भारतीय सेना अपने चरर्मोत्कर्ष पर

भारत इस समय तेल का रोना रो रहा है चाहे वह खाने का तेल हो या फिर गाडी चलानेे का , सभी के दिमाग में यही है कि सरकार कुछ नही कर रही है लेकिन इस खेल के पीछे का सच क्या है यह अब बताने का समय आ गया है। केन्द्र सरकार ने पहले देश की रक्षा को महत्व दिया और सेना केा मजबूत बनाया । यह काम निर्मला सीताराम की अगुवाई में शुरू किया गया था जिसे आज के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आगे बढा रहें है। सेना ने अब तक कौन सी उपलब्धि हासिल की इसकी लिस्ट आपके सामने रखी जा रही है। ताकि आप भी कीमतों के बढने का राज समझे। 6 साल में सरकार ने सेना को दिया क्या है। इसके बाद पेट्रोल डीजल पर रोना बन्द हो जाएगा।
● 36 :- राफेल मल्टीरोल फाइटर : 59,000 करोड़
● 7 :- प्रोजेक्ट-17A क्लास युद्ध-पोत : 50,000 करोड़
● 5 :- एयर डिफेंस SAM S-400 : 39,000 करोड़
● 22 :- अपाचे AH-64 और 15 शिनूक : 3 अरब डॉलर
● पुर्जे और गोला बारूद : 3 अरब डॉलर
● 6 :- अरिहंत क्लास सबमरीन : 23,652 करोड़
● 1 :- अकुला II क्लास न्यूक्लियर अटैक पनडुब्बी : 3.3 अरब डॉलर
● बराक-8 MRSAM एयर डिफेंस : 2 अरब डॉलर
● 73 :- ALH ध्रुव : 14,151 करोड़
● 464 :- मेन बैटल टैंक T-90 MS : 13,448 करोड़
● 7.47 लाख :- AK-203 असॉल्ट राइफल : 12,280 करोड़
● LRSAM बराक-8 : 1.41 अरब डॉलर
● 2 :- ‘आकाश – NG’ SAM रेजिमेंट : 9,100 करोड़
● 2 :- मल्टी यूटिलिटी वेसल ‘HSL’ : 9,000 करोड़
● 4 :- P-8i ‘Poseidon’ : 1 अरब डॉलर
● ‘NASAMS’ SAM : 1 अरब डॉलर
● 2 :- प्रोजेक्ट ‘11356 युद्धपोत’ : 950 मिलियन डॉलर
● 6 :- ‘अपाचे AH-64’ : 930 मिलियन डॉलर
● 113 :- AL-31FP इंजन, सुखोई के लिए : 7,739 करोड़
● 145 :- हॉवित्जर ‘M777’ : 5,000 करोड़
● 66 :- ग्रीन पाइन रडार : 4,577 करोड़
● 100 :- K-9 ‘वज्र’ हॉवित्जर : 4,366 करोड़
● 1 :- ब्रम्होस डिवीजन : 4,300 करोड़
● ‘स्काई कैप्चर’ वायु रक्षा प्रणाली : 550 मिलियन डॉलर
● 2 :- ‘तलवार क्लास’ युद्धपोत : 500 मिलियन डॉलर
● 164 :- ‘Litening-4’ टारगेटिंग पॉड्स**
● 250 :- ‘स्पाइस-2000’ सटीक स्टैंड-ऑफ बम**
● Python 5, I-Derby ER air to air missiles**
(** वाली तीनों डील कुल मिलाकर 3500 करोड़ की है)

● 150 :- ‘ATAGS 155mm हॉवित्जर : 3,364 करोड़
● 13 :- नेवल गन 127mm Mk45 : 470 मिलियन डॉलर
● 2 :- ‘पिनाका MBRL’ रेजिमेंट : 3,000 करोड़
● 1 :- C-17 ‘ग्लोबमास्टर’ : 366 मिलियन डॉलर
● 10 :- IAI ‘Eitan’ सशस्त्र ड्रोन : 366 मिलियन डॉलर
● 4 :- ‘GSRE क्लास’ सर्वेक्षण पोत : 2,500 करोड़
● 28 :- ‘डोर्नियर Do 228’ : 2,428 करोड़
● 2 :- DSRV सपोर्ट वेसल : 2,050 करोड़
● 2 :- सबमरीन रेस्क्यू ‘DSRV’ : 1,900 करोड़
● 72,400 :- सिग सायर कॉम्बैट राइफल्स : 1,798 करोड़
● 1 :- महासागर निगरानी जहाज (P-11184) : 1,500 करोड़
● 7 :- L&T क्लास अपतटीय गश्ती पोत : 1,432 करोड़
● 114 :- धनुष हॉवित्जर : 1,300 करोड़
● NBC वाहन : 1,265 करोड़
● 240 :- KAB-1500 बम : 1254 करोड़
● 5000 :- मिलन 2T ATGM : 1,200 करोड़
● इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल ICV’s : 1,125 करोड़
● ‘उच्च क्षमता रेडियो रिले’ (HCRR) : 1,092 करोड़
● 5,917 :- बैरेट्टा स्कार्पियो स्नाइपर राइफल 8.36mm : 982 करोड़
● 1,500 :- M95 MS बैरेट .50 BMG एंटी मटेरियल राइफल
● उन्नत टारपीडो डेको सिस्टम (ATDS) : 850 करोड़
● 1.86 लाख :- बुलेट प्रूफ जैकेट : 693 करोड़
● नेवल MRSAM : 93 मिलियन डॉलर
● 1 :- सर्वे ट्रेनिंग वेसल (STV) : 626 करोड़
● 22 :- ‘हार्पून’ मिसाइल : 81 मिलियन डॉलर
● 13 :- NAMICA ‘ATGM’ : 524 करोड़
● 1 :- DRDO प्रौद्योगिकी प्रदर्शन पोत : 365 करोड़
● 300 :- M-46 Towed ‘सारंग’ (45 Cal) अपग्रेड : 200 करोड़
● 1.58 लाख :- बुलेट प्रूफ हेलमेट : 180 करोड़

