ऐसा पहली बार नही है जब जब भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर की बात की है तो आधी अधूरी बात की है उसे यह नही पता कि आखिर पीओके नामक चिडिया के पास है क्या ? जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कह रहा है और किस बूते पर कह रहा है। यहाँ याद दिलाने वाली बात यह है कि पाक को आज जो प्रचुर मात्रा में खनिज सम्पदा मिल रही है वह इसी क्षेत्र से है जिसपर अब धीरे धीरे चीन का कब्जा होने लगा है। नाम तो पाक का हो रहा है लेकिन सारे फायदे चीन उठा रहा है। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि जो लडाई हम पाक से लड रहे है उसे हमें चीन से लडना चाहिये और सारे विश्व के सामने पाक के साथ साथ चीन को भी बेनकाब करना चाहिये । इस बात का प्रमाण यह है कि अजहर मसूद के नाम पर आज अगर सहमति नही बन पायी है तो उसका कारण परोक्ष रूप से चीन का उसके साथ होना है क्योंकि इस आतंक का लाभ दिखाकर वह उसे घीरे घीरे अपने कब्जे में ले रहा है।
पाक ने कश्मीर का जो हिस्सा अधिकृत कर रखा है उसमें सबसे लेह के ग्यारह गांव है और यह हिस्सा ही सबसे ज्यादा प्रभावित रहा।इसके प्रभावित होने का सबसे बडा कारण यह है कि इसके साथ जो मीरपुर उन्होने अधिग्रहित किया था वहां पाकिस्तान ने एक बांध बना लिया और मीरपुर जलमग्न हो गया । इसके बाद जो मीरपुर बनाया गया वहां भी कश्मीर वाले कानून चल रहें है यानि कोई भी बाहरी आदमी आकर वहां नही बस सकता , चूंकि यह सुन्नी मुस्लिम का क्षेत्र है इसलिये पाकिस्तान ने यहां कोई बदलाव नही किया लेकिन जहां बदलाव किया वह क्षेत्र गिलकिट व बलिस्तान का था , यहां सुन्नी मुसलमान नाममात्र के भी नही है।ज्यादातर लोग बौद्ध या अन्य महजबी जैसे शिया है। यहां कोई भी आकर बस सकता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में अधिग्रहण के बाद जनसंख्या 70 प्रतिशत तक बढी और बाहरी लोगों को भी बसाया गया । इस क्षेत्र पर सुन्नी मुसलमानों का आतंक सबसे ज्यादा है जो कि मुसलमान बनाने के लिये किसी हद तक जा सकते है। इतने के बाद भी आज लोग वहां स्वाास्तिक के साथ जी रहे है । हर किसी के गले में स्वास्तिक दिख जाता है चाहे वह बूढा हो , जवान हो या फिर बच्चा या फिर मवेशी । यह वहां के संस्कृति का एक हिस्सा है जो भारतीय सेना का इंतजार कर रहा है कि वह उसे उस दांस्ता से मुक्त करे जो कि आज वह झेल रहें है।सर्जिकल स्टाइक से सबसे ज्यादा खुशी उन्ही को हुई थी। उन्हें अब की सरकार में उनके गुलामी का हल दिखता है।
जब बात गिलकिट व बाल्टिस्तान की हो रही है तो इसके बारे में भी बता देना सही होगा। यह वह हिस्सा है जिस पर बने बांध से पाकिस्तान के 70 फीसदी आवाम को बिजली मिल रही है। एक पठार है जो बहुत बडा व खूबसूरत है,दुनिया के आठ बडे ग्लेशियर यही पर है और खनिज सम्पदा का भंडार है जिससे पाकिस्तान के 90प्रतिशत आवाम का पेट पलता है।सबसे खास बात यह है कि पर्यटन की दृष्टि से यह पाक का सबसे प्रभावशाली क्षेत्र था लेकिन 1990 में जब आतंकवाद आया तो यहां कोई अब घूमने नही जाता ।पूरा पाक अशांत है लेकिन यह आज भी शांत है। सांस्कृतिक दृष्टि से देखा जाय तो बौद्ध धर्मावलम्बियों का जमावडा है और वह किसी से नही घुलते मिलते है।वहां की भाषा भी उनकी अपनी है उन्होने उर्दू को नही अपना बल्कि शारदा स्क्रिप्ट ही बोलते है।लेह से अलग होने के कारण उसपर लेख की संस्कृति का जादू सिर चढकर बोलता है। किन्तु चीन व पाक मिलकर अब इसे खत्म करना चाहते है और एक और बांध बनाने का काम शुरू होने वाला है जिससे कि गिलकिट व बाल्टिस्तान पूरी तरह से खत्म हो जायेगा या यूं कह लिजिये कि जलमग्न हो जायेगा। विस्थापितों को जहां बसाया जायेगा , वह पाकिस्तान का वह हिस्सा होगा जहां कि इस संस्कृति को नष्ट करने की कोई कोर कसर नही होगी। इसी बात की चिन्ता अब उन्हें सता रही है।
फिलहाल गिलकिट व बाल्टिस्तान के नागरिक चाहते है भारतीय सेना वहां भी कारवाई करके उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाये और सम्मान से जीने का हक दे। जब प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से इस बात का जिक्र किया तो गिलकिट व बलिस्तान ने ही सबसे पहले भारत से सुर से सुर मिलाया और अब प्रधानमंत्री की बाट जोह रहें है । उन्हें दुख इस बात का भी है कि पाक का राजदूत में भारत में अलगाववादी नेताओं से मिलता व दावत देता है लेकिन भारतीय राजदूत ने गिलकिट व बाल्टिस्तान या पीओके के नेताओं से सम्पर्क क्यों नही किया?