कांग्रेस ने पुनः हिंदू आतंकवाद का शिगूफा उठाया है, किंतु वास्तविकता यह है कि भारत का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन कांग्रेस खुद है, इसी विषय पर कांग्रेस को दर्पण दिखाने जा रहा हूं और इसकी शुरुआत सबसे पहले आतंकवाद की परिभाषा से करूंगा।“आतंकवाद गैरकानूनी रूप से निर्दोष नागरिकों के विरुद्ध हिंसा कर या करवाकर अपने राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति”अब जब आतंकवाद की परिभाषा स्पष्ट हो चुकी है तो मैं शुरुआत 1947 से करता हूं जब कांग्रेस ने भारतवर्ष की सत्ता की प्राप्ति के लिए, यानी अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस देश का विभाजन करवाया जिसमें 25 लाख निर्दोष लोग मारे गए।
अब आते हैं 1948 में जब नाथूराम गोडसे ने मोहनदास गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी और उसके बाद कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र में ब्राह्मणों का नरसंहार किया और 8000 से अधिक निर्दोष महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण कांग्रेसियों द्वारा मार दिए गए।अब आते हैं इंदिरा गांधी के शासन की ओर जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा कर अपने विरुद्ध उठ रही सभी आवाजों का दमन किया, जेलों में हजारों निर्दोष नागरिकों की यातनाएं देकर हत्या करवा दी यह आंकड़ा कम से कम 6000 लोगों का है जो आपातकाल में इंदिरा गांधी की प्रताड़ना से अपने प्राण गंवा बैठे।अब बात आती है राजीव गांधी के शासन काल, वर्ष 1984 की जब राजीव गांधी के निर्देश पर पूरे देश में कांग्रेसियों द्वारा सिखों का नरसंहार किया गया और यह आंकड़ा 35 हजार से अधिक का है, और उसके बाद राजीव गांधी ने उसे “बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है” का बयान देकर न्यायोचित भी ठहराया था।
लिबरेश टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी को भी ट्रेनिंग दी कांग्रेस ने ही दिलवाई थी।1993 गुजरात के सूरत में बम धमाके करने वाला मोहम्मद सुरती भी कांग्रेस का ही मंत्री था, साथ में जिन 15 लोगों को सजा हुई थी वह सब कांग्रेस के कार्यकर्ता थे, यानी उस आतंकवादी घटना में कांग्रेस का हाथ था।वर्ष 2002 के गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस और उसमें सवार कारसेवकों को जलाने में भी कलोटा, गफ्फार,शेख अब्दुल रहमान, फार्रूख माना, हाजी बिल्लाल आदि कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और हाजी बिलाल तो कांग्रेस का पूर्व विधायक था यानी यहां भी आतंकवादी वारदात में कांग्रेस का ही हाथ था
90 के दशक में जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख अजर मसूद कांग्रेस के लिए ही काम करता था और उस जमाने में वो कांग्रेस सरकार का दायां हाथ हुआ करता था इसका खुलासा एड्रियन लेवी और कैथी एस्कॉर्ट क्लार्क ने अपनी पुस्तक में किया है।लश्कर-ए-तैयबा कि आतंकवादी इशरत जहां और आतंकियों से संबंध वाले गैंगस्टर सोराबुद्दीन के एनकाउंटर पर भी कांग्रेस ने खूब बवाल काटा था, वाह खूब आंसू बहाए थे, इन आतंकियों के संबंध भी कहीं ना कहीं कांग्रेस से अवश्य थे वरना आतंकियों के लिए इतना हो हल्ला और इतनी संवेदना क्यों ?
समझौता ब्लास्ट के सभी पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों को कांग्रेस ने 13 दिन के अंदर बिना जांच पूरी कर छोड़ दिया था और उसके बदले साध्वी प्रज्ञा, असीमानंद और कर्नल पुरोहित जैसे निर्दोषों को फंसा दिया और सालों तक उन्हें जेल में डाल कर यातनाएं दी, भगवा आतंकवाद का शिगूफा गढ़ा, बाद में कर्नल पुरोहित असीमानंद प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट ने निर्दोष पाया और उन्हें बरी कर दिया, यानी यहां भी आतंकवाद को कांग्रेस ने सीधे समर्थन दिया असली आतंकियों को षड्यंत्र के अंतर्गत भगाया और निर्दोषों को फंसा दिया। आतंकवाद की पाठशाला चलाने वाले जाकिर नायक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से कांग्रेस लगातार चंदा लेती थी कांग्रेस ने जाकिर नायक को लोगों को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाने उन्हें आतंकवाद का पाठ पढ़ा कर रैडिक्लाइज्ड करने की खुली छूट दे रखी थी, जाकिर नायक को कांग्रेस अपने समारोह में बुलाती थी और पीसीएस अधिकारियों को जाकिर नायक के भाषण सुनवाये जाते थे, कांग्रेस के बड़े नेता और जनरल सेक्रेटरी दिग्विजय सिंह जैसे लोग जाकिर नायक के साथ मंच साझा करते थे, मुंबई के आजाद मैदान मे जो दंगे हुए थे वह मैदान जाकिर नायक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने ही बुक किया था, यहां पर आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस ने सीधे-सीधे देश में आतंकवाद फैलाने का कार्य किया और कई निर्दोषों की आतंकवादियों को खुली छूट देकर हत्या भी करवाई ।
