यात्राओं का भारतीय राजनीति में महत्व

भारत देश के राजनीति में  यात्राओं का बहुत महत्व है। समय-समय पर प्रदेश के अंदर होने वाली यात्राओं ने प्रदेश की राजनीति को जहां बदला है वही राष्ट्रीय राजनीति में भी यात्राओ ने अपना रंग दिखाया है कुछ यात्राएं तो ऐसी रही हैं जिन्होंने केंद्र व प्रदेश में सरकारे बनवा दी हैं ।

सबसे पहले बात करते हैं एनटी रामा राव के  प्रथम यात्रा की, आंध्र प्रदेश में वर्ष 1982 में एंटी रामाराव ने चेतन मे रणथम यात्रा निकाली। 75000 किलोमीटर की इस यात्रा ने प्रदेश के चार चक्कर लगाए जो गिनीज बुक आफ द रिकार्ड में दर्ज है। एक्सरे व लेवल में बदलाव करके बने रथ में एंटी ने 1 दिन में सौ सौ जगहों पर रुकते थे।जनता इंतजार करती महिलाएं उनकी आरती उतारती थी यात्रा के बाद विधानसभा चुनाव में तेलुगू देशम पार्टी को 294 में से 199 सीटें मिली और एनटीआर आंध्र प्रदेश के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।

इसके बाद वर्ष 1990 में भारतीय जनता पार्टी ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन को तेज करते हुए सोमनाथ से अयोध्या तक देशव्यापी देशव्यापी रथयात्रा की घोषणा की इस यात्रा में सारथी बने लालकृष्ण आडवाणी रथयात्रा 25 सितंबर को शुरू होकर सैकड़ों सरोवर गांव से गुजरते हुए बिहार पहुंची। बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने समस्तीपुर में रथयात्रा रोककर आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया रथयात्रा के बीच में रुकना था कि राम मंदिर आंदोलन में भारी संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 120 सीटें मिली जो पिछले चुनाव से 35 अधिक थी।

इसके बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता वाईएसआर रेड्डी ने वर्ष 2004 में आंध्र प्रदेश में चेवेल्ला शहर से 15 किमी की पैदल यात्रा शुरू की ।यात्रा 11 जिलों से होकर गुजरी, विधानसभा चुनाव में 294 में से 185 सीटों पर कांग्रेस की जीत के साथ 10 वर्ष से जारी टीडीपी का शासन खत्म हुआ और वाईएसआर रेड्डी मुख्यमंत्री बने। इससे पहले एनटी रामा राव से ही जुड़े लोग आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बना करते थे और उन्हीं का दबदबा था।

आंध्र प्रदेश में ही वर्ष 2017 में प्रजा संकल्प यात्रा निकाली गई इस यात्रा ने युवा जगमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया ।वर्ष 2009 में वाईएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद कांग्रेस ने उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद जगमोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी बनाकर पिता की यात्रा निकाली जो उनके राजनीतिक कैरियर की खेवनहार बनी ।430 दिन में 13 जिले में 3648 किमी की दूरी तय करते हुए यात्रा श्रीकाकुलम तक पहुंची ।वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को 175 में से 152 सीटों पर विजय मिली और जगमोहन सीएम बने।

इसी क्रम में अब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा निकाली गई जिसका परिणाम भविष्य बताएगा लेकिन बीते चार दशक की बात करें तो राजनीतिक माहौल को प्रभावित करने वाली चार यात्राएं देश की प्रमुख यात्राएं नहीं है इनमें से तीन राज्य स्तर की और आंध्र प्रदेश में हुई इस अवधि में राष्ट्रीय स्तर की इस अवधि में एक ही यात्रा अहम मानी जाती है जिसे भाजपा ने राजनीतिक पहचान बढ़ाने के लिए शुरू की थी और वह बहुत ही सशक्त बनी।

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