समृद्धि की ओर बढ़ते कदम

राष्ट्र के लिए उसके नागरिकों का गरीबों के दस चक्र से बाहर आना , भारत समृद्धि की दिशा में बढ़ रहा है और पिछले डेढ़ दशक में इस क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि पाई है ।

समृद्धि के लिए साधन के पर्व दीपावली से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इस संदर्भ में देश की सुखद तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट बताती है कि   2015 से 2021 के बीच भारत की 41.5 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से ऊपर आई है डेढ़ दशक की यह उपलब्धि अच्छे भविष्य का आधार भी बन रही है।

यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव द्वारा तैयार मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स जारी किया गया है रिपोर्ट कहती है कि डेढ़ दशक में 41.5 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना ऐतिहासिक है ।

विश्व में 2030 तक गरीबी में जा रही आबादी की संख्या को आधा करने का सतत विकास लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है ।भारत ने इस दिशा में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।देश में करीबी काम करने की दिशा में बड़ी दूरी तय की है लेकिन अभी चुनौती बाकी है। अभी 22.8 करोड़ लोग गरीबों के नीचे हैं जो संख्या के लिहाज से अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है रिपोर्ट में आशा जताई गई है कि नीतिगत स्तर पर उठाए जा रहे कदम इस दूसरे चक्र को तोड़ने में सफल होंगे। 

यूएनडीपी ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति को आक्रमण को बताया ।27.5 करोड़ जनसंख्या वर्ष 2005 -6 से 2015-16 के बीच और 14 करोड़ आबादी 2015 से 2016 से 2019 से 2021 के बीच गरीबों के दूसरे चक्र से बाहर आई जो ऐतिहासिक है।59.3 करोड़ 18 साल से कम उम्र के गरीब बच्चों की संख्या इन देशों में सबसे ज्यादा है 120 करोड लोग बेहद गरीबी में जी रहे हैं अध्ययन में शामिल 111 देश में 22.8 करोड़ लोग अभी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। देश में गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में 9.7 करोड़ बच्चे अभी गरीबी के दूसरे चक्र में फंसे हुए हैं भारत में 3. 4 करोड़ है पोषण खाना पकाने का ईंधन स्वच्छता एवं आवास के पैमाने पर भारत में गरीबी काफी नीचे है।

रिपोर्ट के मुताबिक बिहार ,झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे ज्यादा गरीब आबादी वाले राज्यों का प्रमोशन राष्ट्रीय स्तर से बेहतर रहा है ।ज्यादा गरीबी वाले अधिकतर राज्यों का प्रदर्शन अच्छा रहा जो दिखता है की नीतियां गरीबों के अनुसार मनाई जा रही है। 2005-6 में बिहार में गरीबी 74.4% थी जो 2015-16 में 52.4% और 2019-21 में 34.4% पर आ गई हालांकि अभी बिहार ,झारखंड ,मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम ,उड़ीसा ,छत्तीसगढ़ और राजस्थान सर्वाधिक गरीब राज्यों में है 2015-16 में भी यही सबसे ज्यादा गरीब राज्यों में थे।

फिलहाल जो आज की स्थिति है वह यह बताती है कि देश में गरीबी सुधर रही है और लोगों के पास रहने को मकान, खाने को अनाज और काम करने के लिए काफी चीज हैं। जिनसे उनकी आय बढ़ रही है । केन्द्र की सरकार इस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दे रही है कि गरीबी किस तरह से कम हो, ऐसा नहीं है कि सिर्फ गरीबों पर ही ध्यान है देश का भी विकास हो रहा है और वह विकास दिख रहा है।

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