ उठाया जिससे सुधार प्रक्रिया के प्रति संशय उत्पन्न हुआ।आर्थिक सुधारों को राष्ट्र में संपदा और समृद्धि के निर्माण के लिए अपरिहार्य है।निजी क्षेत्र से आह्वाहन किया जाना चाहिये कि बदलती हुई टेक्नोलॉजी और बढ़ते ऑटोमेशन के दौर में वे अपने कार्मिकों को भविष्य की नई तकनीकों में प्रशिक्षित करें। भविष्य के कर्मियों को एक नए कार्य परिवेश में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है जिसमें उन्हें विविध काम करने में सक्षम होना होगा। जहां तक आर्थिक विकास की बात है तो आर्थिक विकास के लिए कर्मियों का कौशल प्रशिक्षण एवम् दक्षता आवश्यक है। सतत कार्मिक प्रशिक्षण हर संस्था का दायित्व होना चाहिए उन्होने कहा कि महज सरकारी खर्च से अभीष्ट विकास दर प्राप्त नहीं की जा सकती। निजी निवेश, मांग और निर्यात भारत के आर्थिक विकास के तीन इंजन हैं।जिसे इस वर्ष बजट प्रावधानों से व्यवसाय करना और भी सहज और सरल होगा। उद्योग विकास को गति देता है अतः उसे दुविधा त्याग कर आगे बढ़ कर निवेश करना चाहिए तथा अर्थव्यव्स्था को गति प्रदान करनी चाहिए।कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका के विषय में इतना ही कहा जा सकता है कि हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग कृषि, कृषक और संबंधित व्यवसायों से जुड़ा है। आज जरूरी है कि हम कृषि को एक लाभप्रद और स्थाई व्यवसाय बनाने के लिए समन्वित प्रयास करें।
फिलहाल जरूरतें बहुत है और भारतीय अर्थव्यवस्था विष्व की पाचवीं अर्थव्यवस्था बन गयी है उसे देखकर लगता है आने वाले समय में जो लोग बेराजगार की बात करते है। उन्हें तमाचा लगने वाला है।प्रगति के पथ को आगे ले जाने के लिये हम सभी के प्रयास की जरूरत है और विष्व गुरू बनने की मंषा दिलों में डालना चाहिये।

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