अलीगढ शहर और मुस्लिम यूनिवर्सिटी की जरूरत क्या है

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी आजकल जिन्ना के तस्वीर को लेकर सुर्खियों में है। जिन्ना के बारे में बहुत से लोग जानते होगें लेकिन जो नही जानते उनके लिये इतना बताना चाहते है कि भारत का बंटवारा कर पाकिस्तान बनाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के संस्थापक थे और जब देश का बंटवारा हुआ तो लाखों लोगों की लाशों पर जश्न मनाने वाले वह पहले नेता बने जिन्हें अंग्रेजों ने तख्तों ताज से नवाजा। इस जिन्ना की कोई भी तस्वीर आज भी पाकिस्तान के गलियारों मे नही मिलेगी लेकिन आजाद भारत की मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इन्हें आदर्श के रूप् में याद किया जाता है। और यह इसलिये कि आजाद होने के बाद जिनके लिये अलग से यूनिवर्सिटी की जरूरत नही थी उनके लिये यह खोला गया ताकि और टुकडे भारत के करके उसे नेश्तानाबूत किया जा सके।
अब बात करते है यहां के कार्यशैली की तो कुछ समय पहले यहीं के मराठी भाषा के प्रोफेसर डाक्टर श्रीनिवास रामचंद्र सरस की गलती थी कि वह देशभक्त थे…वरिष्ठता की वजह से हेड आफ डिपार्टमेंट बन चुके थे…कुछ कनिष्ठ लोगों के लिए यह बर्दाश्त के बाहर की बात थी कि एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी में गैर मुस्लिम विभागाध्यक्ष बने…इन्हें गे बताकर निलंबित किया गया…बदनाम किया गया और पीटा गया….उनका घेराव किया गया…एक दिन प्रोफेसर की लाश उनके घर से मिली….एक इंजीनिएरिंग छात्र को होस्टल में अपने कमरे में भगवान हनुमान की मूर्ति रखने से रोका गया… हनुमान भक्त छात्र ने मूर्ति हटाने से इनकार किया ! परिणाम उस बच्चे की जीवन रेखा लुप्त हो गई ।इसलिये 25 साल पहले जब अलीगढ़ में दंगे होते थे…तो अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के देशभक्त छात्रों को तुरंत होस्टल खाली कर घर भागना पड़ता था ! लड़कियां तो लड़कियां,लड़को के हिन्दु माँ बाप भी अपने बच्चों को यहाँ भेजने से भयभीत रहते हैं ! यहां धर्मपरिवर्तन की उम्मीद की जाती थी ! पाकिस्तान या बांग्लादेश के मैच -भारत के साथ हो तो यहाँ के छात्र पाकिस्तान और बांग्लादेश का समर्थन करते हैं ! देशभक्त दिल मसोस कर रह जाते हैं ! हिंदुओं को सर्वत्र हिकारत से देखा जाता है, यहाँ.।
आज हालात यह है कि रमजान का महीना तो हिन्दू छात्र-छात्राओं के लिए नरक बन जाता है…पूरे दिन यूनिवर्सिटी के कैन्टीनें पूर्ण रूप से बंद रहती हैं…क्योकि कैंटीन के स्टाफ भी रोजा रखते हैं,साथ ही रोजे के दौरान खाने-पीने की चीजें देखना तक अब कुफ्र माना जाने लगा है !!…रोजे में खाना बनाने तक पर मुमानियत मानी जाती है! हालात यह है कि आप बाहर से खाना लाकर खा तक नहीं सकते क्योंकि रोजेदार आपकी इस हरकत से क्रोधित हो सकते हैं ! पूरी यूनिवर्सिटी एक बड़ी मस्जिद में तब्दील हो जाती है ! जिसका जहां मन होता है,वहां नमाज पढ़ने लगता है!खास तौर से यहां की लाइब्रेरिया नमाज पढ़ने की सबसे पसंदीदा जगह हैं…लेकिन उस दौरान यदि कोई बोलने-चलने की आवाज हो गई तो पिटाई की काफी संभावनाएं रहती है….हिन्दू छात्रों पर विशेष कृपा रहती है…लट्ठ चलने की !
वैसे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी सार्क देशों के नाम पर अफगानिस्तान,पाकिस्तान,बांग्लादेश के हजारों मुस्लिमों को एडमिशन देती आई है परंतु भारत के हिंदुओं के लिए सामान्यतः इनके दरवाजे बंद हैं ! मजे की बात यह है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, हिन्दू राजा महेंद्र सिंह की प्रदत्त जमीन पर बनी है…परंतु राजा की फोटो कहीं आपको यूनिवर्सिटी में नहीं मिलेगी…उनकी 150 वी जयंती मनाने की अनुमति भी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नहीं दी थी !! अनोखी बात यह है कि देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में प्रवेश की अनुमति बमुश्किल मिलती है…परंतु कश्मीरी आतंकी यहाँ के होस्टलों से अक्सर पकड़े गए हैं और क्यों न हो जब जिन्ना जिन्होने भारत का बंटवारा करवाया आज आदर्श बने हुए तो कल्पना भी और क्या की जा सकती है।
अराजकता की बात करें तो पहले से ही सभी गाडियों को यहां के ठहराव को मान्यता रेलवे ने दे रखी है। लेकिन अक्सर मारपीट ,लूटपाट व छेडखानी इस स्टेशन पर होती है और आरपीएफ वाले सारा तमाशा चुपचाप देखते है। अगर यात्रियों से राय सुमारी की जाय तो अलीगढ वालों को छोडकर कोई ये नही कहेगा कि यहां यह सुविधा दी जानी चाहिये । इसका मुख्य कारण यह है कि यहां के लोग बदमीज व बेतुके बोल बोलने के लिये व मारपीट करने के लिये विख्यात है जिसमें से ज्यादातर संख्या इसी मुस्लिम यूनिवर्सिटी की है। जिसने सारा माहौल गंदा कर रखा है। सरकार को चाहिये इस पर गौर करे और जो जरूरी न हो या लंबी दूरी की गाडियों का ठहराव यहा नही किया जाय।
बाक्स: बड़े बड़े जेहादी सूरमा पैदा हुए हैं इस अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में !! ….16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान 15000 हिंदुओं के हत्यारे और असंख्य ब्लॉत्कारों के नायक जिन्ना के दाएं हाथ हसन सुहरावर्दी, अलीबन्धु, पाकिस्तान के पहले वजीरे-आजम लियाकत अली ,सलाहुद्दीन ओवैसी, अकबर और असददुद्दीन ओवैसी,मुख्तार अंसारी, शहाबुद्दीन,तस्लीमुद्दीन,सैय्यद शहाबुद्दीन,अकबर फातमी, आजमखान, इरफान हबीब,कैफी आजमी,जावेद अख्तर ,नसीरुद्दीन शाह जैसे देशभक्तों से घ्रणा करने वाले लोग इसी यूनिवर्सिटी ने पैदा किये हैं ! कश्मीर का खलनायक शेख अब्दुल्ला यहीं से भारत विरोध की आग लेकर श्रीनगर पहंुचा था ! महबूबा और मुफ्ती मोहम्मद सईद, मुजफ्फर अली बेग यहीं के नगीने हैं ! देश-विरोधी-आतंकी संगठन सिमी के संस्थापक सफदर नागौरी इसी यूनिवर्सिटी के हीरे हैं ! पाकिस्तान विचार का असली वर्कशाप अलीगढ़ यूनिवर्सिटी था…हामिद अंसारी साहब के कांग्रेसी विचारों को कौन नही नहीं जानता , यह यही के वारिस हैं।

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