सूरज पर थूकने का काम बंद करे कांग्रेस

स्वातंत्र्यवीर सावरकर
दिल्ली में शनिवार दिनांक 14 दिसम्बर को रामलीला मैदान में कांग्रेस ने केन्द्र में भाजपा सरकार के विरोध में रैली आयोजित किया। इसके पूर्व जब हैदाराबाद में कथित गैंगरौप की घटना पर जब सारा देश उद्वेलित, क्षोभमय था उस समय राहुल गांधी ने देश में होने वाली महिला अत्याचारों की घटना के संदर्भ में कहते समय कहा कि देश का नाम रेपिस्ट देश बना। इस उनके बयान पर संसद में उस समय चल रहे सत्र के अंतिम दिनों में भाजपा सदस्यों ने राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए ऐसी मांग की। उस मांग को ठुकराते हुए श्री राहुल गांधी ने कहा मैं माफी मांगनेवाला राहुल सावरकर नहीं हूँ, मैं राहुल गांधी हूँ। मैं माफी नहीं मागूंगा। इसका सीधा अर्थ यह कहा जाए कि माफी मांगने का पर्यायवाची नाम है श्री सावरकर।

  • कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने 24 फरवरी 2003 को संसद के सेन्ट्रल हाॅल में वीर सावरकर के चित्र का उद्घाटन करने का विरोध करते हुए राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को पत्र लिखकर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि राष्ट्रपति जी श्रीमती सोनिया गांधी के तर्क से सहमत नहीं थे और उन्होंने संसद के सेन्ट्रल हाॅल में वीर सावरकर का चित्र लगाकर उन्हें सम्मान प्रदान किया।
  • श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी जब प्रधानमंत्री थे तो उस समय उनके मंत्रिमंडल में पेट्रोलियम मंत्री श्री राम नाईक ने अंदमान सेल्यूलर जेल में अनगिनत शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को जो उस जेल में अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाये गये थे, उनकी याद में स्थायी रूप से ’ स्वातंत्र्य ज्योति ’ जलाये जाने की योजना बनाई और परामर्श कर स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े चार महान क्रांतिकारियों के उद्धरणों वाली चार पट्टिकायें उनकी स्मृति में लगाने की योजना तैयार की। ये क्रांतिकारी थे, बहादुरशाह जफर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मदनलाल धींगरा, भगत सिंह और स्वातंत्र्यवीर सावरकर ।
  • जब कांग्रेस की यूपीए सरकार आयी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो उनकी सरकार में पेट्रोलियम मंत्री श्री मणिशंकर अय्यर ने 9 अगस्त 2004 को वीर सावरकर के उद्धरणों वाली पट्टिका को हटाकर उसके स्थान पर म. गांधी के उद्धरण वाली नई पट्टिका लगवाई।
  • हाल में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में श्री विनायक दामोदर सावरकर को ’भारत रत्न’ देने का वादा किया उस वादे को निभाते हुए श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने श्री सावरकर जी को ’भारत रत्न’ देने की घोषणा की। इससे अनेक कांग्रेसी आगबबूला हो गये। किसी भी ऐतिहासिक घटना की विवेचना करने के लिए हमें उस घटना के संदर्भ को जरूर जांचना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि काकोरी कांड को अंजाम देनेवाले लोग हमारे लिए क्रांतिकारी हैं तो अंग्रेजों के लिए वे लुटेरे हैं।
    कांग्रेस का विरोध क्यों

1937 में सभी प्रकार की ब्रिटिश पांबदियों से पूर्ण रूप से मुक्त होने के बाद श्री सावरकर जी ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। एक ओर उन्होंने कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति का विरोध किया वहीं दूसरी ओर उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग की विभाजनकारी राजनीति को भी चुनौती दी।

सावरकर: आक्षेप और वास्तविकता

किसी देश के भविष्य का रास्ता उस देश की शिक्षा व्यवस्था तथा इतिहास किस प्रकार से पढ़ाया जाता , इस पर अधिक निर्भर होता है। मैकाॅले ने यह बात समझी और भारत के ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अंग्रेजों के अनुकूल शिक्षा व्यवस्था खड़ी की। उसका परिणाम लंबे समय से देश भुगत रहा है।

