भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बन सकता है बशर्ते….

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश को जीडीपी में केवल 5 राज्यों मे गुजरात, महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक का योगदान लगभग 47% है राज्य आईटी सेक्टर ,ऑटोमोबाइल ,पर्यटन सेवा, फार्मास्यूटिकल आदि क्षेत्रों में अपनी पहचान स्थापित करने के लिए आधिकारिक संरचना पर विशेष ध्यान दे रहे हैं ।आरबीआई की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार गुजरात एवं महाराष्ट्र मैन्युफैक्चरिंग हब बन गए हैं यह दोनों राज्य श्रम कानूनों में सुधार के साथ व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था के अंतर्गत समस्याओं का तुरंत समाधान करते हैं ।

देखा जाए तो 2012 से 2019 तक गुजरात को 5.85 लाख करोड़ रुपए का निवेश मिला जबकि महाराष्ट्र को 4.07 लाख करोड़ का निवेश आया ।गोवा ,दिल्ली ,सिक्किम, हरियाणा और राज्य भी इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं वही सबसे अधिक जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति आय के मापदंड से पिछड़ने के बावजूद उत्तर प्रदेश अपने निरंतर प्रयासों से कृषि एवं सेवा क्षेत्र में अपने योगदान को बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित दिखाई दे रहा है। योगी सरकार ने बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्रों के साथ पूरे उत्तर प्रदेश में आधिकारिक संरचना के क्षेत्र में बहुत तेजी से कार्य किया है। निवेश को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश जिस गति से कार्य कर रहा है उसके परिणाम शीघ्र दिखाई देंगे।

एक दशक पहले भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 11 वे स्थान पर थी ।आईएमएफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार में बिट्रेन को पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है ।कहा जा रहा है कि 2028 तक जापान को पीछे छोड़कर भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा ।तब तक चीन भी अमेरिका को पछाड़ते हुए पहले स्थान पर पहुंच जाएगा ।ऐसे में देश के समग्र विकास के लिए सभी राज्यों को मिलकर इसके लिए पहल करनी होगी। देश के सभी राज्यों को अपने विकास का एक अलग इंजन बनाना होगा ।इसके लिए पिछड़े राज्यों को अपने विकास के लिए नए स्रोतों की तलाश करनी चाहिए, अधिक निवेश के लिए राज्यों को आधिकाधिक संरचना  कार्य करना चाहिए ,जिससे प्रत्येक राज्य के मैन्युफैक्चरिंग हब को बनाया जा सके।

 विभिन्न राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार को भी आर्थिक प्रोत्साहन देना चाहिए। जिसके परिणाम स्वरूप विभिन्न राज्यों के बीच आपसी संबंध में भी बढ़ेगा। राज्यों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने से आने वाले समय में व्यापार पर्यटन और यात्रा को बल मिलेगा। आत्मनिर्भर भारत और 500000 करोड वालों की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना तभी साकार होगा ।जब सभी राज्यों के विकास की प्रक्रिया पूर्ण सहभगिता होगी।

बात करते हैं निवेशकों की तो वेदांत गुजरात में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले प्रोडक्शन प्लांट लगाने के लिए 1.54 लाख करोड़ रुपए का निवेश करेगी। किसी भी भारतीय राज्य में यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है दावा किया गया है कि 1000 एकड़ भूमि पर लगने वाला यह प्लांट पहले महाराष्ट्र में लगाए जाने की योजना थी। इस प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए दोनों राज्य नाम मात्र की कीमत पर भूमि सस्ती बिजली कर छूट और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि मेगा प्रोजेक्ट के निवेश से न सिर्फ राज्य का विकास होगा बल्कि एक लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा ।इस प्रोजेक्ट को किस राज्य में होना चाहिए इसके लिए दोनों राज्यों में से अपने अपने तर्क हो सकते हैं। परंतु इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों राज्यों में विकास रोजगार को लेकर प्रतिस्पर्धा हुई।

उल्लेखनीय है कि देश में सबसे अधिक निवेश को आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने भी 10अरब डॉलर का प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया है यह एक खुला आमंत्रण है कि जिस राज्य में जितनी तैयारी होगी उसको विदेशी निवेश का लाभ भी उतना ही अधिक मिलेगा ।इससे न सिर्फ राज्य एवं देश के विकास होगा बल्कि उस राज्य के नागरिकों का आर्थिक व सामाजिक कल्याण भी होगा ।सामाजिक आर्थिक विकास से समाज में अनेक सामाजिक बुराइयां समाज से स्वयं समाप्त होने लगती हैं। जो कि मौजूदा माहौल में बहुत जरूरी है।इसके विपरीत विकास की कोई सुनियोजित रणनीति ना होने के कारण झारखंड बिहार मणिपुर और उड़ीसा आदि राज्य प्रति व्यक्ति आय मापदंड की दौड़ में बहुत पिछड़ गए हैं ।

सबसे धनी एवं सबसे गरीब राज्य की प्रति व्यक्ति आय के आधार पर तुलना करें तो 21वीं सदी की शुरुआत से लेकर 20018-2019 तक तुलनात्मक अध्ययन में यह अंतर 145% से बढ़कर 382% हो गया है आज जो राज्य औद्योगिक विकास में पिछड़ रहे हैं उनका मुख्य कारण उस राज्य के नेताओं के विजन व दूरदर्शिता का अभाव है। विकास की पहली शर्त यही है कि अर्थव्यवस्था में उद्योगों को प्राथमिकता दी जाए जिससे उस राज्यों के संसाधनों को उचित दोहन अथवा रोजगार को बढ़ाया जा सके। राज्यों की उदासीनता के कारण ही रचनात्मक विकास पर बहुत कम व्यक्त किया जाता है जिससे विकास का पहिया उल्टा घूमने लगता है इसका उदाहरण बंगाल है जो कभी उद्योग का गढ़ था आज कोई यहां उद्योग लगाने के लिए तैयार नहीं है अभी तक लगभग 56000 उद्योग बंद हो चुके हैं या फिर राज्य से बाहर हो चुके हैं यही स्थिति हो गई है। जिस पर फिर से कार्य करने की जरूरत है।

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