अमृत काल के 5 सूत्र

यह वह 5 सूत्र है जो विकसित भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेंगे इन 5 पुराणों में विरासत पर गर्व का उल्लेख किया गया है जिसे समझने की जरूरत है हम सभी यह जानते हैं कि कोई भी देश तब तक विकास के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता जब तक वह अपनी विरासत को सहेजना नहीं जानता हम कौन हैं हमारी मान्यता क्या है हमारी कला संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत ही तो वह माध्यम है जो हमें इन 4 सवालों का जवाब देती हैं वह औरों से अलग पहचान दिलाती हैं यही वह माध्यम है जो हमें पूर्वजों के ज्ञान को समझने जानने और आत्मसात करते हुए भविष्य की चुनौतियों से लड़ने और उन पर विजय हासिल करने पर बल देती है।

हमें अपनी विरासत पर गर्व करने से पहले यह समझना होगा कि आखिरकार भारत की विरासत है क्या यहां यह बात सौ 200 साल के इतिहास की नहीं हो रही है विषय महत्वपूर्ण है और प्रधान सेवक ने इस संकल्प का उद्देश्य उस बिंदु को समझने का है जो हमें भविष्य की ओर छलांग लगाने की ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ हमारे इतिहास या यूं कहें कि हमें अपनी हमारी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है भारतीय विरासत कई शताब्दियों पहले की है यह विशाल है प्रमाणिक है और आज भी हमारे बीच जीवंत है ।हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारत में ही विश्वकोश उनका ज्ञान दिया चिकित्सा की बात करें तो रिसीव सूसूत्व चरक की तमाम संस्थाएं भारत की ही देन है अध्ययन अध्यापन के मोर्चे पर तक्षशिला नालंदा भारत में ही स्थापित ज्ञान के केंद्र रहे हैं।

आज भारत जब सुपरपावर बनने की दिशा में अग्रसर है तो अवश्य ही हमें अपनी उस विरासत को संजोने संचारित करने की ओर भी विशेष ध्यान देना होगा जिसके बूते आज हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं हरियाणा राज्य की बात करें तो वह पावन भूमि है जहां भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था आज गीता का ज्ञान को समूचा विश्व स्वीकार ता है और अपना रहा है देश विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में इससे जुड़े अध्ययन अध्यापन और शोध कार्य हो रहे भारत भूमि के विरासत में ऐसे अनेक गुण सत्य विद्यमान हैं जो न सिर्फ भारत बल्कि समूचे विश्व की प्रगति विकास व मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

भारतीय विरासत पर गर्व करने के साथ-साथ इसे सुरक्षित संस्कृत व इसकी प्रमाणिकता वह तथ्यपरक पक्ष पक्षियों को जनमानस के बीच पहुंचाने की भी आवश्यकता है भारतीय इतिहास के उत्तरी लगातार प्रचारित प्रसारित की गई और आर्य भारत में बाहर से आए हैं और वह यहां के मूल निवासी नहीं है । समय बताता है कि भारत में जो विकास हुआ वह यही के निवासियों द्वारा किया गया राखीगढ़ी हरियाणा में खुदाई के बाद 5000 साल पुराने एक महिला के कंकाल ने डीएनए का अध्ययन करवाया कि हड़प्पा कालीन लोग हमारे जैसे ही थे और हम उनके वंशज हैं इससे वह पूरी पूरी तरह से गलत साबित हो जाती है कि आर्य बाहर से आए थे और उन्होंने हमारी सभ्यता का विकास किया इस तरह से विकास पर गर्व और उसकी तथ्यपरक प्रमाणिकता आधारित समझ बेहद जरूरी है।

आंकड़े बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष की गुलामी के कालखंड ने भारत के अंतर्मन और भारतीयों की भावनाओं को कई गहरे घाव दिए हैं इसके बावजूद हमारी जीविका जुनून व जोश कम ना होना उसके विरासत की देन है जिसके बूते आज तक भारत अपनी हस्ती पर करा रहे हैं भारत अब नई चेतना नई उमंग और नए विश्वास के साथ अपने अतीत को शहीद हुए भविष्य की ओर बढ़ रहा है नई शिक्षा नीति को देखें तो उसमें भारतीय भारतीय भाषाओं में शिक्षा कौशल विकास शोध अनुसंधान नवाचार और अपनी विकास पर गर्व का भाव कूट कूट कर भरा हुआ है।

स्वतंत्र भारत की यह पहली ऐसी शिक्षा नीतियों को पूरी तरह से भारतीय संकल्पों भारतीयता के भाव और भारतीय सोच के साथ भारत को विकसित देश बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रही है रास्ता लंबा है और उसमें हर कदम पर चुनौतियां हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि भारत में सदैव चुनौतियों से पार पाते हुए विश्व को राह दिखाई है यह भारत देश ही है जो वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है आप मेरे पर भारत विश्व गुरु भारत समृद्ध भारत सुपर पावर भारत सशक्त भारत के लिए प्रयास जारी हैं जिसमें आप लोगों के योगदान की जरूरत है इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए हमें अपनी विरासत से प्रेम और उस पर गर्व करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

जहां तक सफलता की बात है तो इतिहास गवाह है कि भारत ने सदैव विश्व समुदाय को भविष्य की राह दिखाई और आज भी उसी जज्बे उसके साथ मानवता की भलाई हेतु प्रयासरत है युवकभारती पुरातन संस्कृत का ऐसा प्रमाण है जो कई वर्षों से भारत की आत्मा में रचा बसा है भारतीयों की महत्वता को आज समूचा विश्व शिकार करते हुए उसे अपना रहा है संपूर्ण विश्व भी आज इस बात को समझता है कि भारत और उसके लोग ही हैं जो अपनी क्षमताओं के सहरे असद लक्ष्यों को प्राप्त करने का दम रखते हैं यकीनन भारत की मिट्टी में वह ताकत है जो सामर्थ्य है जिसके बूते हम सदियों से अपनी पहचान बनाए रखने में कामयाब रहे हैं विरासत पर गर्व की यही भाव हमें विश्व पटल पर विकसित राष्ट्र की मुकाम पर स्थापित करने में मददगार साबित होगा।

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