कर्नाटक कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं

हाल में ही कर्नाटक के चुनाव हुए हैं जिसमें कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई लेकिन उसके साथ चल रहे मुसलमानों को कुछ नहीं मिला मुस्लिम मंच  ने मांग की थी कि उपमुख्यमंत्री कर्नाटक का मुस्लिम होना चाहिए और मंत्रिमंडल में 5 मुस्लिम शामिल होने चाहिए लेकिन कांग्रेस की सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया सिर्फ एक मुस्लिम को शामिल किया है जिसकी चर्चा अब होनी शुरू हो गई है।

कर्नाटक सरकार पर नजर डाली जाए तो सबसे पहली बात यह कि कर्नाटक सरकार जब बनी और कांग्रेस को बहुमत मिला तो उस समय कांग्रेस में दो घड़े थे एक सिद्धारमैया का और दूसरा शिव कुमार का दोनों मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन मामला पेचीदा तब फस गया जब मुस्लिम समुदाय ने यह कहा कि उपमुख्यमंत्री मुस्लिम होना चाहिए और उसके साथ साथ पांच मंत्री मुस्लिम होने चाहिए। कांग्रेस सरकार गफलत में फंस गई एक तो पहले ही शिवकुमार सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ रहे थे उनका मामलाथम नहीं रहा था दूसरे अब मुस्लिम समुदाय की बात काफी दिन तक बात चलती रही फिर कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय से पल्ला झाड़ लिया और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बन गए और शिवकुमार को डिप्टी सीएम बना दिया गया।

ऐसा क्यों हुआ इसके कई कारण थे। पहला कारण तो यह था कि कर्नाटक में हिंदू 83% हैं और मुस्लिमों की संख्या कम है ऐसे में मुस्लिमों को ज्यादा बढ़ावा देने से हिंदुओं में आक्रोश पैदा होता है यह कर्नाटक के लिए भी ठीक नहीं था और दूसरे राज्यों में जो चुनाव होने वाले हैं उनके लिए भी ठीक नहीं था क्योंकि फिर कांग्रेस के खिलाफ मतों का ध्रुवीकरण होता और यह कहा जाता कि यह मुस्लिमों की पार्टी है हिंदू वोट उसे कम मिलते हैं और कुछ राज्यों में जो सरकार बनने वाली है उस पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। समय रहते कांग्रेस ने अच्छा फैसला लिया और मुस्लिमों  को कर्नाटक में कम सीट देकर एक मिसाल कायम की। इससे लगता है कि कांग्रेस को भी मुस्लिमों पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं है वह समय आते बदल जाते हैं इस बात का आभास होने हो गया है।

कांग्रेस के इस घटनाक्रम से भाजपा को एक बहुत बड़ा फायदा होने वाला है जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां मुस्लिमों का वोट स्थिर होगा क्योंकि वह जानते हैं कि कोई भी पार्टी उनकी सगी नहीं है और जिस तरह कांग्रेस ने कर्नाटक में धोखा दिया उसी तरह अन्य दल भी धोखा दे सकते हैं इसलिए वह बहुत ही सोच समझकर के वोट डालेंगे ताकि जो सरकार बने उनके लिए कुछ कर सके। हिंदू वोटों का प्रतिशत वैसे भी बहुत ज्यादा हर राज्य में है मुसलमानों का प्रतिशत उनसे कम है इसलिए बहुत मुमकिन है कि साथ मिलकर ही कोई अच्छा लाभ लिया जा सके बजाय उनका विरोध करके मुस्लिम वोटर भी अब अपना फायदा और नुकसान देखने लगे हैं उनके यहां की महिलाएं किस पार्टी में सुरक्षित है इस बात को पहले समझती हैं। अपने पति के बहकावे में नहीं आती उनके लिए वही दल फायदेमंद है जो उनकी बिरादरी को फायदा पहुंचाता उत्तर प्रदेश में उन्होंने वही किया और अन्य राज्यों में भी वही करने की कोशिश कर रही हैं यही कारण है कि मोदी सरकार दूसरी कार्यकाल को पूरा कर पाई है।

फिलहाल हर दलों की निगाह मुस्लिम वोटरों पर है हर दल चाहते हैं कि उनका एक तरफा वोट उनको मिले और वह सरकार बनाने की स्थिति में हो लेकिन अब मुस्लिम मतों का भी मजा खराब हो रहा है कुछ लोग कट्टरवादी हैं जो भाजपा का समर्थन नहीं करते लेकिन ज्यादातर लोग अब भाजपा को समर्थन करने लगे जिससे पता चलता है कि राष्ट्र के प्रति उन लोगों की उदारता बड़ी है और उन्हें लगने लगा है कि भाजपा के कार्यकाल में ही उनको कुछ उपलब्धि मिल सकती है देश तरक्की कर सकता है और एक अच्छा जीवन प्राप्त किया जा सकता है।

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