चीन की जगह लेने को तैयार भारत।

चीन के प्रति दुनिया की नकारात्मकता भी बढ़ रही है परिणाम स्वरूप चीन से होने वाली कारोबार और उत्पादन संबंधी आपूर्ति में कमी आई है इसका फायदा भारत को मिलता दिख रहा है दुनिया के कई देश अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं और भारत से संबंध स्थापित कर रहे हैं भारत चीन का विकल्प बनने की दिशा में आगे बढ़ा रहा है भारत ऑस्ट्रेलिया और जापान चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए विचार कर रहे हैं।एक नए आपूर्तिकर्ता देश के रूप में भारत के दुनिया की उम्मीदों के केंद्र बनने की संभावना के कई कारण हैं पिछले दिनों विश्व में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था व्यवस्था 2022 -23 में दुनिया में सबसे अधिक 6.5% की दर से बढ़ेगी ।

इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है इससे वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए कई आर्थिक सुधार भी किए हैं ।यहां 70,000 से अधिक स्टार्टअप है जिनमें सबसे अधिक कारण है के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हुई है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार में $500 के स्तर पर दिखाई दे रहा है जो दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है ।2022 में भारत तेजी से ऊपर चढ़ते हुए 40 स्थान पर आ गया है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है।यही वजह है कि चीन में कार्यरत अमेरिका सहित विभिन्न यूरोपीय देशों के कई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां चीन से निकलकर भारत के दरवाजे पर दस्तक दी है।

 दुनिया में तेजी से बदलती हुई यह धारणा भी भारत के लिए लाभप्रद है कि भारत गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पादों के निर्यात के लिहाज से एक बढ़िया प्लेटफार्म है।12 सस्ती लागत और कार्य कौशल के मद्देनजर विनिनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ सकता है ।भारत की 50% आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है और इसकी एक बड़ी संख्या तकनीकी एवं प्रेषित है और उत्पादन आधारित की गति भी तेज है।

पीएलआई स्कीम के तहत 14 उद्योगों को करीब 200000 करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए गए। देश के कुछ उत्पादक चीन के कच्चे माल का विकल्प बनाने में सफल भी हुए हैं ।इस समय वह वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने और विदेशी वस्तुओं का उपयोग कम करने के साथ देश में प्रतिभा उद्योग व्यापार और प्रयोग की को तेजी से प्रोत्साहित किया जा रहा है।

नई लास्टिक नीति और गत शक्ति योजना भी लागू हुई है ।इनके उपयुक्त क्रियान्वयन से घरेलू और विदेशी बाजारों में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा सुधार आया है। इसके साथ ही लागत भी कम होने से जहां सामान की कीमतें कम होंगी ,वहीं भारत नया निर्यात प्रतिस्पर्धी देश भी बनेगा ,वहीं सरकार अब विशेष आर्थिक क्षेत्र की नई अवधारणा कर रही है शेष से अंतर्राष्ट्रीय बाजार और राष्ट्रीय बाजार के लिए विनिर्माण करने वाले उत्पादकों को विशेष सुविधाएं मिलेंगी ।इससे देश को दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनने और आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा भारत के विभिन्न देशों के मुक्त व्यापार समझौते और वार्ड के कारण कारोबार तेजी से बढ़ रहे हैं ।भारत संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ एयरटेल को मूर्त रूप देने के बाद, अब यूरोपीय संघ में ट्रेन कनाडा खाली उद्योग परिषद के 6 देशों दक्षिण अफ्रीका अमेरिका और इजरायल के साथ भी इसके साथ वार्ता कर रहा है ।नए एफटीएफ में मुख्य रूप से वाहन और उसके कल पूरे वर्ष रसायन औषधि और इंजीनियरिंग जैसे उत्पादों को शामिल करना है। इसके साथ ही हमें मुक्त व्यापार वार्ताओं में ई-कॉमर्स इलेक्ट्रॉनिक वाहन और डाटानिजता को भी शामिल करना चाहिए ।आरबीआई द्वारा हाल में ही व्यस्त व्यापारिक सौदे किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण पक्ष पर भी ध्यान देना चाहिए इस दुनिया में कोई भी, भारत से अमेरिका सीधा व्यापार कर सकेगा।

सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रोत्साहन के लिए उत्पाद लागत को घटाने ,स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए शोध एवं नवाचार पर फोकस करने कानूनों को और सरल बनाने अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज करने, लॉजिस्टिक की लागत कम करने तथा संघ शक्ति को नई डिजिटल कौशल योग्यता से सुसज्जित करने के लिए रणनीति रुप से आगे बढ़ रही है। यदि भारत चीन का विकल्प बनने में सक्षम रहता है तो फिर उसके विकसित देश बनने की जगह आसान हो जाएगी।

Leave a Reply