संघ प्रमुख के बयान के मायने

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा तथाकथित अल्पसंख्यकों में बिना कारण एक हव्वा खड़ा किया जा रहा है कि उन्हें संघ व संगठित हिंदू समाज से खतरा है ऐसा ना कभी हुआ है ना होगा। हिंदू समाज खड़ा करना ही समय की आवश्यकता है यह किसी के विरुद्ध नहीं है। संघ पूरी दृढ़ता से आपसी भाईचारे व शांति के पक्ष में खड़ा है | खुद पर हिंदू समाज या संघ की आशंकाओं को लेकर तथाकथित अल्पसंख्यकों के कुछ सज्जन पिछले दिनों उनसे मिलने आए थे। संघ के अधिकारियों ने उनका संवाद हुआ और यह आगे भी होता रहेगा।

इसके अलावा उन्होंने जिन बातों पर जोर दिया उसमें मातृभाषा के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि कैरियर निर्माण करने के लिए महत्वपूर्ण नहीं है उन्होंने कहा कि जब हम सरकार से मातृभाषा को बढ़ावा देने की उम्मीद करते हैं तो हमें भी इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या हम अपने हस्ताक्षर मात्रिभाषा में करते हैं ।क्या हम घर से बाहर नाम पट्टिका मातृभाषा में लगाते हैं और क्या हम आमंत्रण मातृभाषा में भेजते हैं। इसके अलावा जब तक सभी हिंदू के लिए मंदिर जल स्रोत और श्मशान घाट नहीं खुलेंगे, तब तक समानता की बात करना एक सपना रहेगी अब जबकि संघ के लोगों का स्नेह व विश्वास मिल रहा है और वह मजबूत भी हो रहा है तो हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को गंभीरता से लिया जा रहा है। हमें अपनी महिलाओं को सशक्त बनाना होगा महिलाओं को बिना समाज प्रगति नहीं कर सकता जिस तरह से हमने संकट में श्रीलंका की मदद की और यूक्रेन रूस संघर्ष के दौरान हमारा देश रहा। उससे साफ पता चलता है कि हमारी बात सुनी जा रही है आप राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर भी अधिक से अधिक आप निर्भर होते जा रहे हैं खेलों के क्षेत्र में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। पहली  बार ऐसा हुआ की ओवैसी ने माना कि हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए की एक है तो असंतुलन कहां है जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है । वह विजयादशमी पर दिए गए मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी कर रहे थे अब सवाल यह उठता है कि फिर हिंदू और मुसलमान की जरूरत क्या है।

सही मायने में देखा जाए तो संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी बहुत ही संतुलित थी उसे लेकर उन्होंने किसी समुदाय विशेष पर उंगली नहीं उठाई उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर होने वाली बहस पर आया।संपत्ति का उल्लेख किया भागवत का यह विचार सही है कि परिवार नियोजन को भारतीय समाज के सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाना चाहिए इसके लिए साक्षरता और आए जैसे बेहद कारक बहुत जरूरी है।

मोहन भागवत की इस टिप्पणी की ओर भी इशारा किया कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है द पॉपुलेशन में इस्लाम फैमिली प्लैनिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया पुस्तक को लिखने वाले कुरैशी ने भी विजयादशमी के अवसर पर दिए गए उद्बोधन को बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है मीडिया भी इसका विश्लेषण कर रहा है लोग किताब का जिक्र कर रहे हैं संघ प्रमुख के सामने पेश होने का मौका इस दौरान लेखक को मिला था बहुत ही संक्षेप में इसमें कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया था और यह एक बहुत बड़ा काम था जिसे अंजाम दिया गया।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भी मोहन भागवत के बयान का स्वागत किया और दशहरे की शुभकामनाएं देते हुए आधुनिक रावण के 10 चेहरे शिक्षा अज्ञानता क्षमता अभाव अहंकार अभद्रता अराजकता सामाजिकता अत्याचार और अन्याय रूपी असुरों की आहुति देने का आग्रह किया साथ ही समान नागरिक संहिता व जनसंख्या नियंत्रण कानून के साथ अन्य अच्छाइयों की कामना की है मंच के अनुसार जिस तरह तीन तलाक अनुच्छेद 370 35a का केंद्र सरकार ने किया है वैसे ही अब इस दिशा में कदम बढ़ाया जाए और सामाजिक कुरीतियों व कानूनी कमियों में संशोधन कर विजय पाई जाए सबसे जुदा जैसे सीन सक्सब्दो माधव कटप्पा और आंतों के बम विस्फोट पर कार्रवाई का भाईचारा बढ़ाने पर जोर दिया गया।

मोहन भागवत के बयान पर मंच के तरफ से कहा गया कि कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी समान आचार संहिता को लेकर बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि गोवा बेहतरीन उदाहरण है वहां पुर्तगाल सिविल सिविल कोर्ट 1860 लागू है जिसके तहत उत्तराधिकार में विरासत का नियम लागू है हिंदू 1956 में बनाया गया लेकिन समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास नहीं हुआ जैसे जैसे समय बीत रहा है समान आचार संहिता की जरूरत है सामने आ रही और इसे लागू किया जाना चाहिए।

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