पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक बहस चली जिसमें माननीय के विरुद्ध मामले जो पंजीकृत है ।उसकी समीक्षा की गई और यह पता चला कि बहुत भारी मात्रा में सांसद और विधायक जो अपराधिक प्रवृत्ति के हैं और उन पर मामले चल रहे हैं वह इस समय सदन के भीतर है कुछ पूर्व हो चुके हैं और कुछ का निधन हो चुका है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही ।
इसी को लेकर के भाजपा नेता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका सुप्रीम कोर्ट में 2016 से लंबित है। जिसमें वर्तमान व पूर्व सांसद विधायक के विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे की मांग की गई है ।मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है कोर्ट समय-समय पर हाईकोर्टऔर केंद्रीय जांच एजेंसियों को लंबित मामलों का ब्यौरा देने का आदेश देता है। पिछले आदेश पर दिए गए ब्योरे के आधार पर न्याय मित्र ने प्राप्त आंकड़ों में दाखिल केश के आधार पर अपनी 2017 में रिपोर्ट दाखिल की ।न्याय मित्र ने ऐसे मामलों में त्वरित निपटारे के लिए सुझाव दिए व कोर्ट के आदेश देने का अनुरोध किया।
देशभर में 48 सांसदों विधायकों के विरुद्ध सीबीआई के केस लंबित हैं। कुल 247 वर्तमान व पूर्व सांसद विधायक है जिनके विरुद्ध केंद्रीय जांच एजेंसियों की सीबीआई व एनआईए के केस लंबित है। यह बात विभिन्न एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर तैयार न्याय मित्र में सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में दाखिल कर कहा रिपोर्ट में देशभर की अदालतों में वर्तमान व पूर्व सांसद विधायकों के विरुद्ध आपराधिक मामलों का जो आंकड़ा दिया गया है उसके मुताबिक वर्तमान व पूर्व सांसद विधायकों के विरुद्ध अपराध के आंकड़े देखें तो देश भर में वर्तमान व पूर्व सांसदों के विरुद्ध 4984 अपराधिक मामले लंबित थे। ताजा आंकड़े 25 में से 16 हाईकोर्ट से आई रिपोर्ट के आधार पर आधारित है।
देश के 25 हाई कोर्ट हैं जिसमें से 9 ने अभी तक राज्यों में माननीयों के विरुद्ध लंबित मामलों की रिपोर्ट नहीं दिए ।रिपोर्ट न देने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के हाई कोर्ट शामिल हैं यह रिपोर्ट वर्तमान और पूर्व सांसदों विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की निगरानी के केस में न्याय मित्र वरिष्ठ वकील विजय हंस आर्य ने देशभर के हाई कोर्ट और केंद्रीय जांच एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार करके सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है जिस पर वह अब आगे कार्रवाई करेगा।
रिपोर्ट में केंद्रीय जांच एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों का जो ब्यौरा दिया गया है उसके मुताबिक वर्तमान व पूर्व सांसदों के विरुद्ध सीबीआई में कुल 121 केस लंबित है जिसमें से 14 मामले वर्तमान सांसदों और 37 पूर्व सांसदों के विरुद्ध पांच मामलों में आरोपित पूर्व सांसदों की मृत्यु हो गई है ।।विधायकों के विरुद्ध लंबित को देखें तो वर्तमान में कुल 112 विधायकों के विरुद्ध सीबीआई केस लंबित है जिसमें से 34 वर्तमान विधायक हैं और 78 पूर्व विधायक आरोपित 9 पूर्व विधायकों की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान व पूर्व सांसदों विधायकों के विरुद्ध लंबित सीबीआई के कुल मामलों में से 58 केस ऐसे हैं जिसमें उम्र कैद की सजा के आरोप हैं और 45 मामले ऐसे हैं जिसमें अभी अदालत में आरोप तय नहीं हुए।
रिपोर्ट मे आरोपित पूर्व व वर्तमान सांसदों विधायकों की संख्या अलग-अलग नहीं बताई है रिपोर्ट में कहा गया है कि क्या वह वर्तमान और पूर्व सांसदों के विरुद्ध मनी लोडिंग के केस लंबित है जिसमें से 28 में जांच चल रही है। 71 वर्तमान व पूर्व विधायकों के विरुद्ध मनी लेंडिंग के केस भी थे जिसमें से 48 की जांच चल रही है। 4केश एनआईए में लंबित है जिसमें से दो में आरोपित वर्तमान सांसद व विधायक हैं जबकि दो में से पूर्व सांसद विधायक हैं ।चार में से एक मामला 2011 का है जिसमें मृत्युदंड का प्रावधान है। यह बहुत ही गंभीर मामला है।
अब सवाल यह उठता है कि जो माननीय दोषी है अगर उनके विरुद्ध आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो वह जेल में होंगे ऐसे लोग देश को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता।
जरूरी यह है कि इतने महत्वपूर्ण मामले को निपटाया कैसे जाएं। अगर माननीय पर चल रहे मुकदमे पहले ही निपटा करके उन्हें चुनाव की लड़ने के लिए कहा जाए तो यह स्थिति में आए ही नहीं ।कम से कम माननीयों का तो सम्मानजनक स्थिति में होना बहुत ही जरूरी है।