पिछले कुछ दिनों से अंबेडकर को लेकर के विवाद भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रहा है । मामला अब हाथापाई की नौबत तक आ गया है। धक्का मुक्की हो गई प्राथमिकी दर्ज कराई गई , आरोप लगाया गया, हंगामा खड़ा हो गया।
देखा जाए तो 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे डॉ. अंबेडकर का बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा।समाज के तिरस्कार और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने शिक्षा को अपने जीवन का ध्येय बना लिया।उनकी पहली शादी रमाबाई से मात्र 14 वर्ष की उम्र में हुई थी, जिन्होंने हर कठिनाई में उनका साथ दिया और पढ़ाई के लिए हमेशा प्रेरित किया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे ।उन्होंने एल्फिंस्टन स्कूल से पढ़ाई की थी, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र व राजनीतिज्ञ विज्ञान में डिग्री प्राप्त की।डॉ. अंबेडकर ने कुल 32 शैक्षणिक डिग्रियां हासिल कीं जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उनकी पढ़ाई का जुनून उन्हें भारत से लेकर अमेरिका और ब्रिटेन तक ले गया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी से एमए और पीएचडी करने के बाद उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मात्र दो साल तीन महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी कर “डॉक्टर ऑफ साइंस” की डिग्री हासिल की. यह डिग्री पाने वाले वह दुनिया के पहले व्यक्ति थे।
डॉ. अंबेडकर ने विभिन्न विश्वविद्यालयों से एलएलडी, डीएससी, और डीलिट जैसी उच्चतम डिग्रियां हासिल कीं। बॉम्बे यूनिवर्सिटी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, उस्मानिया यूनिवर्सिटी, नागपुर यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, और बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने उनकी विद्वता को सलाम किया. ये भी कहा जाता है कि डॉ. अंबेडकर को एक-दो नहीं बल्कि 9 भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा मृत्यु के समय डॉ. अंबेडकर के पास 30 से 35 हजार किताबें थीं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा दिए गए वक्तव्य से यह पता चलता है कि कांग्रेस में डॉक्टर अंबेडकर के लिए कुछ नहीं किया। मायावती की माने तो कांग्रेस ने उन्हें कानून मंत्री पद से हटाया और चुनाव में उनका विरोध किया उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। ऐसे लोगों पर अब दलित समाज कभी विश्वास ना करें, यह घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। कई और लोगों ने कांग्रेस को अंबेडकर के विरुद्ध बताया।
फिलहाल कांग्रेस ने जिस तरह से डॉक्टर अंबेडकर का दोहन किया उस तरह से किसी दल ने उनकी अवहेलना नहीं की थी इसलिए कांग्रेस को चाहिए कि वह उनका समर्थन और विरोध की बातें करना बंद कर दें। दूसरों पर आरोप लगाने से अच्छा है खुद अपने गिरेबान में झांक कर देख ले।