नेपाल  का आस्तिव


जब हम भारत और नेपाल के बारे में विचार करते हैं तो ध्यान में आता है कि ईश्वर ने हमे एक बनाया है इतना ही नहीं तो ध्यान में आता है कि नेपाल को भारत की गोद में बैठाया गया है| दोनों देशों में केवल रोटी बेटी का संबंध ही नहीं है बल्कि बिना पशुपतिनाथ का दर्शन किये द्वादश ज्योतिर्लिंग पूरा नहीं होता | बिना मुक्तिनाथ दर्शन किये चारों धाम पूरा नहीं होता, दक्षिण भारत के हजारों तीर्थ यात्री प्रतिवर्ष दर्शन के लिए आते हैं।  नेपाल पहले आज जैसी स्थिति में नहीं था क्योकि काठमांडू वैली जल युक्त थी, एक झील का स्वरुप लिए हुए थी, कहते हैं कि महाभारत युद्ध के पहले धर्म की स्थापना हेतु भगवान श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण भारत वर्ष का भ्रमण किया था और महाभारत युद्ध होने के पहले ही युद्ध जीत लिया था उसी क्रम में भगवान श्री कृष्ण इस झील में पधारे उन्हें आभाष हुआ कि यहाँ कोई देवता का वास है, उन्होंने उसी समय धाटी यानी झील से पानी निकालने का निर्णय किया और भगवान बलराम जी ने अपने हल द्वारा उसे काटा वह नदी का स्वरूप हो कर नीचे की ओर आयी आज उसे बागमती नदी के नाम से जानते हैं, जब पानी निकल गया तो वहां शिवलिंग दिखाई दिया और भगवान श्री कृष्ण ने उसकी प्राण प्रतिष्ठा की।

 
एक और कथा है कि भगवान शिव वहां हिरण के रूप में आये, ये पशुपतिनाथ शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक नहीं आधा है, कैसी भगवान की महिमा है जब वनबास के समय पांडव देवभूमि में भ्रमण कर रहे थे उस समय श्री केदारनाथ में जब वे सब लोग गए तो देखा भगवान शंकर जाने के लिए तैयार हैं तो भीमसेन ने उन्हें पकड़ लिया कहते हैं कि मुख का भाग पशुपतिनाथ और पीछे का भाग केदारनाथ हो गया, इसलिए जब तक पशुपतिनाथ का दर्शन नहीं होता तब तक द्वादश ज्योतिर्लिंग पूरा नहीं होता। इसी प्रकार काली गंडक नदी जिसमे शालिग्राम  पाए जाते हैं जिन्हें हिंदू समाज भगवान विष्णु के रूप में पूजा करता है यह नदी तिब्बत सीमा पर स्थित दामोदर कुंड से निकलती है, वहीँ पर मुक्तिनाथ भगवान का मंदिर है जिसकी विशेषता है कि यहां पर हरी और हर यानी शिव और विष्णु एक विग्रह में उपस्थित है, ऐसा मंदिर भारतवर्ष में तीन स्थानों पर है एक मुक्तिनाथ दूसरा हरिहरनाथ सोनपुर बिहार और तीसरा अयीयप्पा मंदिर केरल, इनकी विशेषता यह है कि तीनों एक सिध में स्थित हैं।जिसके लिये तमिलनाडु सरकार इन तीर्थ यात्रियों को अनुदान राशि भी देती है! भारतवर्ष अरब देश से ब्रम्हदेश उत्तर में तिब्बत से दक्षिण इंडोनेशिया तक फैला हुआ भूभाग था, राष्ट्र एक था राज्य अनेक थे उस समय चक्रवर्ती सम्राट की व्यवस्था थी, उस समय नेपाल भी इस भूभाग का हिस्सा था आज भी यदि हम विचार करते है तो ध्यान में अत है कि राष्ट्र तो एक ही है स्टेट यानी राज्य दो हैं (भारत और नेपाल)! 

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