डीएसी ने 2014 के बाद 4.28 लाख करोड़ से अधिक रक्षा सौदों को मंजूरी दी है.
● 6 :- ‘SSN क्लास’ परमाणु पनडुब्बी : 60,000 करोड़
● 83 :- LCA ‘तेजस’ : 49,797 करोड़
● 6 :- प्रोजेक्ट 75-I क्लास सबमरीन : 40,000 करोड़
● 938 :- एयर डिफेंस गन : 5 अरब डॉलर
● 4 :- लैंडिंग हेलीकाप्टर डॉक : 25,000 करोड़
● 111 :- नेवल यूटिलिटी हेलीकाप्टर : 21,738 करोड़
● 200 :- कामोव ‘Ka 226-T’ : 20,000 करोड़
● 104 :- K-30 Bhio वायु रक्षा प्रणाली : 2.66 अरब डॉलर
● 814 :- सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रक माउंटेड हॉवित्जर : 2.5 अरब डॉलर
● 6 :- ‘पिनाका MBRL’ रेजिमेंट : 14,633 करोड़
● 22 :- ‘प्रिडिएटर – B’ ड्रोन : 2 अरब डॉलर
● 6 :- अगली पीढ़ी की मिसाइल पोत : 13,500 करोड़
● 24 :- मल्टीरोल नेवल एएसडब्ल्यू हेलीकाप्टर : 1.8 अरब डॉलर
● 16 :- ASW Shallow Water Crafts : 12,000 करोड़
● 244 :- एयर डिफेंस गन : 1.5 अरब डॉलर
● 1,276 :- VSHORADS एयर डिफेंस : 1.5 अरब डॉलर
● 3 :- ‘S-5 क्लास’ SSBN परमाणु पनडुब्बी : 10,000 करोड़
● 118 :- अर्जुन मार्क-II MBT : 6,600 करोड़
● 2 :- AWACS ‘EL/W-2090’ : 800 मिलियन डॉलर
● 6 :- अपतटीय पोत NGOPVs : 4,941 करोड़
● 3.5 लाख :- कार्बाइन : 4,607 करोड़
● 41,000 :- लाइट मशीनगन ‘LMG’ : 3,000 करोड़
● युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस : 3,000 करोड़
● 15 :- हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर (LCH) : 2,911 करोड़
● 3 :- ABG-क्लास कैडेट प्रशिक्षण शिप : 2,700 करोड़
● 1000 :- इंजन, T-72 MBT के लिए : 2,300 करोड़
● 150 :- बख्तरबंद लड़ाकू वाहन : 2,200 करोड़
● 100 :- टारपीडो : 2000 करोड़
● 93,895 :- CQB कार्बाइन : 553.33 मिलियन डॉलर

ये 50% भी नहीं प्रोजेक्ट काली और पहाड़ों पर गोरिल्ला युद्ध के लिए तैयार की गई एक कमांडो फोर्स ऐसे जाने कितने सीक्रेट प्रोजेक्ट है जिनकी जानकारी किसी को भी नहीं।हजारों करोड़ रुपए बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन को दिए गए।जिससे सीमा पर रोड बन रही है।जिसकी वजह से चीन बौखलाया हुआ है।1962 में युद्ध हारने की वजह ही ख़तम कर दी सरकार ने रोड प्रोजेक्ट पूरे करके। लगभग 85% रोड प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है।
रूसी सहयोग से बनी भारतीय #सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल #ब्रह्मोस की लागत बीस करोड़ रूपए है.यानि पांच मिसाइल दाग दीं तो एक अरब रूपया स्वाहा. एक राफेल फाइटर जेट की कीमत साढ़े सोलह अरब रूपए है..!!रूस को ताजा दिए इक्कीस मिग 29 और बारहसुखोई 30 लड़ाकू विमानों की कीमत साठ अरब रूपए है.इसका #चालीस अरब रूपए भुगतान कर दिया गया है…!!रूस से ही खरीदे जा रहे मिसाइल रोधी सिस्टम S 400 की कीमत चालीस अरब रूपए है. चिनूक, अपाचे ये सब मुफ्त नहीं मिले हैं इनपर अरबों खरबों खर्च हुआ है…!!तोप का एक एक गोला लाखों रूपए का है…छोटी से छोटी मिसाइल भी एक करोड़ से ऊपर की है…!!

मत भूलिए कांग्रेस किस तरह सेना को नंगाबूचा छोड़ कर गई थी…सैनिक फटे जूते पहने घूम रहे थे…न गोला बारूद बचा था न ,मनोबल…!!सेना के बार बार चेताने पर भी सैन्य साजोसामान नहीं खरीदा गया और रक्षा सौदों में आपराधिक देरी हुई…! “बरसों पुराने लड़ाकू विमान उड़न ताबूत कहलाये जाने लगे”डीजलपेट्रोल पर मत रोओ, कम से कम युद्धकाल में तो चुप रहो..पैदल चलो स्वस्थ्य रहोगे, घर बैठो कोरोना वायरस से बचोगे,देश बचेगा तो तुम बचोगे और जब तुम बचोगे तभी डीजल पेट्रोल खरीद पाओगे…!शत्रु तीन तरफ से सीमा पर घात लगाए बैठा है और तुम्हें पाकिस्तान और चीन की गर्दन भी मरोड़नी है और डीजल पेट्रोल भी चालीस रूपए लीटर चाहिए…!

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