स्वच्छ भारत अभियान के प्रारम्भ होने के बाद से देश में लगभग प्रत्येक क्षेत्र में बदलाव आया है । ख़ास बात ये भी है की स्वच्छता के प्रति लोगों की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है।
व्यवहारिक बदलाव के लिये प्रारम्भ किया गया स्वच्छ भारत अभियान विश्व का सबसे बड़ा अभियान है । वर्षो पूर्व से हम देखते आ रहे है कि जब कोई विदेशी पर्यटक भारत भ्रमण पर आता था तो उसके हाथ में पानी की एक बोतल भी होती थी । बोतल का पानी पीने के बाद वह खाली बोतल को फैंकने के लिये आस -पास कूड़ादान देखता था। भारत जैसे देश में चाहे महानगर हो या अ न्य उपनगर, ट्रेन हो या बस कूड़े का ढेर कहीं भी देखा जा सकता है । वह विदेशी अपनी खाली पानी की बोतल को कहीं भी फैंक सकता था, परन्तु आस-पास कूड़ादान न मिलने पर वह खाली बोतल को अपने बैग में डाल लेता है और बाद में कूड़ादान मिलने पर वह उस बोतल को कूड़ादान में डालता है।
भारतीयों में यह प्रवृति काफी कम देखने को मिलती है। भारतीयों की मानसिकता है कि जहां भी मौका मिले बेपरवाह होकर खुलेे में शौ च कर लो, खाली पानी की बोतल, रैपर आदि बस, ट्रेन, टैक्सी से किसी भी दिशां में उछाल दो, अपने घर के कूड़े को कहीं भी सड़क किनारे या नाली में फैंक दो आदि-आदि । हमें यह पता ही नही कि हम अपने इस व्यवहार के कारण अपना, समाज , पर्यावरण व देश का कितना अहित कर रहे है। देश आये दिन बाढ़, जल भराव, दूषित खान-पान, शिशु मृत्यु दर में वृद्धि, कुपोषण, बढ़ता प्रदूषण और सबसे ऊपर देश की प्रतिष्ठा का मुख्य कारण स्वच्छता के प्रति हमारी विकृत मनोवृति ही है। सभ्य और शिक्षित समाज से ही देश आगे बढ़ता है।
भारत सरकार द्वारा जब वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरूवात की थी उस समय कुछ आलोचकों द्वारा इस अभियान का अन्त भी अन्य सरकारी अभियानों की तरह होने का अन्देशा प्रकट किया था। स्वच्छता अभियान के 4 वर्ष पूरे होने जा रहे है। इस अभियान के कई उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे है। इस अभियान से देश की प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक , समाजिक व व्यवसायिक क्षेत्र में सुधार तो हुआ ही है, लेकिन सबसे बड़ा परिर्वतन स्वच्छता के प्रति आम जनता के व्यवहार में हो रहे दृष्टिगत बदलाव का है।
इस अभियान का उदेद्श्य तभी पूरा हो सकता था जब कि इसमें जनसहभागिता हो। भारत सरकार के अथक प्रयास से आज यह संभव हुआ है कि स्वच्छता के प्रति जनमानस की मनोवृति मं बदलाव आया है। आज बे परवाह होकर खुले में शौच करने तथा जहां-तहां कूड़ा फैंकने की आम प्रवृति में सुधार दिखाई दे रहा है यद्यपि अभी बहुत अधिक करने की आवश्यकता है। जैसा की में पूर्व में देशी पर्यटक की स्वच्छता के प्रति व्यवहारिक संवेदनशीलता के बारे में लिख चुका हॅू, यह प्रवृति आम जनमानस में पैदा करनी होगी। स्वच्छ भारत अभियान प्रत्येक देशवासी का अभियान है। भारत को देवी-देवताओं का देश भी कहा जाता है। हम यह भी जानते है कि देवी-देवता स्वच्छता में ही वास करते है। देवी-देवताओं के देश भारत को स्वच्छ बनाने में हम सभी देशवासियों को आगे बढ़कर अपना योगदान देना होगा। आईये इस जन आन्दोलन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।