दिल्ली के वाहन दूसरे राज्यों में फैला रहे प्रदूषण

उम्र पूरी कर चुके दिल्ली के वाहन, अब दूसरे राज्यों में दौड़ रहे हैं ।6 वर्ष में सरकार ने करीब 3:30 लाख वाहन स्वामियों को दूसरे राज्य में पंजीकरण कराने के लिए अनुमति दी है। इनमें एक जनवरी 2022 से अब तक 75000 से अधिक वाहन स्वामियों को एनओसी दिया गया है। करीब 68000 लोगों ने कारों का पंजीकरण कराने के लिए एनओसी लिया है। इस तरह अब तक करीब पौने तीन लाख कार स्वामी एनओसी करा चुके हैं हालांकि इस बीच में एक भी ट्रक स्वामी को एनओसी नहीं दिया गया है जबकि 2467 बस स्वामियों ने एनओसी लिया है।

राजधानी में एनजीटी के आदेश के बाद 10 साल पुराने डीजल वाहन जबकि 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को चलाने की अनुमति नहीं है हालांकि ऐसे वाहन स्वामी दूसरे राज्यों में अपने वाहन का पंजीकरण करा सकते हैं नियमानुसार यह प्रक्रिया तभी अपनाई जा सकती है जब संबंधित शहर का मोटर लाइसेंसिंग अधिकारी यह लिख कर देगा की उम्र पूरी कर चुके वाहन का पंजीकरण करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसी के आधार पर दिल्ली का वाहन विभाग संबंधित वाहन को उस शहर तक ले जाने की अनुमति देगा।

पंजीकरण कराने के लिए मेघालय के सभी राज्यों में एनओसी मान्य है इसके साथ ही बिहार के अट्ठारह उत्तर प्रदेश के 33 व महाराष्ट्र के 26 शहरों सहित कुल108 अन्य शहरों में भी एनओसी मान्य है लेकिन बंगाल के केवल कोलकाता में bs4 वाहनों का पंजीकरण कराया जा सकता है ।राजस्थान के 2 जिले अलवर व भरतपुर को छोड़कर अन्य जिलों में एनओसी मान्य है लेकिन बाकी जिलों में क्यों नहीं है इस बारे में कुछ नहीं कहा गया राज्य सरकारी क्या सोचती है इस पर भी गौर नहीं किया गया।

दिल्ली में प्रबंधित वाहनों को दूसरे राज्यों में पंजीकृत कराने की सीधे तौर पर अनुमति देना सही नहीं है। उम्र पूरी कर चुके वाहनों की संबंधित कंपनी से फिटनेस जांच कराई जाए अगर वह मांगों को पूरा करते हैं तभी उन्हें दूसरे आदमी पंजीकरण कराने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है मनमाने तरीके से काम चल रहे हैं और लोग धड़ाधड़ खराब गाड़ी अभी दूसरे राज्यों में चला रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है कि यह कौन करा सकता है कि वाहन की उम्र अधिक है तो वह प्रदूषण अधिक से लाएगा, जहां तक प्रदूषण की बात है तो यह उसकी कंडीशन पर निर्भर करता है बहुत से डीजल वाहन 10 साल तक और पेट्रोल वन 15 साल तक एकदम ठीक रहते हैं। आप वाहन के उम्र  से इस बात का आकलन नहीं कर सकते कि प्रदूषण कौन फैला रहा है लेकिन कोई माने तब ना ,अधिकारी भी मनमाने तरीके से एन ओसी दिए जा रहे हैं और उसका मूल्यांकन कर रहे हैं जिस गाड़ी को उन्होंने देखा तक नहीं।

फिलहाल ट्रांसपोर्ट विभाग पहले ही बड़ी चर्चाओं में है ड्राइविंग लाइसेंस बनाने से लेकर के सारे काम उनके यहां ले देकर ही होते हैं ।एनओसी भी ले देकर ही मिलेगी, चाहे गाड़ी का फिटनेस ठीक हो या ना हो ।इस बात पर कोई जद्दोजहद नहीं होनी चाहिए, गाड़ी का फिटनेस मायने नहीं रखता ,मायने रखता है उनकी जेब, यही वह पैमाना है जो यह तय करता है कि गाड़ी को एनओसी देनी है या नहीं देनी।

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