नई शिक्षा नीति

कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है. 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है. नई शिक्षा नीति की उल्लेखनीय बातें सरल तरीके की इस प्रकार हैं: 

—-5 Years Fundamental—

1.  Nursery    @4 Years 

2.  Jr KG        @5 Years

3.  Sr KG        @6 Years

4.  Std 1st     @7 Years 

5.  Std 2nd    @8 Years

—- 3 Years Preparatory—

6.  Std 3rd     @9 Years 

7.  Std 4th     @10 Years 

8.  Std 5th     @11 Years 

—– 3 Years Middle—

9.  Std 6th     @12 Years 

10.Std 7th     @13 Years 

11.Std 8th     @14 Years

—- 4 Years Secondary—

12.Std 9th     @15 Years 

13.Std SSC    @16 Years 

14.Std FYJC  @17Years 

15.STD SYJC @18 Years 

खास बातें आठवीं ,दसवीं में अब बोर्ड की परीक्षा नही होगेी ,केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड।अभी की तरह ही कॉलेज की डिग्री 4 साल की।10वीं बोर्ड खत्‍म। एमफिल भी होगा बंद। अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा. बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा। इसके कई फायदे होगें , जैसे हम विदेशों में जाते है तो वहां अंग्रेजी में बोलते है और भाषण देते हंै अब वहां की सरकारों व लोगों को हिन्दी ,क्षेत्रीय भाषा आदि पढना होगा या टांसलेटर रखना होगा। इससे हमारी भाषा का दम उन्हें पता चलेगा और वह इस बात को महसूस कर सकेगें कि आज भी भारतीय भाषा उनके भाषा से ज्यादा समृध है । कुछ देशों ने तो अपने यहां संस्कृत भाषा भी चालू कर दी है वह मानने लगे है कि यह भाषा ही समस्त भाषाओं की जननी है और सभी इसके ही कोख से उपजे है। अब सिर्फ 12वीं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी.इसका मतलब यह नही हुआ कि परीक्षायें खत्म हो जायेगी। इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा।कुछ और अनिवार्यता भी खत्म हो जायेगी । या यूं कह लीजिये कि हाईस्कूल स्तर की सभी नौकरियां अब अपग्रेड हो जायेगी और इंटर की परीक्षा 18 वर्ष से पहले नही देगा तो वह बालिग हो जायेगा। नाबालिक बच्चों को काम देने व लेने का काम बंद हो जायेगा। सरकार ने इसे मध्य नजर रखते हुए यह कदम उठाया हैं।
9वीं से 12वीं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5़3़3़4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा (ऊपर का टेबल देखें)।इससे कई फायदे होगें , पहली बात तो यह है कि टेड विषय को अनिवार्य बनाकर सरकार ने आत्म निर्भर होने का रास्ता खोल दिया है। सूदूर ग्रामीण इलाकों के लोग जिनकी हैसियत नही है कि ज्यादा पढा सके वह इस कोर्स को करके आसानी से 10 से 15 हजार रूपये तक कमा सकते है।एक तरह से यह गरीब तबके के लोगों को काम देने व रोजगार देने वाले कोर्स होगें और कम उम्र में ही बच्चा अपने परिवार की मद्द करने लायक हो जायेगा। जो पारिवारिक काम है जैसे जो बढई है उनका बेटा बढई के काम को आगे बढा सकता है। 

नौकरी के लिये भागना नही पडेगा अपने ही घर में काम करेगा , परिवार की तरक्की में योगदान देगा । कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी।3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में  एमए कर सकेंगे।कुल मिलाकर कहा जायेगा तो अब नई शिक्षा नीति के तहत सभी डिग्री इंटर के बाद से ही शुरू होगी। जो 18 वर्ष की अवधि पूरा करने के बाद ही मिलेगी।चाहे वह सार्टिफिकेट हो या फिर डिप्लोमा या डिग्री या एमए की उपाधि।25 वर्ष परिपक्कवता की मानी गयी है । सभी सरकारी नौकरी जो प्रशासनिक है वह 25 की उम्र पार करने के बाद ही मिलेगी। इस नई शिक्षा नीति के बाद अब स्‍टूडेंट्स को एमफिल नही करना होगा. बल्कि एमए के छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे.

स्‍टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स. हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा. वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है. इससे उनके डिग्री स्तर पर कोई प्रभाव नही पडेगा। मान लिजिये कि अगर कोई छात्र बीए कर रहा है फिर वह कोई टेड कोर्स करना चाहता है तो वह टेड की अवधि तक छुट्टी ले सकता है और बाद में पढाई कर सकता है अपने प्रमाणपत्र ले सकता है। यह सि़़द्धान्त कानून से लिया गया है जिसके तहत शिक्षाविद् विधायक व सांसद बनकर छुट्टी ले लेते है बाद में जब कार्यकाल खत्म हो जाता है तो वापस शिक्षाविद् हो जाते है।

सरकार ने हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं. सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे. वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे. एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम शुरू किया जाएगा. बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं.जिसमें अगर यह व्यवस्था शुरू होती है तो इसके बडे ही चैकाने वाले परिणाम निकलेगें। देश में अपनी ही शिक्षाओं का चलन तो होगा है साथ ही विदेशी भी इस शिक्षा के प्रति आर्कषित होगें। इस नई शिक्षा नीति में सबसे खास बात यह है कि सभी सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए समान नियम होगें जिसमें भेदभाव नही किया गया है।

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