वर्ष 2020 में दुनिया के 40 देशों में सामान्य चुनाव प्रस्तावित है। जिनमें से भारत, अमेरिका, यूरोपियन, यूनियन, ईरान, सूडान, वर्मा, दक्षिण कोरिया, इथोपिया आदि प्रमुख देश है। जिस कारण आज पूरे विश्व में वोटिंग उम्र 18 वर्ष से 16 वर्ष किये जाने के मुददे पर प्रमुखता से चर्चा हो रही है।
विश्व के लगभग 90 प्रतिशत देशों में 18 वर्ष की उम्र वालों को वोटिंग का अधिकार प्राप्त है, किन्तु वर्ष 1970 से पूर्व केवल 21 वर्ष या इससे ऊपर के नागरिकों को वोटिंग का अधिकार प्राप्त था। सबसे पहले वर्ष 1970 में पश्चिमी यूरोप के देशों ने वर्ष 1971 में अमेरिका, वर्ष 1972 पश्चिमी यूरोप के देशों नें, वर्ष 1971 में अमेरिका, वर्ष 1972 में पश्चिमी जर्मनी तथा वर्ष 1974 में आस्ट्रेलिया ने अपने-अपने देशांं ने वोटिंग की उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गयी। जब कि भारत में वर्ष 1988 से वोटिंग की उम्र 18 वर्ष की गयी।
अमेरिका में वर्ष 2020 में प्रस्तावित सामान्य चुनाव में वोटिंग उम्र को 16 वर्ष किये की मांग को लेकर Vote-16 USA नाम से अभियान चल रहा है। जब कि यूरोप में भी New Age in Voting- EU नाम से अभियान चल रहा है।
प्रजा तंत्र में अधिक से अधिक जनता की भागीदारी को महत्वपूर्ण माना गया है। लगभग पूरे विश्व में वोटिंग उम्र 16 वर्ष किये जाने की मांग जोर पकड़ रही है, परन्तु कुछ लोगों का मानना है कि 16 वर्ष की आयु के नागरिकों को वोटिंग का अधिकार मिलने से प्रजातंत्र में इसका दुष्प्रभाव पड़ेगां। जब कि आज के विश्व में साक्षरता के स्तर में वृद्धि होने, बेहतर शिक्षा उपलब्ध होने, बढ़ते आईक्यू लेवल, बढ़ती जागरूकात, इण्टरनेट से जुड़ाब तथा सोशल मीडिया के साथ निकट सम्पर्क होने के कारण आज का युवा पुरानी पीढ़ी की तुलना में अधिक स्मार्ट है तथा राजनैतिक व वैश्विक घटनाओं में अपनी स्वतंत्र राय रखता है।
यदि हम वर्तमान परिपेक्ष्य मे देखे तो 16 वर्ष औसतन की उम्र में कोई विशेष अन्तर नही है। युवाओं का मानशिक और व्यवहारिक स्तर जो 18 वर्ष की उम्र में होता है। लगभग वही 16 वर्ष की उम्र में दिखाई दे रहा है। यहां तक कि तकनीक के मामले में युवा पीढ़ी अधिक उन्नत है। आज से लगभग 4 देशक पूर्व भी जब
वयस्कता के निवारण के लिये उम्र 21 वर्ष से 18 वर्ष की गयी थी तब भी कई लोगों द्वारा कही आंशकायें व्यक्त की गयी थी। कि इस तरह का निर्णय प्रजातंत्र के लिये घातक होगा क्योंकि-
नई पीढी के लोगों का अपना कोई निर्णय नही होता है। 16 वर्ष की युवा पीढ़ी यह निर्णय नही ले सकती है कि कोनसी पार्टी सरकार चलाने के लिये सही है।
-बिना तथ्यों के जाने किसी के भी बहकावे में आ सकते है।
-वोटिंग के प्रति वह गम्भीर नही हो सकते।
परन्तु विश्व के देशों में वोटिंग उम्र 21 वर्ष से 18 वर्ष किये जाने से प्रजातंत्र को और अधिक मजबूती मिली है तथा सरकार में युवाओं की भागीदारी बढ़ने से सरकार काम-काज में सुधार हुआ है। विश्व के लगभग 10 देशों जिनमें अर्जेटीना, क्यूवा, ब्राजील, मालटा, आस्ट्रिया, स्कॉटलैण्ड आदि प्रमुख है, में वोटिंग की उम्र 16 वर्ष की जा चुकी है। जब कि उत्तरी कोरिया, ग्रीश, सूडान, दक्षिण सूडान व इपीओपिया में वोटिंग उम्र 17 वर्ष है।
हमारे देश में वर्ष 2019 में आम चुनाव होने हैं। आज से 4 दशक पूर्व क तुलना में आज का विश्व काफी उन्नत है, आज परिस्थितियां बदल चुकी है। आज के युवा उन्नत तकनीक के कारण पहले की तुलना में कहीं अधिक जागरूक हो चुके है। हमारे देश में वोटिंग उम्र 21 वर्ष से 18 किये जाने में विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी वर्ष लगे है। युवा पीढ़ी को शासन प्रणाली की जानकारी प्रारम्भ से ही होने से सरकार द्वारा देश के लिये बेहतर निर्णय लिया जा सकता है। 21 वी शदी को भारत के लिये माना जा रहा है। भारत के विकास में सभी नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चत करने के लिये वोटिंग उम्र 16 वर्ष किया जाना महत्वपूर्ण होगा।
Yes, it should be 16 .even gearless driving license r issued at 16,todays youth is deserving their say in matters related to country