इसलिए जाम होती है दिल्ली

सरकार ने सारी कवायत कर ली लेकिन दिल्ली जाम होने से बच नहीं पा रही है इसका प्रमुख कारण यहां चलने वाले बैटरी रिक्शा हैं जिन पर सरकार ने अभी तक अपनी निगाहें नहीं डाली है। इन रिक्शा चालकों में बहुत से रिक्शा चालक अनपढ़ हैं जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है और वह अव्यवस्था फैलाने में सबसे आगे हैं।

अब बात करें बैटरी रिक्शा की तो सबसे बड़ी बात यह है कि बैटरी रिक्शा चलाने वाले ज्यादातर लोग बाहरी राज्यों से आए हुए हैं जो दिल्ली के तौर तरीके नहीं जानते ।इन्हें दिल्ली के ट्रैफिक व्यवस्था का भी कोई ज्ञान नहीं है नहीं, इनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है और ना ही यह खुद का कोई बैटरी रिक्शा खरीद कर चलते हैं। किराए का कमरा लेते हैं और बैटरी रिक्शा भी किराए पर ही लेते हैं और उसे चलते हैं ।रात में उसे एक जगह खड़ा कर देते हैं जहां वह चार्ज होता है और सवेरे फिर वह काम पर निकल जाते हैं। इसलिए उनकी पहचान नहीं हो पाती।

जहां तक दिल्ली में उनके योगदान की बात है तो यह लोग हमेशा जाम के कारण बनते हैं ।अच्छी दिहाड़ी कमाने के चक्कर में यह कहीं भी बैटरी रिक्शा घुसा देते हैं जिसके कारण जाम लग जाता है। हर रास्ते ,हर गली, हर मोहल्ले में उनकी बहुतायत संख्या में उपस्थित वहां के जाम का कारण बनती है। हर तरह की समस्या पैदा करने वाले यह रिक्शा वाले दिल्ली की तरक्की में बहुत अच्छा योगदान देते हैं ऐसा यहां की सरकार का मानना है लेकिन इनके कारण कितने लोगों को नुकसान हो रहा है इस पर सरकार का ध्यान नहीं है।

अब इनके सरकारी योगदान की चर्चा करते हैं एक बैटरी रिक्शा वाला दिन भर में दो से ₹3000 कमाता है महीने में उसकी आमदनी लगभग 50 से 60000 के बीच में होती है जिसकी वजह से उसे इनकम टैक्स के दायरे में आना चाहिए लेकिन वह इससे बाहर है। अंत्योदय कार्ड बनवा के राशन फ्री खा रहा है कॉलोनी ले रहा है कई जगह कब्जा किए हुए हैं और फिर भी गरीब है ,सरकार को इनसे कोई लाभ नहीं है। दिल्ली में कितने बैटरी रिक्शा है इसका सही आंकड़ा भी सरकार के पास नहीं है क्योंकि 90% बैटरी रिक्शा बिना नंबर के ही चल रहे हैं उन पर ना कोई नंबर प्लेट है और ना ही उनकी कोई पहचान है कमर्शियल नंबर मिलना चाहिए वह भी सरकार उन्हें नहीं दे रही है जिससे राजस्व का घाटा हो रहा है।

फिलहाल सरकार को चाहिए कि  रिक्शा वालों पर नकेल कसी जाए, इनको कमर्शियल नंबर दिए जाएं और उनकी आय व्यय का लेखा जोखा जाय। ऐसा न करने वालों की धर पकड़ की जाए और उनका चालान किया जाए।

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