गौहत्या और साम्प्रदायिक सोच

समाज का एक वर्ग एक ओर गौहत्या बंदी को अपने मजहब पर अतिक्रमण मान रहा है वहीं दूसरी ओर सेक्युलर लोग ,स्वयम्भू बुद्धिजीवी इसे भगवाकरण की संज्ञा दे रहे हैं।

 एक और तो सरकार कछुए से लेकर बाघ, शेर जैसे जंगली जानवरों की रक्षा के लिए राजकोष से भारी-भरकम धनराशि खर्च करती है, उनके लिए अभयारण्य बनाती है, उनका शिकार करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करती है, उसके लिए कानून हैं , वहीं दूसरी ओर गाय जैसे उपयुक्त प्राणी के वध का अधिकार समाज के एक तबके को जो अनुचित मांग कर रहा है उसे दे देती है। यह कितनी बड़ी विसंगति है ।

प्रायः दवाओं को कैप्सूल में डालकर मरीजों को दिया जाता है । इस कैप्सूल के पदार्थ को  जिलेटिन कहा जाता है। इसे मवेशियों की हड्डियों से बनाया जाता है। इसके लिए जिंदा पशुओं को मारने का धंधा चल पड़ा है।

गाय

  गाय एक महत्वपूर्ण पालतू जीव जिसे हम गौ माता कहते हैं। संस्कृत में गौ का एक अर्थ पृथ्वी भी है अर्थात गौ पृथ्वी माता या धरती माता है। भारत में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्व रहा है। प्रागवैदिक काल में आदान-प्रदान एवं विनिमय हेतु गाय का उपयोग होता था। मनुष्य की आर्थिक स्थिति का पैमाना गाय की संख्या से होता था कि उसके पास कितना गोधन है। गौ हत्या महा पातकी पापों में मानी जाती थी। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन गौ पूजन का उत्सव मनाने की परंपरा रही है। जिसे गोपाष्टमी कहते हैं।

  दुनिया भर में गायकी 800 प्रजातियां हैं और भारत में 36 प्रकार की हैं। गाय दिन में दो बार दूध देती है और चारे को पचाने के लिए दिनभर जुगाली करती है ।गाय को सचल दवाखाना भी कहते हैं।

    योजना आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में गायों की संख्या 1947 में एक 129  करोड़ थी जो घटकर इस समय केवल 10 करोड़ रह गई है उस समय देश की आबादी 34 करोड़ थी जो आज 130 करोड़ है।

गाय के पाचन संस्थान में 4 हिस्से होते हैं । Rumen, Retilum,Omasum,Abomasum | पहले दो हिस्से खाने की सामग्री संग्रहित करते हैं और उसे टुकड़ों में करने का कार्य करते हैं | अन्य दो हिस्सों में खाये  हए खाद्य  को पचाने  का काम होता है | गाय का भोजन ग्रहण करने से दूध देने की प्रक्रिया तक 2 दिन का समय लगता है| मानव शरीर में छोटी आंत करीब 20 फीट लंबी और बड़ी आंत करीब 5 फीट लंबी होती है| गाय में 140 से 180 फीट तक की लंबाई में होती है|  गाय की गंध सूंघने की क्षमता 5 मील दूर तक की है|  साधारणतया गाय 4 से 6 घंटे खाने में लगाती है और 8 से 9 घंटे जुगाली करने में लगाती है|  लगभग 14 – 15 घंटे खाने की गतिविधियों में लगाती है| एक स्वस्थ गाय का वजन 400 से 500 किलोग्राम होता है| जो दिन में करीब 8 से 12 किलो चारा खाती है| गाय हरा चारा खाती है लेकिन दूध सफेद आता है| दूध को सफेदी कैसीन नामक प्रोटीन से मिलती है| यह प्रोटीन कैल्शियम के साथ-साथ दूध को सफेद रंग देने का काम भी करता है| दूध में मौजूद वसा भी सफेद रंग का होता है यही कारण है कि दूध में जितनी ज्यादा मात्रा में वसा या चिकनाई होती है वह उतना ही ज्यादा सफेद होता है| कम वसा वाला दूध हल्का मटमैला दिखाई देता है | वसा की अधिकता के कारण ही भैंस का दूध गाय के दूध से अधिक सफेद होता है इसके अतिरिक्त एक कारण और भी है जो दूध को सफेद दिखाता है वह कारण है कि- कुछ चीजें प्रकाश का पूरी तरह से अवशोषण नहीं कर पाती हैं और प्रकाश को जैसे का तैसा लौटा देती हैं इसलिए भी देखने में दूध का रंग सफेद लगता है|

देशी गाय के दूध में हल्का पीला रंग

देसी गाय का दूध/घी  हल्के पीले रंग का दिखता है|  देसी गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होता है जो ऊपर की ओर उठा और शिवलिंग के आकार जैसा होता है| गाय की इस कूबड़ की रचना और इसकी कार्य प्रक्रिया दूध हेतु महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है| वास्तव में इस कूबड़ में एक नाड़ी जिसे सूर्यकेतु नाड़ी कहते हैं होती है | यह नाड़ी जब गाय सूर्य प्रकाश में खड़ी रहती है तब सूर्य किरणों की ऊर्जा को अवशोषित करती है जिससे गाय के शरीर मे स्वर्णतत्व की मौजूदगी रहती है जो सीधे गाय के दूध और मूत्र में मिलती है | इसके कारण गाय का दूध भी हल्का पीला रंग लिए हुए होता है। विदेशी नस्ल की संकरित गायों के दूध या घी में हल्का पीलापन नहीं दिखाई देता क्योंकि गर्दन के पास की कूबड़ की रचना केवल देसी गायों में ही होती है विदेशी नस्ल की संकरित गायों में नहीं| पीलापन यह स्वर्णाक्षर के कारण आता है|

 गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर को सामूहिक रूप से पंचगव्य कहा जाता है| आयुर्वेद में इसे औषधि की मान्यता है| पंचगव्य द्वारा शरीर के रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है|

अपना शरीर और ब्रह्माण्ड पांच तत्वों से बना है|  यह पांच तत्व है पृथ्वी, तेज (अग्नि), वायु, जल और आकाश| गाय के  इस पंचगव्य का इन पांच तत्वों से पूर्ण मेल खाता है-

 आकाश तत्व का संबंध छात्र से है|

 जल तत्व का संबंध दूध के साथ है|

अग्नि तत्व का संबंध घी के साथ है|

पृथ्वी तत्व का संबंध गोबर के साथ है|

वायु तत्व का संबंध गोमूत्र के साथ है।

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