कांग्रेस के नेता और तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम .ने गोवा में आतंकवादी संगठन तालिबान के नेताओं और उनके प्रमुख नेता अब्दुल सलाम जईफ को गोवा में बुलाया था और मीटिंग भी की थी, और यह ऑन रिकॉर्ड है जिसे कई मीडिया चैनलों ने कवर भी किया था । 2004 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस पार्टी कासबसे पहला निर्णय था भाजपा द्वारा बनाया गया आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा कानून पोटा हटाना, यह निर्णय स्पष्ट करता है कि कांग्रेस ने ये आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया था।बटला हाउस एनकाउंटर के बाद उस समय के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने भरे मंच से कहा था कि उन आतंकवा0दियों के शव देखकर सोनिया गांधी फूट फूट कर रोई थी जबकि उसी एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा भी मारे गए थे किंतु उनके लिए किसी कांग्रेसी ने संवेदना की दो शब्द तक नहीं कहे, किंतु कांग्रेस की अध्यक्षा को यदि रोना आया तो उन आतंकवादियों के शवों पर, यह सोचने वाली बात है कि आखिर आतंकियों से इतनी संवेदना क्यों उत्तर भी स्पष्ट है कि सम्भवतः वे उन्हीं के आदमी थे।
कांग्रेस के 10 वर्षों के शासन में देश के प्रत्येक भाग में हर हफ्ते बड़े बम धमाके होते थे और निर्दोष लोग मारे जाते थे, किंतु 2014 के बाद से भारत में कश्मीर को छोड़कर कहीं कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ, आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस के सत्ता से हटते ही आतंकवादी हमले रुक गए, उत्तर स्पष्ट है कांग्रेस सत्ता में थी तो सुरक्षा एजेंसियां उसके हाथ में थी और उसने खुद आतंकवादियों को छूट दे रखी थी कि जहां चाहे आतंकवादी हमले करो निर्दोषों को मारो, सुरक्षा एजेंसियां कोई कार्यवाही नहीं करेंगी, जब 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद आतंकवादियों की धरपकड़ शुरू हुई इंडियन मुजाहिदीन और सिमी की कमर तोड़ दी गई परिणाम स्वरुप देश में घटित हो रहे सभी आतंकवादी हमले रुक गए और भारत के निर्दोष नागरिकों के प्राण भी बच गए।
भारत में हुए 26 11 आतंकवादी हमले का सूत्रधार हाफिज सईद मीडिया चैनल को इंटरव्यू देते हुए कांग्रेस और सोनिया गांधी का नाम लेकर तारीफ करता है और वह वीडियो इंटरनेट पर आज भी मौजूद है जिसे कोई भी देख सकता है, प्रश्न यह उठता है कि आखिर एक यूनाइटेड नेशन द्वारा घोषित वैश्विक आतंकवादी आतंकवादी जिसके सिर पर अमेरिका ने इनाम तक रखा हुआ है वह अपने इंटरव्यू में कांग्रेस और सोनिया गांधी की तारीफ क्यों कर रहा है ? यह स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि कांग्रेस का हाफिज सईद से अवश्य कोई संबंध है अन्यथा कोई आतंकवादी ऐसे ही किसी की तारीफ नहीं करता
पठानकोट में आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों को कांग्रेस ने ही अपने शासनकाल में दया भाव दिखाते हुए छोड़ दिया था और बाद में उन्होंने ही पठानकोट में आतंकवादी हमला कर हमारे जवानों को सोते समय मार दिया, क्या यह भी विचारणीय नहीं कि आखिर कांग्रेस ने किस उद्देश्य से, किसके कहने पर उन आतंकवादियों को छोड़ा था ? और इस घटना से यह अवश्य स्पष्ट हो जाता है कांग्रेस का उन आतंकवादियों से भी कुछ ना कुछ संबंध अवश्य था।
देश में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के विषय में कई बार सुरक्षा एजेंसियां चेता चुकी हैं कि उनके संबंध आतंकी संगठन से हैं और वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, किंतु फिर भी कांग्रेस उन्हें भारत में रखने के लिए लालायित है और एनआरसी द्वारा 40 लाख बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित करने के नाम पर ही कांग्रेस आक्रामक है और उन्हें भारत से डिपोर्ट नहीं होने देना चाहती, इसके अलावा भारत में घुस आए रोहिंग्या घुसपैठिए जो कि मयनमार में हिंसा का विभत्स तांडव करके आए है उन्हें भी भारत में आश्रय देने हेतु कांग्रेस लालायित है, यानी कि कांग्रेस इनके द्वारा भारत के मूल निवासियों हिंदुओं की सुरक्षा खतरे में डालना चाहती है और निर्दोष नागरिकों के नरसंहार कराने की एक और तैयारी में है, यह कांग्रेस के आतंकी मंसूबों को स्पष्ट कर देने वाला तथ्य है।
बाक्स: इन प्रमाणों के बाद आशा है आप समझ चुके होंगे कि भारत में सबसे बड़ा आतंकवादी समर्थक संगठन कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस स्वयं है, और ढिंढोरा व् ढोल पीटकर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए दूसरों पर आरोप मढ़ती रहती है