कोर्ट ने माना मोरबी हादसा लापरवाही 

मोरबी फुल पर एक नया मामला सामने आया है। वकीलों ने पुल हादसे के आरोपितों के लिए मुकदमा लड़ने से इंकार कर दिया और उसके विरोध में एक मार्च भी निकाला गया ।मोरबी बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता  ने कहा कि गिरफ्तार 9 आरोपियों के मुकदमे की पैरवी नहीं की जाएगी बल्कि उनकी रैली इसलिए है कि मोरबी दुर्घटना के मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

उधर अदालत में भी कई कमियां गिनाई है और कहा है कि मरम्मत में इस्तेमाल की गई सामग्री घटिया थी पूरा ढांचा कमजोर था। मरम्मत से पहले 143 वर्ष पुराने पुल का कोई स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं कराया गया उनकी कई केबल्स पर जंग लगी हुई थी, इसमें वह हिस्सा शामिल है, जहां से पुल टूटा, मरम्मत के दौरान केबल्स को नहीं बदला गया। सिर्फ फ्लोरिंग को बदला गया, मरम्मत कार्य के लिए जिनका ट्रैक्टरों की सेवाएं ली गई , ऐसे कार्य के लिए योग्य नहीं थे। सबकॉन्ट्रैक्टर्स में सिर्फ केबल्स पर पेंट करवा दिया। बिना इस बात का आकलन किए उनको लोगों के लिए खोल दिया गया कि यह कितने लोगों का भार वहन कर सकता है उसको खोलने से पहले सरकार की अनुमति नहीं ली गई ।राहत और बचाव की कोई आपातकालीन योजना नहीं थी ।वहां कोई जीवन रक्षक उपकरण एवं जीवन रक्षक नहीं थे। मरम्मत कार्य का दस्तावेज निराकरण नहीं किया गया और ना ही विशेषज्ञों से उसे निरीक्षण कराया गया। कंपनी के पास मरम्मत कार्य करने के लिए दिसंबर तक का समय था लेकिन दीपावली वह गुजराती नव वर्ष पर भीड़ के मद्देनजर इसे पहले ही खोल दिया गया जो सही नहीं था।। इस पर कंपनी के मैनेजर ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इस बार भगवान की कृपा नहीं रही इसलिए हादसा हो गया, उसने इस हादसे को एक्ट ऑफ गॉड कहा।

मोरबी हादसे में कुछ और पहलू है जिन पर विचार करने योग्य है मोरबी नगर महापालिका के अधिकारियों ने यह कहकर जिम्मेदारी से अपना पल्ला झाड़ लिया कि पुल को बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और उनकी जानकारी के खोल दिया गया है लेकिन सवाल यह है कि अधिकारी पु ल को लोगों के लिए खोले जाने को लेकर बेखबर कैसे रहे उन्होंने कस्बे के सबसे बड़े आकर्षक की प्रगति पर नजर क्यों नहीं रखी। दूसरा मामला स्थानीय नगरपालिका अधिकारियों ने कहा कि 143 वर्ष पुराना पुल एक समय से 125 लोगों के लिए डिजाइन किया गया था तो पुल पर एक साथ इतने लोगों के जाने की अनुमति कैसे दी गई। तीसरा उनको मरम्मत के लिए 8 से 12 महीने बंद रखना था इसे साथ में ही महीने में लोगों के लिए खोलने पर किससे किस की क्षमता और सुरक्षा प्रमाणन की निरीक्षण किया कराया गया ।चौथा औरैया कंपनी ने बिना सीरियल नंबर के टिकट जारी किए नगर निगम ने इस अनियमितता को क्यों होने दिया वह पुल पर लोगों की निगरानी करने में विफल रहे। पांचवा रखरखाव का काम सबकॉन्ट्रैक्टर निजी कंपनी को दिया गया था क्या अधिकारियों ने सबकॉन्ट्रैक्टर के बारे में पड़ताल की थी यह सवाल है जो अभी भी इस हादसे पर नए सवाल खड़े करते हैं।

फिलहाल जो कुछ भी हुआ वह ठीक नहीं था सैकड़ों लोगों की जान चली गई और जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं वह इस मामले की लीपापोती को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे अधिकारी मिले हुए हैं इस बात के पुख्ता प्रमाण है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही ।जिन कंपनियों ने काम किया उन्होंने  भ्रष्टाचार फैलाया और रुपए कमाए इस बात में संदेह नहीं है लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है ।अब यह मामला सामने आ गया है और एक बड़ी घटना हो गई है तो क्या पैसे काम आएंगे। इस बात का अहसास उन्हें होने लगा होगा सरकार अपना काम करेगी जो लोग दोषी है उनको सजा मिलेगी। जिन लोगों की मौतें हुई है उन्हें वापस तो नहीं लाया जा सकता लेकिन उनके परिवार वालों को तसल्ली दी जा सकती है जो जिम्मेदार थे उन्हें सजा मिली।

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