इस साल जनवरी में जब जी-20 की बैठक हुई तो दक्षिणी विश्व का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, 125 देशों ने भाग लिया ।वहां एक मत से यह बात कही गई थी कि भारत को दक्षिणी विश्व के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाना चाहिए । एक धरती ,एक परिवार, एक भविष्य को दक्षिणी विश्व का सबसे बड़ा लक्ष्य बनाय गया ।हमने जी-20 की बातचीत और फैसलों में दक्षिण विश्व को केंद्र में रखने की कोशिश की। दक्षिणी अफ्रीकी संघ को इसकी स्थाई सदस्यता देने का भी प्रस्ताव रखा ।दक्षिण विश्व की बात करते हुए हम उत्तर को अपना प्रतिद्वंदी नहीं बनाना चाहते, बल्कि यह एक विश्व एक भविष्य के लिए हैं।
यह सही है कि सदी की शुरुआत से ही रिश्तो में सुधार हुआ है ।पिछले 9 साल में रिश्ते नई ऊंचाई पर हम पहुंचे हैं। दोनों ही देशों की सरकारें हो, संसद हो, उद्योगों जगत हो,अकादमी जगत के लोग हो या फिर आम लोग हो। सभी में इसमें व्यापक समर्थन मिला है पिछले 9 साल में अमेरिका का कोई भी नेतृत्व हो, सभी के साथ अच्छा तालमेल रहा है ।अभी जून में अमेरिका की यात्रा जब प्रधानमंत्री ने की तो राष्ट्रपति वार्डन और प्रधानमंत्री इस बात पर सहमत हुए कि दुनिया के 2 बड़े लोकतंत्र के संबंधित सदी में दोस्ती का उदाहरण बन सकते हैं ।भरोसा परस्पर विश्वास और रिश्तो में यकीन इसके मुख्य आधार हैं ।हिंद प्रशांत क्षेत्र मुक्त हो,खुला हो समावेशी हो और संतुलित हो। दोनों देशों ने इस लक्ष्य को साझा किया और ऐसा बहुत कुछ है जो दोनों देशों को जोड़ता है।
भारत मानता है कि दुनिया को ईमानदारी के साथ उस रचना पर चर्चा करनी चाहिए जो दूसरे युद्ध के बाद बनी। यह संस्था बनने के 8 दशक बाद आज दुनिया बदल चुकी है इसके सदस्य देशों की संख्या 4 गुना बढ़ चुकी है विश्व अर्थव्यवस्था का चरित्र बदल चुका है। हम नई तकनीक के युग में रह रहे हैं । नई ताकत एवरी है और विश्व का संतुलन बदला है जलवायु परिवर्तन साइबर सुरक्षा आंतरिक सुरक्षा आतंकवाद महामारी जैसी बहुत सारी चुनौतियां हमारे सामने हैं जिससे हमें मजबूती से निपटना है। भारत 2047 के भारत को लेकर एक स्पष्ट दृष्टिकोण बनाने की कोशिश कर रहा है ।जब हमारी आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी हम तब तक भारत को एक विकसित देश के रूप में देखना चाहते हैं ।भारत एक ऐसा जीवंत और संघ लोकतंत्र बना रहेगा जिसमें सभी नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे और वह अपने राशि के भविष्य को लेकर आप स्वस्थ रहेंगे नवाचार और तकनीक के मामले में भारत एक ग्लोबल लीडर होगा ।एक ऐसा देश जिसमे जीवन के स्थाई तो होंगे नदियां साफ होगी आसमान नीला होगा और उसके जंगलों में जय विविधता लगातार विकसित हो रही हाेगी।
फिलहाल दुनिया के हर कोने के प्रयास हर जगह का दर्शन भी प्रासंगिक है आज दुनिया जहां है वहां सब ने मिलकर इसे पहुंचाया है दुनिया तब तरक्की करती है जब वह उन पुरानी चीजों को छोड़ती है जिनकी आज कोई जरूरत नहीं रह गई है इसलिए भारत इस तरह से नहीं सोचता कि पूरब और पश्चिम में कौन बेहतर है हजारों साल पढ़े लिखे गए वेद आज भी दुनिया में आदर्श विचारों को सामने रखते हैं दुनिया में जो कुछ भी अच्छा है उसे अपनाने की क्षमता विकसित करनी चाहिए।
सुरक्षा परिषद ने इन शंकाओं का निदान करने में कोताही बढ़ती है वह शंकाओं का स्मारक है हम इसे किसी वैश्विक संगठन का मूल अंग कैसे मान लें जब अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के पूरे महाद्वीप को इसमें नजरअंदाज कर दिया गया है यह पूरी दुनिया की बात करने का दावा कैसे कर सकता है जब दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थाई सदस्य ही नहीं है भारत को लगता है कि इसमें क्या बदलाव होने चाहिए और भारत की क्या भूमिका होनी चाहिए यह ज्यादातर देशों को स्पष्ट तौर पर पता है लेकिन वह उस पर परिचर्चा नहीं करना चाहते।