अभी हाॅल में ही कांग्रेस के राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री ने राजस्थान में पढ़ाये जाने वाले बोर्ड के नये पाठ्यक्रम में स्वातंत्र्यवीर सावरकर को वीर उपाधि नहीं लगायी जायेगी यह निर्णय घोषित किया। इन किताबों में बताया गया है कि सेल्यूलर जेल में अंग्रेजों की यातना झेलने के बाद सावरकर ने खुद को कैसे पुर्तगाल का बेटा बताया और 1942 में ’’भारत छोड़ो आंदोलन’’ का विरोध किया। सावरकर जी अंदमान में काले पानी की सजा के दौरान अंगेजों से माफी मांगकर छूटे यह आरोप कांग्रेस वाले करते आये हैं लेकिन स्पष्ट रूप से लिखित पत्र व्यवहार में श्री सावरकर जी ने माफी मांगी यह पत्र कोई प्रस्तुत नहीं कर पाया है। इस संदर्भ में उपलब्ध पत्र व्यवहार में ऐसी माफी का उल्लेख करनेवाला एक भी पत्र उपलब्ध नहीं है। 

सावरकर जी का दृष्टिकोण ध्यान में लेने की आवश्यकता है। उन्होंने अपना चरित्र ’माझी जन्मठेप’ में लिखा है ’’कारागृह में रहकर जो देश सेवा कर रहे हैं उससे अधिक मातृभूमि की प्रत्यक्ष सेवा कारागार के बाहर रहकर कर पायेंगे। कारगृह से बाहर बाहर निकलना यह व्यक्तिगत स्वार्थ नही ंतो सामाजिक हित का परम कर्तव्य है ऐसा उन्होंने लिखा । अंदमान कारागृह में रहकर राष्ट्रहितार्थ जो महत्वपूर्ण कार्य वो बाहर रहकर कर पायेंगे वे अन्दर रहकर नहीं कर पायेंगे। उनकी इस सोच को विश्वासघाती, निंदनीय, पलायनवादी, गद्दार, देशद्रोही, नीच, देशाभिमान को कलंक ऐसा दुष्प्रचार जो कांग्रेसवाले कर रहे हैं, वह अत्यंत क्लेशदायक और निंदनीय है।

  • कांग्रेसी नेता लोग जिस ।उदमेजल च्मजजपजपवद का उल्लेख कर रहे हैं। जिसमें सावरकर जी को छोड़ा गया था। वह वास्तव में ब्रिटिश सरकार लायी थी, वह केवल श्री सावरकर जी के लिए था ऐसा नहीं है, उसमें उस समय बंगाल के सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी हेमचंद्र दास, बारिन्द्रकुमार घोष, सचिन्द्रनाथ सान्याल इनको भी छोड़ा गया था। इसके विपरीत श्री सावरकर जी को छोड़ना नहीं चाहिए ऐसे तीन तीन बार लिखित आदेश देने की बात ैवनतेम डंजमतपंस वित भ्पेजवतल व िथ्तममकवउ डवअमउमदज पद प्दकपं में नोट है।
  • श्री सावरकर जी के अंग्रेज सरकार से माफी मांगने से देश का कौन सा नुकसान हुआ, कितने लोगों को अंग्रजों ने इस कारण से मार दिया, इस घटना से देश की कौन सी बदनामी हुयी। अगर तुलना ही करना है तो इस घटना की अपेक्षा नेहरू -गांधी परिवार के गलत निर्णयों से देश का काफी बड़ा नुकसान हुआ। तो इस आधार पर देशद्रोही किसे कहा जाय नेहरू-गांधी परिवार या सावरकर?
  • कांग्रेस श्री सावरकर का विरोध करने की गहराई में देखे तो पाश्चात्य विचारों से प्रभावित प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू जो धर्म निरपेक्षता, समाजवाद, मिश्र अर्थव्यवस्था के प्रबल समर्थक रहे एवं हिन्दुत्व विरोध यह उनकी सोच रही वहीं सावरकर जी विज्ञाननिष्ठ , तत्वआधारित हिन्दुत्व के प्रबल समर्थक थे।

कम से कम इंदिरा जी से सीख लंे पोते राहुल

श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। सन 1970 में सावरकर के सम्मान में उन्होंने डाक टिकट जारी किया। उनके जीवन पर वृत्तचित्र बनवाया था और उनकी स्मृति में बने कोष को उस समय 11000रू. दिए थे जो आज लगभग 5 लाख रूपये के बराबर है। इन सब तथ्यों पर उन्हीं इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी को विचार करना चाहिए कि क्या उनकी दादी एक गद्दार , कायर और म. गांधी की हत्या में संलिप्त व्यक्ति की प्रशंसा कर रही थीं।

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