इमरजेंसी का दौर 

                                        इमरजेंसी लगने के बाद सबसे पहले तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया. इसके बाद बारी आई लेखकों-कलाकारों की. संजय गांधी और केन्द्रीय सूचना मंत्री विद्याचरण शुक्ल के निर्देशन में बंबई के तमाम फ़िल्मी लोगों को इन्दिरा स्तुति करने के लिए बाध्य किया जाने लगा. जो ऐसा करने के लिए मान गए उनकी चांदी कटी जो नहीं माने उन्हें भारी नुकसान झेलने पड़े.किशोर कुमार ने संजय गांधी के लिए गाने से मना किया तो उनके गाने आकाशवाणी और दूरदर्शन में बैन कर दिए गए. उनके रेकॉर्ड्स की बिक्री पर पाबंदी लग गई. देव आनंद, मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे और मनोज कुमार जैसे लोगों ने भी इमरजेंसी का विरोध किया और तमाम तरह के खामियाज़े भुगते.

मनोज कुमार का मामला थोड़ा सा विस्तार में बताने लायक है. देशभक्ति की थीम पर खासी सतही फ़िल्में बनाने में मनोज कुमार को इस कदर महारत हासिल हो चुकी थी कि लोग उन्हें भारत कुमार कहने लगे थे. सन पैंसठ के युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के कहने पर मनोज कुमार ने ‘उपकार’ फिल्म बनाई थी. ‘मेरे देश की धरती सोना उगले’ वाला गीत इसी पिक्चर में था.इमरजेंसी लगाने के थोड़े समय बाद मनोज कुमार को सूचना प्रसारण मंत्रालय से आदेश प्राप्त हुआ कि वे इंदिरा सरकार की नीतियों के पक्ष में एक डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन करें. इसके लिए एक तैयार स्क्रिप्ट उन्हें भेजी गई. सरकार के समर्थक समझे जाने वाले मनोज कुमार ने ऐसा करने से सीधे इनकार कर दिया।                

 विद्याचरण शुक्ल ने उन्हें सबक सिखाने का फैसला किया. सज़ा के तौर उनकी सुपरहिट फिल्म ‘शोर’ की कमाई घटाने के लिहाज़ से उसे दूरदर्शन पर दिखा दिया गया. और उनकी अगली फिल्म ‘दस नम्बरी’ बैन हो गई. इसके खिलाफ मनोज कुमार कोर्ट भी गए. उसके बाद मनोज कुमार ने कई फिल्में बनाई और वह सभी सुपर सुपर हिट रही भारत कुमार का जलवा उनके अंतिम समय तक रहा।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश के करीब चार दर्ज़न बड़े लेखक-कवियों ने इमरजेंसी को सही भी ठहराया और इस बाबत एक चिठ्ठी जारी की. इसमें दस्तखत करने वालों में हरिवंशराय बच्चन, कुंवर मोहिंदर सिंह बेदी, मौलाना अतीक-उल-रहमान और राजिंदर सिंह बेदी प्रमुख थे.इस लिस्ट में अमृता प्रीतम का भी नाम था. जिस डॉक्यूमेंट्री को मनोज कुमार ने डायरेक्ट करने से मना कर दिया था उसकी स्क्रिप्ट भी इन्होंने ही लिखी थी. मनोज कुमार के इनकार से शर्मिन्दा अमृता प्रीतम ने उन्हें चिठ्ठी लिख कर कहा कि स्क्रिप्ट को जला दें.सबसे बड़ा कमाल तो यह है की आज इन्हीं अमृता प्रीतम का जन्मदिन मनाया जा रहा है और चमचे आज मोदी जी को हिटलर कहते है। 

लेकिन इमरजेंसी से देश को एक फायदा भी हुआ ऐसे तमाम नेता जो कांग्रेस के परदे के पीछे छिपे हुए थे वह सामने आ गए और देश के बड़े नेता कह लाए जिनमें अटल बिहारी बाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, जयप्रकाश नारायण आदि नेताओं के नाम आते हैं इसलिए इमरजेंसी को कई नेता अपने लिए बहुत शुभ  बताते हैं। सच भी है अगर इमरजेंसी न आई होती और कांग्रेस का कार्यकाल ना होता तो यह नेता कभी आगे ना बढ़ पाते।

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