पुरातत्व के भीष्म पितामह।

अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे राम मंदिर के स्तंभ होने की बात कहने के बाद काफी चर्चा में आने वाले प्रोफेसर बीवी लाल का 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया उन्होंने अंतिम सांसें दिल्ली में ली। उन्होंने सिंधु घाटी की सभ्यता ,रामायण ,महाभारत , कालीबंगा पर कार्य किया और पुरातत्व से जुड़ी कई चीजों को देश के सामने लाए, अयोध्या मामले में भी कोर्ट ने उन्हीं के सबूतों पर आदेश सुनाया।

 प्रोफेसर लाल का जन्म 2 मई 1921 को उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ था लेकिन वह दिल्ली के हौज खास इलाके में रहते थे। पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे श्रेष्ठ नागरिक अलंकारों से सम्मानित देश के विख्यात पुरातत्व प्रोफेसर बृजवासी लाल उर्फ बीवी लाल का अंतिम संस्कार भी दिल्ली में ही हुआ। वह ऐसे पहले पुरातत्व विद्वान थे जिनके पास हिंदुओं से जुड़ी सभी चीजों के प्रमाण थे ,जो धीरे-धीरे समय समय पर भारत के काम आए। चाहे वह बाबरी मस्जिद प्रकरण हो, ज्ञानवापी का मामला हो या फिर मथुरा का, तीनों में उनके प्रमाण की समीक्षा कोर्ट कर रही है।

 इसके बाद शिमला स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में डायरेक्टर के पद पर योगदान दिया उन्होंने यूनेस्को की कई समितियों में शामिल रह कर काफी समय तक इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे पुरातत्व विज्ञान के क्षेत्र में सिंधु घाटी सभ्यता ,भारत का निर्माण और रामायण पर उनके किए गए कार्यों को अलग-अलग रेखांकित किया जाता है ।पुरातत्व के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2000 में राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण सम्मान और 2021 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था।

उत्तर प्रदेश प्रोफ़ेसर लाल ने हस्तिनापुर , शिशुपाल गढ़ उड़ीसा ,पुराना किला दिल्ली ,काली बंधन राजस्थान सहित कई एवं ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई की और इतिहास की ढेर सारी छोटी परतें खोली 1975- 76 के बाद रामायण से जुड़े अयोध्या, भारद्वाज आश्रम ,श्रृंगवेरपुर ,नंदीग्राम और चित्रकूट जैसे स्थलों की खुदाई कर दुनिया के सामने रखें ।उनके नाम पर 150 से अधिक शोध दर्ज हैं प्रोफेसर लाल ने उनकी ऐतिहासिक मंदिर और सेतु साहित्य पुरातत्व और अन्य विज्ञान नामक किताब लिखी उन्हें वर्ष 1984 में सर मोंटीमर व्हीलर ने तक्षशिला में प्रशिक्षित किया था। 

 फिलहाल हिंदू समाज को यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रोफेसर बी लाल ने जो कार्य किया वह अविस्मरणीय है ।अयोध्या पर दिए गए उनके प्रमाण जिन पर आज राम मंदिर बन रहा है वह उनके साथ जोड़कर देखा जाएगा ।इसी तरह आने वाले समय में ज्ञानवापी मस्जिद तोड़ा जाएगा और वहां पर काशी विश्वनाथ का पूरा प्रांगण बनेगा ।मथुरा में भी मंदिर का पूरा प्रांगण होगा इस बात के भी प्रमाण वह लगभग दे चुके हैं। हिंदुत्व के लिए वह एक वरदान थे जिसे देश को नहीं भूलना चाहिए ।प्रोफेसर बी लाल की आत्मा को भगवान शांति दे।

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