गीता में शब्द को ब्रह्म कहा गया है और राजनीति में यही शब्द ब्रह्मास्त्र बन जाते हैं पूरे देश में एक शब्द आजकल काफी चर्चा में है.. आंदोलनजीवी, इस शब्द का इस्तेमाल संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया है, इस शब्द ने किसान आंदोलन करने वाले कम्युनिस्ट और कथित किसान नेताओं पर ब्रह्मास्त्र के जैसा असर किया है। ना सिर्फ ये कथित किसान नेता बल्कि आंदोलन का समर्थन करने वाले तमाम लोग भी इस शब्द के प्रहार से तड़प उठे हैं। लोग तिलमिलाए हुए हैं… और ये तिलमिलाहट बताती है कि शब्द ब्रह्मास्त्र की तरह कैसे असर करता है
श्रीमदभगवतगीता के सांतवे अध्याय के आठवें श्लोक का हिस्सा है.. . शब्दः खे अर्थात आकाश में मैं शब्द हूँ पूरा श्लोक इस तरह से है…
रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः । प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु ।।
अर्थ- हे अर्जुन ! मैं जल में रस हूँ, चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ, सम्पूर्ण वेदों में ओंकार हूँ, आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ ।। भगवान श्री कृष्ण ने खुद यानी ब्रह्म की तुलना शब्द से की है… इसीलिए शब्द को ब्रह्म कहा जाता है। आंदोलनजीवी शब्द के मूल में परजीवी शब्द है.. इसमें पर को आंदोलन से रीप्लेस कर दिया गया है। परजीवी (पैरासाइट) एक तरह का सूक्ष्म कीटाणु होता है जो किसी बड़े जीव जैसे गाय या भैंस के पीठ पर चिपक कर जिंदगी भर उसका खून चूसता रहता है । ठीक इसी तरह आंदोलनजीवी भी पूरी जिंदगी आंदोलन पर जीता है…. आंदोलन का इस्तेमाल वो अपना जीवन चलाने के लिए करता है । ऐसा ही इस शब्द का भाव है । और यही वजह है कि इस शब्द… आंदोलनजीवी ने मोदी विरोधियों पर परमाणु अस्त्र जैसा असर किया है ।
अब ,, बोलने की बारी ! बीज खरीदने के लिए सब्सिडी।कृषि उपकरण खरीदने के लिए सब्सिडी।यूरिया (खाद) खरीदने के लिए सब्सिडी।ट्रेक्टर ट्रोली खरीदने पर सब्सिडी। पशुधन खरीदने पर सब्सिडी।खेती पर लगने वाले अन्य खर्च के लिए सब्सिडी युक्त कर्ज। किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज।जैविक खेती करने पर सब्सिडी। खेत में डिग्गी बनाने हेतू सब्सिडी। फसल प्रदर्शन हेतू सब्सिडी।फसल का बीमा। सिंचाई पाईप लाईन हेतू सब्सिडी।स्वचालित कृषि पद्धति अपनाने वाले किसानों को सब्सिडी।जैव उर्वरक खरीदने पर सब्सिडी।नई तरह की खेती करने वालो को फ्री प्रशिक्षण। कृषि विषय पर पढ़ने वाले बच्चों को अनुदान।सोलर एनर्जी के लिए सब्सिडी।बागवानी के लिए सब्सिडी। पंप चलाने हेतु डीजल में सब्सिडी। खेतो में बिजली उपयोग पर सब्सिडी।
इसके अलावा― सूखा आए तो मुआवजा। बाढ़ आए तो मुआवजा। टिड्डी-कीट जैसे आपदा पर मुआवजा।सरकार बदलते ही सभी तरह के कर्ज माफी।सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने के लिए अनेकों और तरह की योजनाएं बनाई है, जिसमें डेयरी उत्पाद मत्स्य पालन बागवानी फल व सब्जी पर भी अनेकों प्रकार की सब्सिडी दे रही है और इसके अलावा इन्हीं से 20 रुपए किलो गेहूं खरीद कर 2 रुपए किलो में इन्हें दिया जा रहा है। पक्के मकान बनाने के लिए 3 लाख रुपए तक सब्सिडी दी जा रही है।शौचालय निर्माण फ्री में किया जा रहा है।घर पर गंदा पानी की निकासी के लिए होद फ्री में बनवाई जा रही है।साफ पीने का पानी फ्री में दिया जा रहा है।बच्चों को पढ़ने खेलने व अन्य तरह के प्रशिक्षण फ्री में करवाए जा रहे हैं। साल के 6000 रुपए खाते में फ्री में आ रहे हैं।तरह-तरह की पेंशन वगैरा आ रही है।मनरेगा में बिना कार्य किए रुपए दिए जा रहे हैं।अगर उसके बावजूद भी इस देश के किसानों को सरकार से अपना हक नहीं मिल रहा तो शायद कभी नहीं मिलेगा।
पहले जो किसान साधारण जीवन यापन करता था , आज भगवान की कृपा और सरकारी सहायता की बदौलत लाख गुणा अच्छा जीवन जी रहा हैं ! गाँवो में आलीशान पक्के मकान , बंगले , टू व्हीलर , फोर व्हीलर , सभी भौतिक सुख सुविधाएं उपलब्ध हैं ! एक निगाह उन मजदूरों, छोटे रेहड़ी वालों, छोटे व्यवसायियों, वकीलों, पढ़े-लिखे बेरोजगारों, ड्राईवरों, कचरा बीन कर पेट पालने वालों पर डालो आत्महत्या तो यह लोग भी कई बार कर लेते हैं मजबूरियों में।रोज नई नई समस्या से जूझते हैं, रोज रोज मरते हैं परन्तु कभी भीड़ इकट्ठी कर देश के कानून को बंधक बनाया नहीं लेकिन सच्चाई यही है किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति की जा रही है जो सच्चे किसान है उनको पता है सरकार बहुत कुछ दे रही है !