सही मायने में देखा जाय तो आजादी के इतने वर्ष बाद आज भारत अपने इस कदम से उस ओर बढ गया जिससे देश शक्तिशाली बनेगा। यह काम आजादी के बाद ही करना चाहिये था लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नही दिया और अपनी जेबों को लूटकर भरते रहे। थोड़ा बहुत सुधार हुआ जब पीवी नरसिंह राव 1991 में प्रधानमंत्री बने, उस समय विदेशी कम्पनियां भारत का रूख कर रही थी । यह वह दौर था जब हर राज्य का मुख्यमंत्री अपने आप को वहां का राजा समझ कर वहां की जनता का दोहन कर रहा था और भष्टाचार को बढावा देता था. हर तरफ लूट मची थी कोई कुछ बोलने वाला नही था और जनता परेशान थी । न रोजगार था न आमदनी का साधन, उसके बाद वादे तो कई हुए लेकिन लोगों को बेवकूफ बनाने का काम जारी रहा। इसके बाद जब अटल सरकार आस्त्वि में आयी तो उसने सबसे पहले आर्थिक सुधार की दिशा में कदम उठाते हुए GST बिल की बात की ,जो विपक्ष के गले के नीचे नही उतरी , उनको लगा कि उनका बजट गडबडा जायेगा, इसलिये यह बिल पास नही हो सका। उसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार रही , वह रिजर्व बैंक के गर्वनर भी रहे लेकिन उन्होने इस GST बिल के प्रति रूचि नही दिखायी, उसके बाद मोदी सरकार आयी और यह बिल उनके दो साल के कार्यकाल में ही पास हो गया । अब यह बिल पास हो जाने से पूरे देश में एक व्यवस्था कायम रहेगी और कोई भी राज्य करों के नाम पर जनता को गुमराह नही कर सकेगा। कोई अब निर्धारित कर से ज्यादा उगाही नही कर सकेगा। हर प्रदेश के कारोबारियों का आन लाइन रजिस्टेशन होने से कारोबारियों का विश्वास बढेगा और वह हर धांधली से बचकर सही ढंग ये काम कर सकेगें। सरकार को भी काफी कर मिलेगा जिससे वह अपने प्रदेश को आगे ले जा सकेगा।
यहां भाजपा सरकार की तारीफ भी करनी होगी कि इस GST बिल को पास कराने में सफल रही , कैसे भी हुआ हो जनता के हित में पारित हुआ यह बिल देश को नयी उंचाईयों पर ले जायेगा, इस बात को लेकर किसी भी अर्थशास्त्री में मन में संदेह नही है। सबसे खास बात यह है कि राज्यों के बीच लेन देन होने से दोनों राज्यों के बीच तनाव खत्म होगा और पार्टी हित से उपर उठकर देश हित व प्रदेश के जनता के लिये बेहतर काम कर पायेगें। जहां तक इस बात की नींव रखने की बात है तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने इस काम की शुरूआत 2005 में की थी और 2010 में कांग्रेस सरकार ने इसे पारित कराने का मन बना लिया था लेकिन हर बात की तरह वह इस बात को भी भूल गये और अपने नये कार्यकाल पूरा करते समय तक लागू कराने में सफलता नही हासिल कर पाये । यदि यह बिल उस समय पास हो जाता तो आज से तीन चार साल पहले ही देश में एकीकृत कर व्यवस्था लागू हो गयी होती, देश खुशहाली की दिशा में कदम बढा चुका होता। भाजपा की सरकार जब आयी तो प्रधानमंत्री मोदी ने इस काम को सबसे प्राथमिकता के तौर पर रखा। सभी से बात की और इसे लागू करने पर जोर दिया। समीकरण जब ठीक बैठ गये और विपक्ष को लगा कि यह बिल लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी पारित हो जायेगा तो सभी सांसदों ने मौन स्वीकृत दे दी। जिसके कारण एक फैसला देश हित में आ गया , यह भारत के सवा सौ करोड लोगों की जीत है। जिसे दरकिनार नही किया जा सकता।
इस बिल से सबसे ज्यादा फायदा उन राज्यों को होगा जो रोजमर्रा की चीजें उत्पादित करते है जिसमें दिल्ली सबसे आगे है। कम कीमत वाले सभी सामान दिल्ली में बनते है और यही से दूसरे राज्यों में जाते है। सदर बाजार तो इसका मुख्य आर्कषण रहा है जहां करोडो का लेन देन प्रतिदिन होता है इसके बाद और बाजार है जहां से करोडो की लेन देन होती है। अभी इस बिल पर कुछ दिक्कतें अभी है लेकिन जब महाराष्ट व गुजरात मान गये तो किसी प्रदेश को मनाही नही होना चाहिये। 15 राज्यों की स्वीकृत व कर दर तय होने के बाद ही यह संशोधन कानून मंत्रालय के पास जायेगा और बाद में वह इसे लागू करेगा। किन्तु जब प्रयास हुआ है तो पास हो ही जायेगा। मघ्यप्रदेश , छत्तीसगढ, झारखंड , गुजरात , महाराष्ट, गोआ, हरियाणा , पंजाब, जम्मू कश्मीर,असम में भाजपा की अपनी सरकार है जबकि तमिलनाडू में समर्थन की सरकार है। कुल ग्यारह राज्य तो उसके पास है इसके अलावा सिक्कम , बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, उडीसा व आंधप्रदेश से उसे समर्थन आसानी से मिलने की उम्मीद इसलिये है क्योंकि वहां से प्रचुर मात्रा में सामान अन्य राज्यों को जाता है। यातायात इस क्षेत्र में अन्य राज्यों का ज्यादा है इसलिये विकास होने के रास्ते भी ज्यादा है।
खैर आजादी के बाद पहली बार एक ऐसी उम्मीद आयी है तो उम्मीद है कि मोदी सरकार उम्मीदों का सिलसिला भी जारी रखेगी। वैसे भी जितने कम समय में इस सरकार ने जनता से जुडे काम किये है चाहे वह सब्सिडी का मामला हो या फिर देश की सुरक्षा का, सभी पर वह मुस्तैद रही है। लेकिन यह मानना पडेगा कि एकीकरण की दिशा में आजादी के बाद उठा यह पहला कदम है जिसका पूरे देश ने स्वागत किया है। भले ही चाहे जितनी विसंगतियां हो लेकिन समान नागरिक कानून की नींव का पत्थर इस जीएसटी बिल ने रख दिया । यह कानून समान नागरिक संहिता की व्यवस्था की ओर बढा हुआ पहला कदम साबित होगा जो देश की आम जनता को आर्थिक उंचाइयों की ओर ले जायेगा और जब इंसान का पेट भरा होगा तो काम भी वह अच्छे ही करेगा।