गांधी परिवार से अलग अध्यक्ष

देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस को 3 साल से ज्यादा समय के बाद अंततः पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल गया है आंतरिक लोकतंत्र की उपेक्षा और परिवारवाद के आरोपों का सामना कर रही कांग्रेस ने विधिवत चुनाव कराते हुए मल्लि कार्जुन खरगे के रूप में अपना नया अध्यक्ष चुना ।

          2019 में लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था ।तब से सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभालने का चुना जाना ,इस बार का प्रतीक है कि सीताराम केसरी के बाद से करीब ढाई दशक बाद पार्टी की कमान गांधी परिवार से किसी के हाथ में गई है। बात केवल नए अध्यक्ष का नहीं है। चयन के बाद वह पार्टी के लिए अभी अध्यक्ष बनकर सामने आ पाएंगे ,गांधी परिवार से उनकी करीबी और परिवार के प्रति निष्ठा किसी से छिपा हुआ नहीं है। ऐसे में स्वाभाविक है कि खरगे वास्तविक पार्टी को नई दिशा देंगे और पार्टी के विरुद्ध बोलेंगे, इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी को केवल नए अध्यक्ष के नेतृत्व की आवश्यकता है खरगे के समक्ष स्वयं को सक्षम नेतृत्व कर्ता के रूप में सिद्ध करने की चुनौती है कि गांधी परिवार के इशारों पर नहीं रहे बल्कि पार्टी को नई दिशा देने का प्रयास भी करेंगे।

नवनियुक्त अध्यक्ष की सबसे बड़ी समस्या चुनाव मे राहुल की भूमिका को लेकर है। जिसका जवाब कांग्रेस में किसी के पास नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से क्या राहुल 2024 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे ।क्या राहुल कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव लड़ेंगे या पार्टी संविधान के अनुसार मनोनीत होंगे ।खरगे की एक बड़ी समस्या सोनिया राहुल और प्रियंका को मनोनीत करने की भी होगी ।यदि 12 में से 4 मनमोहन सिंह को शामिल करें तो सदस्य ऐसे ही मनोनीत होंगे । तो पार्टी में नयापन कहां से आएगा दूसरी तरफ बिना गांधी परिवार के प्रति कार्य समिति का इकबाल बुलंद नहीं होगा ।

राजनीतिक रूप से खरगे के बढ़ने में सबसे बड़ी रुकावट 24 अकबर रोड का माहौल है क्या कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में खरगे रोजाना सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक राष्ट्रीय मुख्यालय में बैठेंगे यदि हां तो उनको अपनी एक टीम गठन करना होगा। जो अपने विश्वासपात्र नेताओं को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में राजस्थान और अन्य राज्यों में भेजना होगा। खुद खरगे बहुत कम समय तक संकट मोचन के रूप में काम करते रहे और पंजाब, महाराष्ट्र ,उत्तराखंड में सक्रिय भूमिका निभाई। प्रश्न यह उठता है कि क्या हुआ रणदीप सिंह सुरजेवाला ,केसी वेणुगोपाल और दूसरे मंत्रियों को अपने दूत के रूप में पेश करेंगे या नई ऊर्जा का संचार करेंगे ।इस संदर्भ में 50 से कम आयु के लोगों को आगे बढ़ाने का सपना अधूरा रह सकता है।

ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पहले नहीं रहे 1948 में जयपुर अधिवेशन में भी पट्टार्य भी सीतारामय्या को पार्टी अध्यक्ष चुना गया था उन्हें कांग्रेश के इतिहासकार के नाम से जाना जाता है यह गांधी परिवार से एकदम अलग थी नासिक अधिवेशन में पुरुषोत्तम दास टंडन 1929 में पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बने नेहरू प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए 1991 में पार्टी प्रमुख बने थे 1954 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे काठियावाड़ को भारतीय संघ में मिलाने की अहम भूमिका निभाने वाले और 1948 में सौराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बने यूएन डे पर 1955 में पार्टी के अध्यक्ष बने आंध्र प्रदेश के गठन के बाद मुख्यमंत्री बने एंडी को दिसंबर 1959 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गय

 तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के कामराज को 3 साल राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की कमान संभाली ऐसे समय में कमान संभाली थी जब लोगों को पार्टी पर भरोसा कम होने लगा था और उसके दौर में पार्टी टूट का सामना करना पड़ा था कहे जाने वाले बाबू जगजीवन राम को अध्यक्ष चुना गया था।

आपातकाल के समय डीके बरुआ के हाथ में पार्टी की कमान थी लोकसभा चुनाव में हार के बाद 1978 में इंदिरा गांधी ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली थी और 1984 तक वह अध्यक्ष रहे 1985 में राजीव गांधी को अध्यक्ष चुना गया 1982 में पी व नरसिंह राव अध्यक्ष चुने गए इसके बाद सीताराम केसरी को अध्यक्ष बनाया गया सीताराम केसरी के रवैए में बदलाव आने के बाद सोनिया गांधी में अध्यक्ष पद संभाल लिया उसके बाद राहुल गांधी अध्यक्ष रहे 2019 के चुनाव के बाद उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। ऐसे में अब यह कहना कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस नहीं चल सकती यह गलत समय-समय पर कई नेताओं ने कांग्रेस को संकट मोचन बनकर उभरा है मोतीलाल वोरा कभी अध्यक्ष नहीं रहे लेकिन वह भी संकट मोचन एक लंबे समय तक पार्टी के लिए बने रहे सोनिया गांधी के सबसे करीबी रहे पी चिदंबरम ,अहमद पटेल आज भी काफी लोकप्रिय कांग्रेसमें रहे।दिग्विजय सिंह के नाम से तो सभी परिचित हैं फिर कैसे लोग कह रहे हैं कि कांग्रेसी ना गांधी परिवार के नहीं चल सकते।

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