देश जब आजाद हुआ वह समय वक्फ बोर्ड की 1130 प्रॉपर्टी थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया यह प्रॉपर्टी बढ़ती गई। मस्जिदे बढ़ती गई मजारे बढ़ती गई ईदगाह बढ़ते गए और कब्रिस्तान बढ़ते गए यह सभी प्रॉपर्टी वफ्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है इसके अलावा जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान गए उनकी प्रॉपर्टी अगर उनके परिवार के कोई सदस्य लेना चाहे जो भारत में रहते हो तो उनको ट्रांसफर कर दी गई यानी भारत दो देश बन गया एक भारत और दूसरा पाकिस्तान । पाकिस्तान में जो लोग रहे वह सब मुसलमान रहे उनके पास प्रॉपर्टी थी उन्होंने पाकिस्तान छोड़कर भारत आए हिंदुओं की जमीन अभी अपने पास ले ली किंतु भारत के जो मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान में गए उनकी प्रॉपर्टी भारत के हिंदुओं को नहीं मिलीऔर भारत की आधी से ज्यादा प्रॉपर्टी मुसलमानों के पास चली गई क्योंकि उनके परिवार के लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान में जाकर बस गए।
राजनीतिक तौर पर इस विषय का मूल्यांकन किया जाए तो इसमें सबसे बड़ा हाथ जवाहरलाल नेहरू का था।जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि भारत में हिंदुओं का कब्जा मुसलमानों की प्रॉपर्टी पर हो। इसलिए उन्होंने ऐसा रास्ता चुना जिससे हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों में मुसलमानों के पास प्रॉपर्टी ज्यादा से ज्यादा हो सके इसके बाद इंदिरा गांधी ने भी इसी रास्ते का अनुसरण किया और बांग्लादेश बनने के उपरांत वहां से आए लोगों को भारत में जगह तो दी लेकिन बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को जगह नहीं मिल पाई बाद में वह मुसलमान बनने को मजबूर हुए मालदा एक ऐसी जगह है जहां आज भी बंगाली मुसलमान बनने को मजबूर है इसका कारण यह है कि मालदा और मुर्शिदाबाद दोनों बंगाल के जिले बांग्लादेश के बॉर्डर पर पड़ते हैं और बांग्लादेशी बड़े आसानी से घुसपैठ कर भारत में आ जाते हैं और अपना परिवार बना लेते हैं।
अब बात करते हैं वक्फ बोर्ड की तो वह फोर्ड की प्रॉपर्टी जिस तरह से दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है वह काबिले गौर है कहीं पर भी मजार बन जाती है कहीं पर भी 4 लोग खड़े होकर की ईदगाह बना लेते हैं और जहां उनके शव दफनाए जाते हैं वह कब्रिस्तान कहलाता है थोड़े दायरे में होने वाला यह कार्य धीरे धीरे बढ़ता जाता है और अपने आसपास की जमीन समेट लेता है उसके बाद वह उस पर अपना दावा ठोक देता है भारतीय संविधान में ऐसा कहीं नहीं है कि वफ्फ बोर्ड के इस दावे को ठुकराया जा सके इसलिए वफ्फ की प्रॉपर्टी बढ़ती चली जा रही जिस पर अब रोकना खतरे की घंटी माना जा रहा है।
भारतवर्ष में वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी दिन दूना रात चौगुना तरक्की कर रही है पिछले 13 वर्षों में यह प्रॉपर्टी दोगुना हो गई है कैसे हुई इस बात पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है अमूमन इन प्रॉपर्टी में मस्जिद ,मजार , कब्रिस्तान व मदरसे आदि आते हैं लेकिन भारत में इतनी भारी संख्या में इनकी बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण अब सोचने को मजबूर होना पड़ा कि आखिर यह हो क्या रहा है।इस समय सेना और रेलवे के बाद जिसके पास सबसे ज्यादा संपत्ति है वह वफ् बोर्ड है मौजूदा समय में वक्फ बोर्ड के पास 8लाख 54हजार 509 संपत्तियां हैं जो 8लाख एकड़ में फैली हुई है।
फिलहाल भारत सरकार को सचेत हो जाना चाहिए और इस मामले में ठोस और आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है क्योंकि आए दिन जिस तरह से जमीनों पर कब्जे हो रहे हैं और बस प्रॉपर्टी का विस्तार किया जा रहा है उससे यह प्रतीत होता है कि आने वाले समय में भारत की दो तिहाई जमीन सिर्फ वक्फ बोर्ड की होगी और अगर ऐसा हुआ तो यह एक बड़े खतरे की घंटी होगी इसलिए अब समय आ गया है कि वह बोर्ड को भंग किया जाए और उसकी सारी प्रॉपर्टी जप्त की जाए जिस तरह से हिंदुओं के मंदिर सरकार के अधीन है उसी तरह वह प्रॉपर्टी भी सरकार के अधीन होनी चाहिए।