न्याय को लेकर एक सार्थक पहल

 

बहुत दिनों से एक चला आ रहा विवाद अब खत्म हो गया ।लोगों का मानना है कि भारतीय दंड संहिता आने से भारतीय इतिहास में एक नई सफलता का उल्लेख होगा क्योंकि जो कानून अब तक चल रहा था वह अंग्रेजों का बनाया हुआ कानून था और उसे अट्ठारह वी सदी में बनाया गया था 19वीं सदी चली गई ,बीसवी चली गई ,21वीं चली गई, 22वी चली गई ,23 में चल रही है। इतने साल तक हमने गुलामी के दंश को काटा, किसी भी सरकार ने आजादी के 75 वर्ष बीतने के बाद भी कुछ नहीं किया उसे यथावत रखा था कि लूट चालू रहे, सभी लूट रहे थे जो जहां बैठा था वही लूट रहा था, न्याय के नाम पर अब तक सिर्फ लूट ही हो रही थी।

लोकसभा में  इस बात का विधेयक आया तो लोगों को काफी नागवार गुजरा, कुछ लोगों ने तो इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे असंवैधानिक बता दिया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक हम कबिलो के कानून पर चलते रहेंगे। कबीले और आज के दौर में बहुत फर्क है इस फर्क को समझना होगा और यह तय करना होगा कि हमें कबीलो के हिसाब से चलना है या सामाजिक मान मर्यादा और प्रतिष्ठा के नाम पर, सिर्फ क्रिमिनल लॉ ही नहीं ,सिविल ला को भी बदलना होगा। तब देश में न्याय की व्यवस्था कायम होने की शुरुआत होगी।

पिछले कुछ सालों में जो न्याय को लेकर स्थिति हुई है वह काफी ही भयावह रही है ,अपराधी खुलेआम घूम रहे थे और न्याय की गुहार लगाते लोग अदालत के चक्कर काट रहे थे ।यह कैसे समय में था ,जब डिजिटल इंडिया के दौर में भारत चल रहा है ।बाबू काम नहीं करना चाहता ,जज साहब कोर्ट में नहीं बैठना चाहते और मुविकील घूमता रहता था। तारीख पर तारीख मिलती थी और अंत में वह मर जाता था उसके बाद उसके बच्चे न्याय की गुहार लगाते थे। एक ऐसे देश में जहां सनातन परंपरा कायम है ,वहां इस तरह का न्याय कभी नहीं रहा ।लोगों को अटपटा जरूर लग रहा है लेकिन वह आने वाले समय में इस बात को समझने लगेंगे कि कुछ तो गड़बड़ था जिसे सुधारने की जरूरत थी।

केंद्र सरकार ने क्या सही किया क्या गलत किया यह आने वाला समय बताएगा। लेकिन बिना पूरे मामले को समझे इस पर टीका टिप्पणी करना निहायत गलत है। किसी चीज की शुरुआत हो रही है तो उसका स्वागत करना चाहिए ।घटिया कानून से निकलकर एक अच्छे कानून की व्यवस्था को लेकर के जो इंतेजामत किए गए हैं, वह अच्छे हैं या खराब है यह देखने के बाद पता चलेगा लेकिन पहल तो हुई इस बात का स्वागत होना चाहिए ।क्रिमिनल लॉ में बहुत सी धाराएं बदल गई हैं जिसके कारण अब कुछ दिक्कतों का सामना पुराने वकीलों को करना पड़ेगा, जो ढर्रा चल रहा था उसे धारा को खत्म करना पड़ेगा।

फिलहाल कुछ समस्याएं तो हट जाएंगे लेकिन कुछ समस्याएं बरकरार रहेंगे क्योंकि क्रिमिनल लॉ में भी बहुत सी ऐसी चीज हैं जो एक सी नहीं है। हिंदुओं के लिए अलग कुछ कानून है और मुसलमान के लिए अलग दोनों को एक दायरे में ले आना होगा ।हिंदुस्तान में रहते हैं तो हिंदुस्तान के कानून को मनाना होगा। यह बात अब मुसलमान को समझ लेनी चाहिए ,मर्जी नहीं चलेगी ,कबीलो का कानून नहीं चलेगा, कानून को दंडवत करना पड़ेगा। इंसाफ को मानना पड़ेगा और वह चीज बंद करनी पड़ेगी जो देश में विवाद का कारण है। जिहाद, मास ब्लीचिंग ,यह सब चीज बंद करनी पड़ेगी ।पत्थर बाजी से तौबा करना पड़ेगा, नहीं बुलडोजर चलेगा और तबाही आएगी ।सरकार पूरी तरह से अराजक तत्वों को नस्ता नाबूत करने के मूड में है।

इसी क्रम में सरकार को एक और पहल करनी चाहिए अधिकारियों के यहां चलने वाले जो मुकदमे हैं। उनका समय निर्धारित कर देना चाहिए क्योंकि यही मुकदमे बाद में कोर्ट में जाकर के लंबा समय खींच देते हैं और न्याय प्रभावित होता है रिश्वत के चक्कर में अधिकारी इन मामलों पर कार्रवाई नहीं करते, दूसरे काम का बहाना कर कोर्ट में नहीं बैठते और मामला लंबा खींच जाता है। नगर निगम ,डीए , बिजली विभाग व अन्य इस तरह के विभागों में और भी हालत खराब है। छोटे-छोटे मामलों में कई साल बीत जाते हैं आदमी का मामला नहीं निपटता ,बिना लेनदेन के कुछ नहीं होता यहां पर भी समय सीमा तय होनी चाहिए कि किस मामले को कितने दिन में निपटाना है यह एक बेहतर न्याय के लिए बहुत जरूरी है।

 

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