पाकिस्तान के इशारे पर खालिस्तान की मांग फिर से शुरू होने लगी है इससे पूर्व पंजाब में भिंडरावाले ने इस काम को अंजाम दिया था। स्वर्ण मंदिर में हथियार का जखीरा बरामद हुआ था और इंदिरा गांधी की सरकार ने उस पर कार्रवाई की थी। उस समय यह मामला बहुत ही गंभीर था जिसे लेकर ही कदम उठाए गए थे।खालिस्तान की मांग फिर से उठने लगी, इस मांग ने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बलि ली उसके बाद एक 11694 लोग आंतकवाद के दौर में मारे गए, 1784 पुलिसकर्मी व सुरक्षा बल जवान लड़ते हुए शहीद हुए, 8968 आतंकवादियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ।
खालिस्तान की साजिश बहुत पुरानी है इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है सन 1984 से 95 तक पंजाब में आंतकवाद का दौर चला और उसे खत्म भी किया, 27 साल बाद आंतकवाद के दौर को लौटाने की साजिश साफ दिखती है। पाकिस्तान की साजिश का नमूना देखिए कथित खालिस्तान के नक्शे में पाकिस्तान की 1 मीटर जमीन भी नहीं है बिना ननकाना साहिब दिए हुए चंद लोगों को अलग देश के झूठे सपने दिखा रहा है। पाकिस्तान की मंशा है कि पंजाबी वर्ग जो हिंदुस्तान की एक प्रमुख रीढ़ की हड्डी है उसे तोड़ कर के एक नए राष्ट्र का जन्म कराया जाए और फिर जैसे उन्होंने मुस्लिम का हवाला देते हुए अन्य देशों को जन्म दिया ,उसी तरह सिख भी भारत को छोड़कर दूसरे देश बनाएं।
सुरक्षा एजेंसियों को अपने स्तर पर सावधान रहना चाहिए। दूसरे देशों की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए ,वोट की राजनीति के चक्कर में अलगाववादियों को साजिश का मौका देना ठीक नहीं है। राजनीतिक पार्टियों को इतिहास याद कर लेना चाहिए ,आज अगर पंजाब में शांति है तो इसके लिए अनेक नेताओं ने भारी कीमत चुकाई है। पंजाब में राजनेताओं और सरकार को ज्यादा सावधान रहना होगा ताकि बुरे दिन ना लौटे। सबसे खास बात यह है कि पंजाब की सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही केंद्रीय एजेंसियों को भी पूरे तालमेल के साथ काम करना जरूरी है। ध्यान रहे पिछले कुछ दिनों सुरक्षा बल के बीच समन्वय का जो अभाव दिखा है उससे भी असामाजिक तत्वों का दुस्साहस बढ़ा है। अलगाववादी के खिलाफ विश्व स्तर पर समन्वय के साथ चलने की जरूरत है ।कनाडा यूके ,ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों को भी बंद करना चाहिए कि वहां भी कोई भारत विरोधी गतिविधि ना चलने दे।
पिछले दिनों कथित खालिस्तानी प्रचारकों के खिलाफ पंजाब पुलिस ने कार्रवाई को तेज किया है। इसके प्रचारक अलगाववादी अमृतपाल सिंह वारिस से पंजाब देकर प्रमुख के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो रही है ।अमृतपाल के जीवन की तरह घटनाएं भी उनके लिए नाटकी हो गई हैं। साल 2022 में ही यह कथित नेता दुबई से भारत आया था। उसका मकसद अभिनेता दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे का नेतृत्व संभालना था ।इसने भारत आकर एक अलग देश के लिए अपील कर दी जिसकी इस हिमाकत से राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सक्रिय कर दिया। नतीजा यह है कि वारिस दे पंजाब के 114 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है । गोला बारूद बरामद किए गए हैं इस समूह के 5 सदस्यों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के तहत आरोप दर्ज किया गया है और असम के डिब्रूगढ़ की एक जेल में भेज दिया गया है।
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि अमृत पाल सिंह पंजाब की जासूसी एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस आईएसआई के संपर्क में है ।आईएसआई ने उससे संपर्क साधा, जब वह दुबई में था। साल 2022 में भारत आने से पहले उसने प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजा गया था ।अमृतपाल , अवतार सिंह खंडा बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े परमजीत सिंह पम्मी का सहयोगी है और युवाओं के लिए सैद्धांतिक कट्टरपंथी प्रशिक्षण कक्षाएं चलाने के लिए जाना जाता है। आंतकवाद का विचार पंजाब को अस्थिर करने और क्षेत्र में अमृतपाल को मजबूती देने के लिए चलाया जा रहा है हालांकि केंद्रीय जांच एजेंसियां अभी सीधे-सीधे काम नहीं कर रही है, वह पंजाब पुलिस के अधिकारियों के साथ जुड़े हुए हैं। उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और जरूरी सूचनाएं साझा कर रहे हैं। सितंबर 2022 से ईडी व अन्य एजेंसियां अमृतपाल के इतिहास विदेश में उसके सहयोगी और हैंडलर्स फंडिंग पैटर्न के बारे में जानकारी जुटा रही और विभिन्न आकलन से यह स्पष्ट है कि उसे आईएसआई मदद दे रही है। जैसा कि वह हमेशा से करती आ रही है।
अलगाववादी पर नकेल कसने की योजना ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान के बीच बैठक के दौरान आकार लिया। भगवत मान के साथ उस दिन दिल्ली में पंजाब पुलिस के प्रमुख महा निर्देशक भी थे जिन्होंने अभियान की योजना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठक की ।अब जहां तक कार्रवाई की बात है तो कानून और व्यवस्था गतिविधियों में राज्य सरकार की सहायता के लिए केंद्रीय सशस्त्र सैनिक की 18 कंपनियां पंजाब भेजी गई। 18 टुकड़ियों में से 8 को रैपिड एक्शन फोर्स से लिया गया था।
इसके बाद धन उगाही करने वाले अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह, दलजीत सिंह कलसी, भगवत सिंह ,गुरमीत सिंह और बाजेका को पंजाब पुलिस ने एक टीम असम ले गई और अब उन्हें डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में रखा गया है।अमृतपाल के समर्थकों द्वारा किसी भी हमले या बड़े पैमाने पर विरोध से बचने के लिए प्रमुख रूप से बाहर रखने का फैसला लिया गया। सितंबर 2022 पर कार्रवाई के दौरान भी ऐसा ही रुख अपनाया गया था ।प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन के अधिकारियों को दिल्ली लाया गया है ।अलगाववादियों को रखने के लिए असम के दो प्रमुख कारणों से चुना गया । यह राज्य पंजाब से बहुत दूर है इसके लिए नहीं चुना गया दिल्ली आम आदमी पार्टी द्वारा शासित है और निरंतर विरोध और पंजाब से निकटता के चलते आरोपियों को यहाँ नहीं रखा जा सकता।
फिलहाल एनएसए के तहत कोई भी केंद्र या राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति को राज्य की सुरक्षा के प्रतिकूल कार्य करने से रोकने के लिए हिरासत में ले सकती है। महत्वपूर्ण रूप से धारा 5 में यह कहा गया है कि बंदियों को हिरासत में लेकर एक से दूसरे राज्य में ले जाया जा सकता है ।हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि हिरासत की तारीख से 12 महीने हो सकती है।