कांग्रेस में अंतर्द्वंद

कांग्रेस में समय काफी घमासान चल रहा है एक ओर जहां नए अध्यक्ष को लेकर के चर्चाएं हो रही हैं वही राहुल गांधी की कांग्रेश यात्रा काफी विवादों में है | अब समझ में यह नहीं आता कि राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा कैसे करेंगे जो कि आगामी सितंबर में हो शुरू होने वाली है। इसी तरह अध्यक्ष पद को लेकर काफी अटकलें हैं गांधी परिवार के तीन सदस्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अध्यक्ष पद नहीं लेना चाहते लेकिन कांग्रेस के साथ जुड़े रहना चाहते हैं और उनके कार्यक्रमों में हिस्सा लेना चाहते हैं जो भी अध्यक्ष बनेगा उसके लिए सबसे बड़ी दिक्कत यही होगी कि गांधी परिवार को कैसे वहां अपने निर्णयों में शामिल करें उसका अपना कोई निर्णय नहीं होगा और यही सबसे बड़ी बाधा है जो कांग्रेस की तरक्की में आ रही है।

सबसे पहले आनंद शर्मा की  बात चल रही थी वह हिमांचल से आते हैं प्रभावशाली और जनरल के कैंडिडेट है। मंत्री केंद्रीय मंत्री आदि सब रह चुके हैं निर्विवाद छवि है कोई आरोप नहीं लेकिन वह किनारे हो गए। जिन नामों पर अब चर्चा है उसमें मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा दलित के रूप में ,अशोक गहलोत व भूपेश पटेल पिछड़े वर्ग से आते हैं जो अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं लेकिन अंतिम फैसला गांधी परिवार का ही होगा। दो नाम भी बड़ी प्रमुखता से लिये जा रहे हैं दिग्विजय सिंह और राजीव शुक्ला|

सबसे पहले बात करते हैं राहुल गांधी के राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा करना चाहते हैं लेकिन उनके जो संयोजक है उनका नाम दिग्विजय सिंह है। दिग्विजय सिंह के जो भी निर्णय आज तक हुए हैं उसमें किसी में भी कांग्रेस को सफलता नहीं मिली है। ऐसा नहीं है कि दिग्विजय सिंह कद्दावर नेता नहीं है लेकिन उनका काम वैसा ही है जैसे मुल्लो की दौड़ मस्जिद तक, वह हर निर्णयों में गांधी परिवार के ही करीब पहुंचना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस को आगे बढ़ाना चाहते हैं ऐसे कैसे संभव होगा। बाकी नेता जो कांग्रेस को बढ़ाना चाहते हैं  उसके साथ-साथ यह भी ख्याल रखना चाहते हैं कि गांधी परिवार नाराज ना हो उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है जब तक दिग्विजय है तब तक वह यात्रा सफल नहीं हो सकती क्योंकि उस यात्रा का निर्माण की चापलूसी करने वाले नेताओं के द्वारा किया जा रहा है । देर सबेर राहुल गांधी की समझ में आ जाएगी, नहीं तो मुंह की खानी पड़ेगी। 

 अब बात करते हैं अध्यक्ष पद की ,तो कांग्रेस में अध्यक्ष पद इस बार बाहर का होगा ।यह असर अब दिखने लगे इसके पहले भी सीताराम केसरी अध्यक्ष रह चुके हैं लेकिन उनसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का व्यवहार बहुत अच्छा नहीं था। अब मुकुल वासनिक, अशोक गहलोत ,कुमारी शैलजा या भूपेश बघेल में से एक को बनाए जाने की बात कही जा रही यह चारों ही नेता निर्विवाद है और कांग्रेस को एक ठीक-ठाक पटरी पर ले जा सकते हैं । लेकिन जो चापलूस हैं उनको यह बात अच्छी नहीं लगेगी कि कोई बढ़िया नेता जिसकी समाज में पकड़ हो साफ-सुथरी छवि हो वह कांग्रेस का अध्यक्ष बने । गांधी परिवार के पास भी अब कोई रास्ता नहीं है कि वह अपनी पार्टी का कायाकल्प इन नेताओं के बिना कर सकें। यह वह नेता है जिन्होंने जमीन पर काम किया है और एक वर्ग विशेष में इनका बड़ा प्रभाव है जिस तरह मुकुल वासनिक और कुमारी शैलजा दलित वर्ग से आते हैं उसी तरह अशोक गहलोत और भूपेश बघेल पिछड़े वर्ग से आते हैं और दोनों का ही अपने वर्ग में बहुत खासा पकड़ है जो अन्य कांग्रेसी नेताओं के पास नहीं है । 

वैसे भी देश की राजनीति भी आजकल इन्हीं दोनों के बीच चल रही है दलित हो या पिछड़ा। हर पार्टी इन्हीं का गुणगान कर रही हैं | बाकी किसी को कोई पूछ नहीं रहा है।

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