भारत को लेकरनया संदेश

 प्रधानमंत्री G20 की बैठक का शुभारंभ कर रहे थे.  देश में आए मेहमानों को संबोधित कर रहे थे, ठीक उसी दौरान उनकी टेबल पर रखी लकड़ी की नेमप्लेट पर रोमन में ‘भारत’ लिखा हुआ था, जिसे पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया देख रही थी .तो क्या सरकार की मंशा पूरी दुनिया में इंडिया की पहचान भारत नाम से कराने की है? या भारत लिखकर सरकार कुछ संदेश देना चाहती हैं।

क्या बिना संविधान संशोधन के ऐसा किया जा सकता है कि देश में हो रहे किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपने देश का नाम भारत लिखा जाए. क्या सरकार संविधान संशोधन की जटिल प्रक्रिया से बचने के लिए इस तरह का आसान तरीका अपना रही है, क्या संयुक्त राष्ट्र इसे स्वीकार करेगा? भारत के राजदूत रह चुके विनय काटजू कहते हैं कि चूंकि अपने देश में कार्यक्रम हो रहा है इसलिए इसमें कानूनी अड़चन नहीं है.संयुक्त राष्ट्र का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है. अपने देश में भी संविधान के ऑर्टिकल वन में लिखा है ‘इंडिया दैट इज भारत’, इसलिए भारत शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।चूंकि संयुक्त राष्ट्र में अल्फाबेट के हिसाब से सीट निर्धारित होती है. इसलिए वहां नाम बदलने की अर्जी देनी होगी. पर इसके लिए ये जरूरी नहीं है कि पहले देश में संविधान संशोधन हो. आपके देश में संविधान में क्या है,इससे यूएन को कोई मतलब है नहीं. भारत सरकार जब चाहे संयुक्त राष्ट्र में अपने नाम बदल सकता है।

इसी क्रम में देखा जाए तो 58वें संविधान संशोधन में संविधान के हिंदी अनुवाद को भी पूरी कानूनी अथॉरिटी मिल गई है. यह इसलिए किया गया है कि विधि प्रक्रिया में संविधान का आसानी से प्रयोग किया जा सके, इसके लिए आवश्यक है कि इसका हिन्दी पाठ भी प्राधिकृत हो.इस संविधान संशोधन में यह प्रावधान किया गया है कि संविधान का कोई भी हिन्दी संस्करण न केवल संवैधानिक सभा द्वारा प्रकाशित हिन्दी अनुवाद के अनुरूप हो, बल्कि हिन्दी में केंद्रीय अधिनियमों के प्रधिकृत पाठों की भाषा, शैली व शब्दावली के भी अनुरूप हो.इसके संशोधन के चलते इंडिया की जगह भारत लिखा है तो उसे चैलेंज नहीं किया जा सकता।

एक दैनिक अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी ऑफिशियल कम्युनिकेशन में इंडिया की जगह भारत के इस्तेमाल में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है. क्योंकि यह संविधान का हिस्सा है. जिसमें लिखा है कि इंडिया, दैट इज भारत. विशेषज्ञ जरूर यह बात कहते हैं कि अगर संविधान की प्रस्तावना मे इंडिया की जगह भारत करना हो तो इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा. साथ ही आधे से अधिक राज्यों जब अनुमोदन करेंगे तो तभी संविधान संशोधन हो सकेगा।मात्र जी-20 सम्मेलन में पीएम की सीट पर रोमन में BHARAT लिखे होने भर औपचारिक रूप से तो नहीं पर अनौपचारिक रूप से जरूर पहचान बन गई.यह एक संकेत भी है कि आगामी दिनों में होने सम्मेलनों में अब इंडिया की जगह भारत ही लिखा मिलने वाला है.भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र में भी नाम परिवर्तन के लिए ऑपलिकेशन लगा सकती है।

फिलहाल जो होना था वह हो गया अब लकीर पीटने से कोई फायदा नहीं ।विश्व में संदेश भारत का जाना था ,वह चला गया। विपक्ष को अब इसे जनता के सामने रखना होगा कि वह देश का नाम इंडिया चाहता है या भारत। जो जनमत होगा ,वह सरकार बनने के समय स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

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