दिल्ली में यमुना को लेकर सिर्फ सियासत

यमुना को लेकर के हमेशा से ही सियासी संग्राम छिड़ा रहता है। चाहे वह छठ पूजा हो, नगर निगम चुनाव हो या कोई और आयोजन, जिसे लेकर के हमेशा ही पार्टियां आपस में आरोप-प्रत्यारोप के साथ सामने आती है। ऐसा नहीं है कि दिल्ली में और कोई मुद्दा नहीं रहा, भ्रष्टाचार घोटाला और शिक्षा सहित अन्य मुद्दों पर एक दूसरे से उलझ रही पार्टियों को छठ याद आते ही जमुना जी की याद आ जाती है।

पवित्र नदी में तैरते जहरीले झांक के लिए भाजपा आप सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं तो आप सरकार भाजपा को जहरीले रसायन झांग छिपाने के लिए जिम्मेदार बताती है । जमुना हमेशा से दूषित रही है और आगे भी दूषित होती रहेगी इस बात के संकेत मिलते हैं क्योंकि किसी ने सच्चे मन से गंगा जमुना की सफाई के लिए कोई कार्य नहीं किए और ना ही उस को प्रदूषण से बचाने के लिए कोई उपाय किए ऐसा लगता है कि सारे उपाय कागजों पर ही सीमित है जो वास्तविकता में देखने को नहीं मिलते।

नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा से मंजूरी के बाद रसायन का छिड़काव जमुना में किया गया था लेकिन इसे मानने को कोई तैयार नहीं है आप नेता भी भाजपा पर पलटवार कर रहे हैं उनका कहना है कि भाजपा छठ पूजा के आयोजन में बाधा डालती रही है यमुना नदी की सफाई पर 2020 का चुनाव समाप्त हो गया ।नगर निगम चुनाव कूड़े और पहाड़ की सफाई व्यवस्था को लेकर भाजपा और आपने चुनाव लड़ा था उसके बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ मामला जियो का त्यौहार कूड़े का पहाड़ आज भी है और वही पर कूड़ा जमा हो रहा है। राजनीतिक संग्राम में कांग्रेसियों इसलिए उसके कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आए। लेकिन प्रदूषण का मुद्दा जमुना को लेकर के बहुत पीछे रह गया।

अब बात करते हैं  प्रदूषण की, यमुना में प्रदूषण कम करने के लिए इंटरसेप्टर सीवर लाइन बिछाने, अधिकृत कालोनियों को सीवर नेटवर्क से जोड़ने ,नए सिरे से शोधन संयंत्रों के निर्माण और पुराने संयंत्रों के नवीनीकरण पर भारी-भरकम खर्च होने के बावजूद 10 वर्ष में नदी के पानी से प्रदूषण कम नहीं हुआ बल्कि जीवनदायिनी यमुना पहले से कहीं ज्यादा मैली हो गई। यमुना के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने वाली दिल्ली सरकार की एजेंसी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा मासिक स्तर पर जारी होने वाली रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 10 वर्ष पहले की तुलना में इस वर्ष सितंबर में यमुना के पानी में प्रदूषण तत्व 2 गुना तक बढ़ चुके थे। यह भी तब जब यमुना सफाई को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं ।

दिल्ली में यमुना 54 किलोमीटर क्षेत्र में बहती है । पानी की रिपोर्ट के अनुसार वजीराबाद के नीचे के हिस्से में यमुना के पानी में ऑक्सीजन नहीं है सिर्फ 0.8 मिलीग्राम प्रति लीटर निजामुद्दीन के पासहैं। यमुना के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 गुना ज्यादा पाया गया है कि 2015 में प्रदूषण कम हो रहा था।पंद्रह सौ से ज्यादा सहित अन्य कदम उठाए गए हैं शोधन के लिए तकनीक को भी अपग्रेड किया गया, फिर भी यमुना के प्रदूषण को कम करने में कोई उपलब्धि हासिल नहीं हो पा रही है।

Leave a Reply